Tuesday, June 15, 2010

गजनी, डीजी खान फिर गाजीपुर

islammoons “ अगर “अली” को “गढ़” से, “गाजी” को “पुर” से और “दिलदार” को “नगर” से अलग कर दिया जाएगा तो बस्तियां वीरान और बेनाम हो जाएंगी और अगर “इमाम” को “बाड़े” से निकाल दिया गया तो मोहर्रम कैसे होगा !
संबंधित कड़िया-1.गजनी, गजनवी और गजराज.2.माई नेमिज खान बहादुर पठान.3.बहादुर की जाति नहीं होती
जनी यानी अफगानिस्तान के एक शहर और सूबे का रिश्ता कुछ लोग गाजी (अ. ग़ाज़ी) से जोड़ते हैं। भारत में गाजी शब्द से लोग अपरिचित नहीं है। इतिहास से लेकर वर्तमान तक बेशुमार मुस्लिम नामों के साथ यह शब्द विशेषण या उपनाम की तरह चस्पा मिलेगा जैसे गाजी अनवर मसूद या सुहैल अहमद गाजी। गाजी शब्द मूलतः अरबी से बरास्ता फारसी हिन्दी में आया। बहादुर, वीर या योद्धा जैसा भाव इसमें हैं। गाजी शब्द से जुड़े कई स्थान नाम भी हैं जैसे गाजीपुर, थानागाजी, गाजियाबाद या डेरा गाजी खान (डीजी खान) आदि। गौरतलब है ये सभी नाम किसी न किसी गाजी नामधारी व्यक्ति से ही संबंधित हैं। पूर्वी उत्तरप्रदेश का गाजीपुर शहर जिला मुख्यालय है। दिल्ली से सटा हुआ गाजियाबाद भी उत्तरप्रदेश में है और थानागाजी राजस्थान के अलवर जिले की एक तहसील है। डेरा गाजी खान अब पाकिस्तान में है।
गाजी शब्द में शौर्य, बहादुरी, धावा जैसे भाव हैं जिसका रिश्ता सेमिटिक धातु g-z-w से है जिसमें मूल रूप से मुकाबला या प्रतिरोध का भाव है। अरबी में इससे गज़्यून, गिज्वा या ग़ाज़ा जैसे शब्द बनते हैं। इसी कड़ी में आता है गाजी ghजिसका अर्थ है धर्मयोद्धा, धर्मरक्षक। ग़ाज़ी में एक ऐसे सिपाही की छवि है जो अनीश्वरवादियों, नास्तिकों या काफिरों के खिलाफ जंग छेड़ता है। हिब्रू में इससे मिलती जुलती धातु gh-z-z है जिससे गाजा शब्द बना है। यह एक फलस्तीनी शहर है और इसका इतिहास बहुत पुराना है। ग़ाज़ा (पट्टी) का अर्थ होता है सुरक्षित, मजबूत, बहुमूल्य। जाहिर है इसमें गढ़, किला या कोट का भाव ही उभर रहा है। अरबी के गाजा पर कुछ असर हिब्रू का भी रहा हो। गाजा इसापूर्व तीन हजार साल पुराना शहर है जो अफ्रीका, यूरोप और एशिया के मुहाने पर तहजीब और तिजारत का बड़ा केंद्र रहा है। गजनी का रिश्ता अरबी के इसी गाजा शब्द से भी जोड़ा जाता है, हालांकि इसका कोई प्रमाण नहीं है। गजनी यानी योद्धाओं का गढ़ या वीर भूमि। यह कुछ कुछ उज्जयिनी की तर्ज पर लगता है। प्राचीनकाल में किन्हीं  आबादियों को उज्जयिनी का दर्जा मिल जाता था जिन्हें शासक अपनी राजधानी के रूप में चुनता था। उज्जयिनी का अर्थ है विजय दिलानेवाली। गौरतलब है कि कुम्भनगरी उज्जैन किसी जमाने में मालवप्रांत की राजधानी उज्जयिनी थी। इसका प्राचीन नाम अवंतिका था जिसका उल्लेख भारत की प्रसिद्ध सप्तपुरियों में है। राजस्थान के भरतपुर जिले में भी एक उज्जयिनी है। आज इसका नाम उच्चैन है। संभव है गजनी भी इसी तरह प्रचलित हुआ हो। किन्तु यहां सवाल उठता है कि वीरभूमि होने के चलते किसी स्थान को अगर गजनी विशेषण मिला तो उसका मूल नाम क्या था ? इसी तरह अफगानिस्तान, ईरान या अरब क्षेत्र में भी गजनी नाम की कई बस्तियां होनी चाहिए, जबकि इसका भी कोई प्रमाण नहीं है। अलबत्ता गजनी से यदुवंशी राजा गज की रिश्तेदारी के कई संदर्भ मिलते हैं।
