शै शव से जुड़े कई शब्द हमारे चारों और धमाचौकड़ी मचाते रहते हैं। यह दिलचस्प है कि ज्यादातर शब्द ऐसे हैं जो पहली नज़र में तो देशज लगते हैं पर उनका रिश्ता तत्सम शब्दों से है। छोटू, छुटका, छुट्टन, मुन्नू, मुन्ना, मुन्नी जैसे शब्दों पर हम सफर की पिछली कड़ी में चर्चा कर चुके हैं। इसी सिलसिले में कुछ और शब्दों के साथ बढ़ते हैं सफर में।
गुड्डे-गुड़िया से बचपन की अभिन्न रिश्तेदारी है। छुटपन के प्रतीक गुड्डे-गुड़िया में एक शिशु की आदर्श छवियां होती हैं। खूबसूरत, सुंदर, गोलमटोल, स्वस्थ बच्चों का प्रतिरूप होते हैं ये। इन्हीं छवियों से आकर्षित होकर बच्चों को सीधे ही गुड्डा या गुड़िया नाम मिल जाता है। गुड्डा या गुड़िया की व्युत्पत्ति संस्कृत के गुडः शब्द से हुई है जिसमें गोल-मटोल, पिण्ड, काग़ज या कपड़े की गेंद अथवा कोई अन्य पिंड या पुतली का भाव है। गौरतलब है कि प्राचीनकाल में बच्चों के खिलौने कपड़े से ही बनते थे जिनमें
... छुटपन के प्रतीक गुड्डे-गुड़िया में एक शिशु की आदर्श छवियां होती हैं। वे खूबसूरत, गोलमटोल, स्वस्थ बच्चों का प्रतिरूप होते हैं …
संस्कृत की लल् धातु में लगाव, जुड़ाव और वात्सल्य का भाव है। बच्चों के लिए लाल, लाली जैसे शब्द इस्तेमाल होते हैं। कृष्णकन्हैया के लिए भी लाल या लाला शब्द प्रचलित है। लल् धातु में मूलतः क्रीड़ा, खेल, इठलाना, अठखेलियां करना आदि अर्थ छुपे हैं। पुचकारना, प्यार करना, चूमना, आलिंगन करना जैसे भाव भी इसमें हैं जो वात्सल्य से जुड़ते हैं। प्रसन्नचित्त, खुशमिजाज़ युवती के लिए ललना शब्द इसी मूल से आ रहा है। हिन्दी में ललित और ललिता क्रमशः पुरुष और स्त्री के नाम भी होते हैं। ललित का मतलब सुंदर, मनोहर, श्रंगारप्रिय, सरस, रुचिकर आदि होता है। देवी दुर्गा को भी ललिता कहते हैं स्त्री के लिए भी यह संबोधन है। रुचिकर और वैविध्यपूर्ण लेखन को ललित निबंध की संज्ञा दी जाती है। इससे ही बने लालनम् में लाड़-प्यार-दुलार छिपा है। इसीलिए लाल शब्द का अभिप्राय संतान खासतौर पर पुत्र भी होता है। संतान के अर्थ में ही लल्ला, लल्ली, लल्लन जैसे शब्द इसी मूल से उपजे हैं जिनसे लाड़ किया जाता है। लालन-पालन का पहला पद भी इसी मूल से आ रहा है। नामों के साथ भी लाल शब्द लगाने का प्रचलन है जैसे मोहनलाल, भंवरलाल आदि।
भारत में कायस्थों के लिए भी लाला सम्बोधन प्रचलित है और सेठ-साहूकारों को भी लाला ही कहने की परिपाटी रही है। कुछ दशक पहले तक व्यापारिक फर्मों के नाम संस्थापकों के नाम से होते थे और वे लाला या सेठ जैसे विशेषणों से ही शुरू होते थे। लाला शब्द पर फारसी का असर ज्यादा है। कायस्थों के लिए लाला शब्द के चलन के पीछे संभवतः इस विद्या व्यसनी समुदाय की शासक वर्ग में अच्छी