Wednesday, October 12, 2011

गलाटा नक्को करने का !

loud-mouth
क्कनी के शब्दों की हिन्दी में आमद मुम्बइया फिल्मों के ज़रिये अर्से से होती रही है। तुर्क-पठानों नें आठ-नौ सदी पहले से दक्षिण में बसना शुरू कर दिया था। फ़ारसी, हिन्दवी और हिन्दी की कई बोलियों से छनते छनते इन तुर्कों का वास्ता जब दक्खिन की कोंकणी, कानड़ी और मराठी बोलियों के शब्दों से हुआ तो एक निरालापन पैदा हो गया। संस्कृतियों के हेलमेल, लगत-जुड़त और उससे बढ़ कर संकरण की प्रकिया में ही सृजन की इतनी ऊर्जा निहित है कि इससे गुज़र कर बने शब्द को एक नई पहचान, नई अर्थवत्ता मिल जाती है। ऐसा ही एक शब्द है ‘गलाटा’। महाराष्ट्र और कर्नाटक के सीमावर्ती क्षेत्रों में इसे बोला समझा जाता है। आमतौर पर यह टपोरियों का शब्द है। ‘गलाटा’ यूँ तो मुम्बइया हिन्दी के ज़रियों फ़िल्मों और जासूसी उपन्यासों में सुनने-पढ़ने को मिलता है मगर बिन्दास की तरह कुछ सालों में यह भी हिन्दी वालों का पसंदीदा बन जाएगा, इसमें संदेह नहीं।
‘गलाटा’ बोले तो गड़बड़ी या पेचीदगी। बखेड़ा, फ़साद, टंटा वग़ैरह वग़ैरह। झगड़ा, फ़साद, टंटा, में बहुत कुछ देखने-सुनने लायक होता है। यानी गड़बड़ियों की इन तमाम क़िस्में में हाथापाई से लेकर ज़बानदराज़ी तक सब शामिल है। मगर कुछ गड़बड़ियाँ बड़ी खामोंश होती हैं जैसे काम बिगड़ जाने से जुड़ी कई स्थितियाँ। सगाई टूटना भी ‘गलाटा’ है और ट्रेन चूकना भी गलाटा है। मगर गलाटा की असल रिश्तेदारी खामोशी से नहीं वरन हल्ला-गुल्ला से है। गलाटा शब्द दरअसल मराठी के ‘गळ्हाटा’ या ‘गळ्हाठा’ से बना है। हिन्दी भाषी ‘ळ’ का उच्चार ‘ल’ या ‘ड़’ की तरह करते हैं। इसका चालू उच्चारण होगा ‘गळाटा’ जिसे हिन्दी वालों ने ‘गलाटा’ कहना शुरू किया। आमतौर पर मराठी-कोंकणी का जो शब्द मुंबइया हिन्दी में प्रचलित होता है उसके पीछे वहाँ के हिन्दीभाषियों  से ज्यादा मुंबई के तमिल, कन्नड़ और गुजराती समाज में उस शब्द का प्रचलित रूप महत्वपूर्ण होता है। वैसे ‘गळ्हाटणें’ मराठी की बहुप्रचलित क्रिया है और इससे बने ‘गळ्हाटा’ का दक्कनी में ‘गलाटा’ रूप प्रचलित हुआ। ‘गळ्हाटणें’ का शाब्दिक अर्थ है गला फाड़कर रोना। मगर बतौर मुहावरा इससे बने गळ्हाटा का अर्थविस्तार होता है और इसमें कुछ गुम होना, कमी पड़ना, क्षीण होना, ह्रास होना, गड़बड़ी, अस्तव्यस्ता, उन्माद, बखेड़ा, शांति भंग जैसे भाव शामिल हो जाते हैं।
‘गळ्हाटणें’ का ही एक रूप गळ्हाटा / गल्हाठा होता है जिससे ‘गलाटा’ बना। गौर करें मराठी के ‘ळ’ का उच्चारण भी हिन्दी में ‘ल’ की तरह होता है हालाँकि मराठी में यह स्वतंत्र व्यंजन है। गुजरात के सीमित क्षेत्रों और समूचे राजस्थानी बोलियों भी की उपस्थिति है। ‘गला’ को मराठी में ‘गळा’ कहा जाता है। गला या गळा बना है संस्कृत की ‘गल्’ धातु से जिसका अर्थ है टपकना, चुआना, रिसना, पिघलना आदि। गौर करें इन क्रियाओं में नष्ट होने, खत्म होने का भाव भी है। इसका एक अन्य अर्थ है अन्तर्धान