ब बात गाजीपुर की। प्राचीन संदर्भों में गाजीपुर का उल्लेख गाधिपुर है। शब्दसंस्कृति पुस्तक में रामगोपाल सोनी ने गाजीपुर के बारे में दिलचस्प संदर्भ जुटाए हैं। उनके मुताबिक ह्वेनसांग ने इस क्षेत्र का उल्लेख चेन-चू के रूप में किया है जिसका अर्थ है युद्धों के स्वामी का राज्य। विद्वानों के अनुमान के अनुसार इसका नाम युद्धपतिपुर होगा। चेन-चू के अर्थ को अगर हिन्दी ध्वनियों का जामा पहनाया जाए तो गर्जपतिपुर या गर्जपुर जैसे शब्द विकसित होते हैं जिससे खींचतान कर गाजीपुर शब्द बनाया जा सकता है। कुछ अन्य विद्वान इस तर्क से भी सहमत नहीं है। उनके मुताबिक ह्वेनसांग का चेन-चू दरअसल उधरनपुर रहा होगा जिसका मूल रूप युद्धरनपुर है। इसका अर्थ चेन-चू से मिलता है। वर्तमान उधरनपुर भी गाजीपुर जिले में ही है। गाजीपुर का रिश्ता पौराणिक संदर्भों से भी जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि महर्षि विश्वामित्र के पिता राजा गाधि का यहां वास था और उन्हीं के नाम पर इसका नाम गाधिपुर पड़ा। इसी गाधिपुर से गाजीपुर रूपांतर हुआ। कुछ लोग कन्नौज का पुराना नाम गाधिपुर बताते हैं। हालांकि ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर वर्तमान गाजीपुर का रिश्ता तुगलक वंश से जुड़ता है। 1330 के आसपास सैय्यद मसऊद गाजी ने गाजीपुर बसाया। मान्यता है कि पहले इसका नाम गाधिपुर रहा होगा। यहां के हिन्दुओं को पराजित करने की एवज में सैय्यद मसऊद को मलिक उल सदत गाजी की उपाधि मिली। उसे मलिक गाजी या सईद मसूद भी कहा जाता है।
2706_Aadha-Ganv_lगाजीपुर के बारे में प्रसिद्ध लेखक डॉ राहीमासूम रजा का आधा गांव की भूमिका में बड़ा दिलचस्प और  फलसफाना सा बयान है- कहते हैं कि आषाढ़ की काली रात में तुगलक के एक सरदार सैयद मसूद गाजी ने बाढ़ पर आई गंगा को पार करके गादिपुरी पर हमला किया। चुनांचे यह शहर गादिपुरी से गाजीपुर हो गया। रास्ते वही रहे, गलियां वही रही, मकान भी वही रहे, नाम बदल गया – नाम शायद एक ऊपरी खोल होता है जिसे बदला जा सकता है। नाम का व्यक्तित्व से कोई अटूट रिश्ता नहीं होता शायद, क्योंकि यदि ऐसा होता तो गाजीपुर बनकर गादिपुरी को भी बदल जाना चाहिए था,या फिर कम से कम इतना होता कि हारनेवाले ठाकुर, ब्राह्मण, कायस्थ, अहीर, भर और चमार अपने को “गादिपुरी” कहते और जीतनेवाले सय्यद, शेख और पठान अपने को “गाजीपुरी”। परन्तु ऐसा नहीं हुआ। सब गाजीपुरी है और अगर शहर का नाम न बदला होता तो सब गादिपुरी होते। ये नए नाम हैं बड़े दिलचस्प। अरबी का “फतह” हिन्दी के “गढ़” से मे घुलकर एक इकाई बन जाता है। इसीलिए पाकिस्तान बन जाने के बाद भी पाकिस्तान की हकीकत मेरी समझ में नहीं आती। अगर “अली” को “गढ़” से, “गाजी” को “पुर” से और “दिलदार” को “नगर” से अलग कर दिया जाएगा तो बस्तियां वीरान और बेनाम हो जाएंगी और अगर “इमाम” को “बाड़े” से निकाल दिया गया तो मोहर्रम कैसे होगा !

