दो पल्लों वाले द्वार की सूझ पैदा होने के बाद पल्लों के तल एक साथ मिलाने से कुछ आसानी हुई। बाद में इन पल्लों के साथ कुंडी और सांकल लगाने का चलन शुरू हुआ
चि न्ताओं का अंत नहीं। खुद की सुरक्षा के लिए आश्रय का निर्माण कर चुकने के बाद मनुष्य को आश्रय की सुरक्षा ने फिक्रमंद कर दिया। विभिन्न संस्कृतियों में किसी न किसी ऐसे दौर की बात कही गई है जब वहां इतनी खुशहाली थी कि घरों के दरवाजों पर ताला नहीं लगाया जाता था। मगर ऐसे ज्यादातर विवरण अतिरंजित लगते हैं, व्यवहारतः इन तथ्यों में कोई सच्चाई नहीं जान पड़ती। विकासक्रम में सम्पत्ति के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू होते ही उसकी सुरक्षा हर काल में महत्वपूर्ण रही होगी, चाहे राज्य कितना ही आदर्श व्यवस्थाओं से संचालित रहा हो। ताले का सबसे पहला निशान करीब छह हजार साल पहले निनेवे में मिला जो मेसोपोटेमिया का बड़ा नगर केंद्र था। यह स्थान वर्तमान इराक में है।
आश्रय की सुरक्षा के लिए मनुष्य ने पहले द्वार बनाए और फिर दरवाजों पर ताले भी जड़े जाने लगे। ताला शब्द बना है संस्कृत की तल् धातु से बने तलः से जिसमें सतह, आधार, यानी पृथ्वी जैसे भाव हैं। इसमें पैर का तला, बाहू, हथेली आदि अर्थ भी शामिल हैं। ताला यानी समतल करना। गौर करें तो ताला शब्द नें उपकरण का रूप तो बहुत बाद में ग्रहण किया, पहले तो यह सिर्फ सुरक्षा-तकनीक ही थी। आदिमयुग में गुफा मानव भी सुऱक्षा के लिए कंदरा के मुहाने को पत्थरों से ढक देता था अर्थात उसके खुले हिस्से को समतल कर देता था। खुले हुए हिस्से के दोनों सिरों को मिलाकर एकसार करना, सम करना ही ताला लगाना हुआ। कालांतर में पत्थरों से आगम को ढकने की जगह मनुष्य ने बांस-बल्ली, लकड़ी के पल्लों की तकनीक ईजाद की। शुरुआती दौर में एक पल्ले का द्वार रहा होगा। इस पल्ले को दूसरे सिरे से मिलाने की क्रिया में ही समतल करने का भाव है। समतल से अभिप्राय चिकनी या प्लेन सतह नहीं है बल्कि दो पृथक सतहों को एक साथ मिलाना है जिससे सुरक्षा आती है, कोई घेरा, आश्रय या ठिकाना पूरी तरह बंद होता है।
दो पल्लों वाले द्वार की सूझ पैदा होने के बाद पल्लों के तल एक साथ मिलाने से कुछ आसानी हुई। बाद में इन पल्लों के साथ कुंडी और सांकल लगाने का चलन शुरू हुआ जिन्हें एक उपकरण की मदद से मज़बूती से जोड़ दिया जाता था। इस उपकरण को भी ताला नाम मिला जिसके मूल में संस्कृत का तालकम् शब्द है जिसमें बोल्ट, चिटकनी-चिटकिनी या कुण्डी का भाव है। तात्पर्य यही की ताले में द्वार के दोनों पल्लों को एक उपकरण के जरिये बांधने का भाव है। तल् में दरअसल मिलाने, जोड़ने, सम्प्रक्त करने का भाव ही खास है। दोनों हाथों की हथेलियों के नामकरण में भी तल की महिमा है। हाथ के लिए संस्कृत में हस्त शब्द है। हथेली बना है हस्त+तालिकः = हथेली से।
हस्त यानी हाथ और तालिकः यानी खुला पंजा जिसकी सतह नजर आती है। यही हाथ का तल या सतह है जो भूमि पर टिकती है। हथेली के दोनो तलों को जब मिलाया जाता है तभी बनती है ताली। यहां जुड़ाव स्पष्ट हो रहा है। हथेलियों को मिलाने से जो ध्वनि होती है उसे भी ताली ही कहा जाता है। ताले को खोलने वाली कुंजी के लिए भी ताली शब्द प्रचलित हुआ क्योंकि द्वार खोलने से पहले भी ताले के साथ ताली को संयुक्त करना पड़ता है। ताली भी संस्कृत का शब्द है। ताली ही है जो ताले को बंद करती है। किन्हीं समूहों, मुद्दों पर संयुक्त राय कायम करने के लिए ताल-मेल शब्द इस्तेमाल होता है जो इसी मूल से आ रहा है।