पैठ होना रहा होगा। अरबी-फारसी ज्ञान के जरिये कायस्थों नें मुस्लिम शासन में ऊंचे ओहदे पाए और इन्हें बादशाहों ने बड़ी ज़मींदारियां नवाज़ीं। जाहिर है इस समाज के कई लोग बड़े प्रभावी रहे। जान प्लैट्स के कोश के मुताबिक फारसी में लाला का अर्थ होता है सरमायादार अथवा मालिक यूं इसके ठीक उलट मद्दाह साहब के शब्दकोश में इसका अर्थ गुलाम या दास बताया गया है। व्यवहार में लाल या लाला का जो रुतबा है उससे जाहिर है कि फारसी में लाला का मतलब मालिक या सरमायेदार अधिक सही है। जाहिर है इस शब्द में प्रभाव, शामिल है। शैशव के लिए लाल शब्द ने ही कुछ अन्य रूप भी लिए जैसे लालू, लल्ली, लल्लू आदि। हिन्दी क्षेत्रों में लल्लू शब्द का अभिप्राय मूर्ख और दब्बू से लगाया जाता है। इसके मूल में लाल शब्द में निहित बच्चे का भाव ही है। किसी वयस्क में बालपन के गुण उसे मूर्ख और दब्बू साबित करने के लिए पर्याप्त हैं क्योंकि वयस्क व्यक्ति में बुद्धि का विकास हो चुका होता है।
संबंधित कडिया-1. औलाद बिन वालदैन इब्न वल्दियत 2. मुनिया और छुट्टन के छोरा-छोरी
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लाल का रुतबा?? :)
ReplyDeleteलाला शब्द के विपरीत अर्थ मजेदार हैं । धन्यवाद ।
ReplyDeleteमन भावन पोस्ट। पवनपुत्र खुश हुए।
ReplyDeleteसचमुच सराहनीय प्रयास। भाई वाह। कुछ नयी बातों से भी अवगत हुआ।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
वाह क्या ललित लेख!
ReplyDeleteकृपया "ललित और ललिता क्रमशः स्त्री और पुरुष" में क्रम बदल दीजियेगा।
ReplyDeleteमेरे घर मे दो मुन्ना कक्कू हैं ,एक लल्लू मामा हैं,तीन बबलू चाचा हं,दो मुन्नी मौसी तथा एक गुड्डा दादाजी दो पप्पू नानाजी हैं जिनके असली नाम बहुतों को नही पता
ReplyDeleteहमेशा की तरह संग्रहणीय!
ReplyDeleteएक दोहा याद आ गया -
लाली तेरे लाल की, जित देखूँ तित लाल!
लाली देखन मैं चली, मैं भी हो गई लाल!!
बढ़िया पोस्ट ,फिर बधाई .
ReplyDeletebahut achchha laga ye lekh
ReplyDeleteज्ञानवर्धक सुन्दर विवरण....
ReplyDeleteआभार.
वाह - लोरी सी प्यारी पोस्ट!
ReplyDeleteहमारे यहाँ बिटिया को प्यार से ललिया कहा जाता है . और मजेदार बात यह गुडिया नाम की जब बुडिया हो जाती है तब भी गुडिया ही कहलाती है .
ReplyDeleteऔर हमेँ राधा जी का नाम "लाडली जी " भी याद आ गया - सुँदर पोस्ट !
ReplyDelete- लावण्या
लाला का अच्छा विश्लेषण है।
ReplyDeletebahut chulbuli post hai .
ReplyDeletemaje ki baat yeh hai ki lallu,bablu,munnu,lala khud baccho ke ma-baap ban jate hai to bhi nam yahi rahte hai asal naam kisi kisi ka samne aata hi nahi hai. or unke baccho ke nam rakhte vakt namo ki kami aa jati hai