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15 comments:

  1. मै भी गाजीपुरी हूँ , एक बात और, उधरनपुर , गाजीपुर जिले में ही है दिलदारनगर के पास.

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  2. गाजा पट्टी तो आज कल सबसे असुरक्षित क्षेत्र है

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  3. दिलचस्प तथ्य पता चले ..आभार.

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  4. बहुत विस्तृत विवेचना की है आप ने। मैं अवंतिका का अर्थ जानना चाहता था।

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  5. बड़ा ही रोचक लेख लगा.
    गाज़ीपुर का नाम गाधिपुर था यह एक नवीन जानकारी लगी.

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  6. अतिरोचक विवरण...

    राही मासूम रजा जी की बातें दिल को छू गयीं...

    बहुत बहुत आभार पढवाने के लिए...

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  7. पंकज उपाध्यायJune 15, 2010 at 3:51 PM

    वाह अजित जी वाह!! आख़िरी पैराग्राफ में राही मासूम रजा जी की लेखनी को सलाम!
    P.S. गाजीपुर में मेरे मम्मी और पापा का घर है और दिलदारनगर में फूफा जी का.. इन जगहों के शाब्दिक अर्थ और उनके विज्ञान के बारे में जानकार अच्छा लगा! आभार!!
    I am not able to comment on 'Shabdon ka safar'. Kindly comment there on my behalf..

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  8. अजित भाई
    आपने हमेशा की तरह ज्ञानवर्धक पोस्ट लिखी है पर आखिरी पैरे में तो गज़ब ही ढा दिया है मामला काफी फिलोसिफिकल हो गया !
    बहुत दिनों से मन मे एक बात थी और संयोगवश गाज़ा पट्टी का ज़िक्र भी हुआ है तो ज़रा एक पोस्ट फिलिस्तीन की राजधानी "रामल्लाह" पर भी हो जाये !

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  9. बहुत शुक्रिया साथियों....

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  10. शहरों के पुराने नाम थोड़ा सा बदलकर विजेताओं की जीत को सौंप दिये गये । एक पूरी ब्लॉग श्रंखला इस विषय पर निकाली जाये, यह प्रार्थना है ।

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  11. गज भर की पोस्ट !
    आपके लिखे का मुरीद हूँ!
    और हाँ दिलदार नगर और गाजीपुर का तो हूँ ही।

    बल्ले - बल्ले अजित दद्दा !

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  12. @सिद्धेश्वर
    आपकी जै हो। वैसे इस पोस्ट के बहाने बहुत से गाजीपुरी और दिलदारनगरी सामने आ गए। अब कह सकते हैं कि पूरब वाले सिर्फ बनारसी या गोरखपुरी ही नहीं होते।

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  13. "वैसे इस पोस्ट के बहाने बहुत से गाजीपुरी और दिलदारनगरी सामने आ गए। अब कह सकते हैं कि पूरब वाले सिर्फ बनारसी या गोरखपुरी ही नहीं होते।"
    :)

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  14. जय हो। बांचकर मन खुश हुआ।

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  15. किसी से कुछ कहना था इसलिये फ़िर से आया था ’आधा गाँव’ का ये हिस्सा पढने... कितनी ही बार पढो इसे, ये हर बार कोई बहुत पास की बात करता सा दीखता है..।

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