संगीत में ताल अर्थात बीट्स का बड़ा महत्व है जो इसी मूल का शब्द है। ताल दरअसल दो सतहों के मिलाने से उत्पन्न ध्वनि ही है। दो तलों का मिलना यानी ताल। तबले की सतह पर हथेली की थाप ही ताल है। संयुक्त होने का भाव स्पष्ट है। बिना ताल की संगति के संगीत अधूरा है। गायन-वादन जैसी विधाओं के साथ ताल की संगति ज़रूरी है। संगीत में मात्राएं प्रमुख होती हैं जो ताल के द्वारा ही गिनी जाती हैं। तालः के अन्य अर्थों में ताड़ का वृक्ष, ताड़ के पत्ते आदि भी है। ताड़ के द्रव को ही ताड़ी कहते हैं। प्राचीनकाल में लेखन सामग्री के तौर पर ताड़ के पत्तों का ही प्रयोग होता था।
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दरवाजे के पल्ले चाहे एक रहे हों या दो अन्ततः चौखट या दूसरे पल्ले के साथ सम धरातल पर लानें के लिए ताल से ताल मिलाये बिना ताला लगाना दूर दरवाजा बन्द करना दूभर होता। ताल से ताले की व्युत्पत्ति और उत्पत्ति समझ में आती है। कुण्ड़ी के लिए अर्गला शब्द भी प्राचीन है। ताड़ के वृक्ष का सम्बन्ध कहीं ताल-तलैया-तालाब से तो नहीं?
ReplyDeleteअजित जी,
ReplyDeleteआज का आलेख बहुत महत्वपूर्ण है। ताल का उद्देश्य एक की सहायता से दूसरे में साम्य स्थापित करना है। संगीत में ताल गायन/वादन को अनुशासित करती है, उसे मर्यादा में बांध देती है। ताला भी यही करता है। बक्से से ले कर घर तक को मर्यादा में बांध देता है। ताली वह भी दो के सम्मिलन पर उत्पन्न शब्द है जो आल्हाद को प्रदर्शित करता है। आप ने बहुत से अर्थों और भावों को समेट लिया इस आलेख में।
आपके आलेख ने और दिनेश जी की टिप्पणी नें ज्ञान दीप जला दिया.
ReplyDeleteताल में ताला लगा कर, लाल लाला ने छिपाया।
ReplyDeleteढूढँते क्यों आशियाना, रेत का जब घर बनाया।
post or tippaniya dono hi gyanvardhak hai sa.
ReplyDeleteor pallo ki photo bahut hi badhiya hai.iska puranapan or tala bahut lubhavna hai.
ReplyDeleteprashansaa se pare lekh hai
ReplyDeleteगाना याद आ रहा है - युगल कमरे में बन्द हों और ताली खो जाये। उस समय कम से कम यह पोस्ट तो याद रहनी चाहिये!
ReplyDeleteकिसी ने पहले भी शिकायत की थी, वडनेरकर जी आज मेरी भी दर्ज करें कि कोई बीस बार रिफ्रेश करने और आधा घंटा प्रतीक्षा करने के बाद भी मैं कमेन्ट नहीं करा पाया आज सुबह. चलिए कोई बात नहीं मेरा नमस्ते स्वीकार करें और आपको मालूम हों कि मैं आपको नियमित पढ़ रहा हूँ साथ ही सीख भी रहा हूँ.
ReplyDeleteआपके ताल मेल का कहीं मुकाबला हो नहीं सकता इसलिए ये टिप्पणी बिना शब्दों की कारगुजारी के प्रेषित है.
अब कोई शिकायत नहीं पोस्ट हो गयी मेरी बात.
ReplyDeleteआपके ब्लॉग की छटा देखते ही बनती है सरकार और उसपे ये ज़ालिम लवली सा हिंदी टाइप का बक्सा ! फोटू भी कमाल और शब्द सम्पदा भी माला माल.
ReplyDeletem
ReplyDeleteआपके लेख पढ़कर नित् नया ज्ञान मिल रहा है |जीवन से जुडी हुई चीजो के बारे में इतना सूक्षम अध्ययन पहले कभी नही पढा |
ReplyDeleteआभार
तालिका (टेबल) का भी इससे कोई सम्बन्ध है क्या?
ReplyDeleteताला तो साहूकारों के लिए होता है चोरो के लिए नहीं ऐसा सुना है मैंने
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