Sunday, December 21, 2008

लाटसाब बचे हैं, लपटनसाब गए...

भारत में नियुक्त सर्वोच्च अधिकारी, जो गवर्नर जनरल या वायसराय होता था, लॉर्ड कहलाता था

म तौर पर खुद को तुर्रमखां समझने वाले लोगों को व्यंग्य में लाट साब कहा जाता है। किसी ज़माने में हिन्दुस्तान में लाट साब शब्द व्यंग्य से नहीं बल्कि सचमुच आदर-सम्मान से कहा जाता था। वह ज़माना था अंग्रेजों का और अंग्रेज हाकिम ही लाटसाब कहलाता था। हालांकि लाटसाब कोई घोषित पदवी नहीं थी बल्कि यह ब्रिटिश राज द्वारा भारत में नियुक्त सर्वोच्च अधिकारी, जो गवर्नर जनरल या वायसराय होता था, लॉर्ड कहलाता था । जाहिर सी बात है कि इस लॉर्ड के मुल्क मे खूब चर्चे होते थे लिहाजा हिन्दी क्षेत्र में इस शब्द का आसान देशी रूप बना लिया लाटसाब। लॉर्ड स्तर के अन्य महानुभावों का भी इंग्लैंड से आना-जाना होता रहता था जिससे इस पदवी की ठसक और रुतबे की अच्छी-खासी धमक भारतीय जनमानस में थी जिसके चलते किसी भी ऊंचे ओहदेदार फिरंगी के लिए भी लाटसाब शब्द इस्तेमाल किया जाने लगा। अंग्रेज गए , अंग्रेजी का लॉर्ड भी गया मगर बोलचाल की ज़बान में लाटसाब शब्द आज भी हिन्दी में बसा हुआ है। खासतौर पर देहात में इसे खूब बोला जाता है।

अंग्रेजी के लॉर्ड शब्द की अर्थवत्ता वही है जो भारत में अन्नदाता शब्द की है। अन्नदाता अर्थात सर्वशक्तिमान ईश्वर, भगवान। प्राचीन काल में मानव अपने भोजन के लिए स्वयं प्रबंध करता था मगर जब राज्य व्यवस्था का निर्माण और श्रम का मूल्यांकन शुरु हुआ तो मनुश्य का भोजन इसके भुगतान पर निर्भर हुआ। अन्नदाता जैसे शब्द तभी जन्मे वह शक्ति जो भोजन का प्रबंध करती है उसे ही अन्नदाता कहा गया। लॉर्ड lord शब्द बना है मध्यकालीन अंग्रेजी के हैफर्ड्स halford से जिसमें गृहपति, मुखिया, शासक, वरिष्ठ और ईश्वर आदि भाव समाहित थे। अंग्रेजी में लोफ loaf का अर्थ होता है ब्रेड, रोटी जो बना है half अर्थात हाफ से। इस तरह लॉर्ड बना half+ward= loaf + ward से जिसका अर्थ हुआ रोटी देनेवाला यानी स्वामी, मालिक। लॉर्ड का स्त्रीवाची है लेडी जिसका पुराना रूप है लैफ्डी अर्थात loaf-kneader जिसका मतलब हुआ आटा गूंथनेवाली। मगर भाव है स्वामिनी, मालकिन आदि। इसकी व्याख्या अन्नपूर्णा में भी तलाशी जा सकती है। बोलचाल की हिन्दी में चाहे लॉर्ड शब्द न चलता हो मगर लेडी शब्द तो यूं रचाबसा है कि कई बार तो उसका विकल्प नहीं मिलता। लेडी का बहुवचन लेडिज़ बहुत प्रचलित है। सवारी के साथ तो हिन्दी का कोई दूसरा शब्द प्रयोग ही नहीं होता। उदाहरण के लिए लेडिज़ सवारी या लेडिज़ डिब्बा (कूपा) में नारी, स्त्री, महिला जैसे शब्द जोड़कर देखें, फर्क साफ पता चल जाएगा।