होना, गुजर जाना या ओझल हो जाना आदि। हिन्दी के गली और गला शब्द का रिश्ता इसी गल् धातु से है। मराठी में ‘गली’ का ‘गल्ली’ रूप है और गला को गळा कहा जाता है। सम्बन्ध संस्कृत ‘गल्’ से ही है। गौर करें गले की संरचना पर। मुँह के ज़रिये हलक़ में जो कुछ भी जाता है, वह अंतर्धान हो जाता है, ग़ायब हो जाता है। ‘गल्’ से बनी ‘गलन’ क्रिया का अर्थ है टपकना, रिसना आदि। ये क्रियाएँ ज़ाहिर करती हैं कि टपकना और रिसना अनंतकाल तक नहीं हो सकता, अर्थात रिसने वाला पदार्थ खत्म भी होगा। यहाँ जो खत्म होने का भाव है, अंतर्धान होने का भाव है उसे गले में उतरते भोजन के ज़रिए समझा जाए। मुँह में रखा पदार्थ गले में जाकर गायब हो जाता है। यही है गल् का क्रियारूप। इससे ही बना है एक मुहावरा निगल लेना या निगलना। किसी वस्तु या सामग्री को हड़पने या कब्ज़ा जमाने के संदर्भ में निगलना मुहावरा इस्तेमाल होता है।
हिन्दी के ‘गला फाड़ना’ मुहावरे का शाब्दिक अर्थ मराठी के ‘गळ्हाटणे’ जैसा ही है मगर जो बात ‘गळ्हाटा’ और ‘गलाटा’ में है वह ‘गला फाड़ना’ में नहीं। गौर करें कि गल् धातु में निहित भावों पर। गायब होने, नष्ट होने, रिसने, चूने, पिघलने जैसी क्रियाओं में हानि का, रहित होने का, रीतने का भाव है। तयशुदा नतीजों के न आने, योजना चौपट होने, अनहोनी जैसी स्थितियों को ही गड़बड़ी कहा जाता है। बना बनाया काम बिगड़ जाना ही बखेड़ा है और प्रकारान्तर से यही गळ्हाटा या गलाटा है। यूँ कुछ लोगों का मानना है कि काम बिगड़ने पर यूँ भी इन्सान गला फाड़कर रोता है, आर्तनाद करता है, क्रंदन करता है इसलिए गलाटा का लाक्षणिक अर्थ बखेड़ा या काम बिगड़ना हुआ,इसका मूलार्थ बुक्का फाड़ कर रोना ही है। मेरा मानना है कि गळ्हाटणे क्रिया में गला फाड़ कर रोना या बुक्का फाड़ना जैसे अर्थ निहित हैं मगर गलाटा करना, गलाटा होना में आर्तनाद, क्रन्दन या गला फाड़ना जैसे भाव न होकर कुछ रीतने, हानि होने से उत्पन्न बखेड़े या अशांति का भाव प्रमुख है।

ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें

8 comments:

  1. गला-गळा की कहानी ठीक ठाक रही…

    ReplyDelete
  2. पिछले कुछ समय से बंगलौर में हूं। जहां रहता हूं वह ग्रामीण क्षेत्र है। अपने मकान मालिक के मुंह से पहली बार यह शब्‍द सुना था। इसका मूल जानकर अच्‍छा लगा।

    ReplyDelete
  3. यहाँ बड़ा प्रचलित शब्द है, आज अर्थ पता चल गया।

    ReplyDelete
  4. मैंने तो पहली ही बार पढा इसे और इसके बारे में।

    ReplyDelete
  5. गळाठा तो मालूम था थकान के अर्थ में ये और और जो अर्थ आपने बताये ये इस पोस्ट से पता लगे । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  6. वाह! इतने प्रचलित शब्द का मूल जानकर अच्छा लगा।

    ReplyDelete
  7. अच्छा लगा यह गलाटा. पसंद आने पर 'वहां' क्लिक किया तो गलाटा हो गया, पता चला कि "यू आर आलरेडी फालोइंग दिस ब्लॉग"
    धन्यवाद, इस पोस्ट के लिए...

    ReplyDelete