अंग्रेजी राज में ही एक और शब्द भी चलता था लपटन साब । दरअसल यह लैफ्टिनेंट lieutenant का देशी उच्चारण था। यह बना है पुरानी फ्रैंच के lieu+tenant से जिसका अर्थ है स्थान का मालिक मगर इसमें भाव है स्थानापन्न का। अर्थात वरिष्ठ अधिकारी की गैरमौजूदगी में जो काम संभाले। डिप्टी, नायब आदि। यह शब्द खासतौर पर सेना में ज्यादा इस्तेमाल होता है।


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16 comments:

  1. बढ़िया जानकारी |
    धन्यवाद |

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  2. लाट साहब का विस्तृत अर्थ पता चला | मज़ा आया लेडी के बारे मे जान कर यह आटा गुथने वाली कहाँ पहुच गई .
    सभी भाषाओँ मे एक सी ही स्थिति है आंख के अंधे नाम नैनसुख

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  3. नई जानकारी मिली . शुक्रिया !

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  4. स्‍कूली दिनों में मैं जब भी अकडकर या आदेश के स्‍वरों में कोई बात करता तो मां डांट कर भा देती - 'चल! भाग ! आया बडा लाट गवरनर कहीं का ।' 'लाट' को मेरीं इसी तरह गरियाती थी ।

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  5. बहुत शानदार जानकारी ! कई शब्दो का अर्थ यहं आकर मिलता जा रहा है जो प्रयोग मे तो आते हैं पर मतलब पता नही होता !

    रामराम !

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  6. लाट साब शब्द देहातो मे सही मे कहा जाता था। हम लोग भी कामचोरी के कारण इस उपाधि से सम्मानित हो चुके है। अच्छी जानकारी।

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  7. अजी बोलचाल की हिन्दी का क्या कहना यहाँ तो अनेकों और लेडिजों भी प्रचलित है।

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  8. लॉर्ड का स्त्रीवाची है लेडी जिसका पुराना रूप है लैफ्डी अर्थात loaf-kneader जिसका मतलब हुआ आटा गूंथनेवाली।
    --
    नारीवादी अभी तक आये नहीं मजम्मत करने! :-)

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  9. चमत्कारिक पोस्ट
    ===================
    आज हम समझ गए
    लाट साहब वाली बात.
    आभार
    डॉ,चन्द्रकुमार जैन

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  10. बहुत ही accha रहा ...मज़ा आ गया phad कर..

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  11. भाई वाह! 'लपटन साहब' से गुलेरी जी की अमर कहानी 'उसने कहा था' की याद आ गई।

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  12. मुझे लगता है हम सभी को कभी न कभी जिंदगी में " लाट साहब" की उपाधी से जरूर नवाजा गया होगा! आलस के चलते मैं कई बार इस व्यंगात्मक उपमा से दो-चार हुई हूँ। लाट साहब लार्ड साहब का अपभ्रंश है यह तो पता था लेकिन अन्नदाता और इसका अर्थ एक है इस जानकारी से पूर्णतः अनभिज्ञ थी। शब्दों का सफर यूँ ही जारी रहे..इस आशा में..

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  13. आज आपकी पोस्ट नें मुझे अपनीं 'आजी' ( पितामही ) की याद दिला दिया, वो अक्सर मुझे "लाट-गवरनर" की उपाधि प्रदान कर देती थीं । वैसे "अशोक की लाट" के विषय में क्या ख्याल है ?
    कभी "महुए का लाटा" आप नें खाया है क्या ...?

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  14. बेहद सुंदर. आपकी लेखनी में दम है.इस ब्लॉग पर आकर प्रसन्नता का अनुभव हुआ. कभी आप हमारे ब्लॉग पर भी आयें !!

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  15. हम भी बचपन में लाट साहब कहे जाते थे, काम से जी चुराने पर :-) कई बार 'मुल्की-लाट' भी !

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