बावर्ची को अंग्रेजी में शेफ़ कहते हैं । पांच सितारा होटलों का लंबे से हेट वाला
महाराज यानी होटल की रसोई का प्रमुख
शेफ़ कहलाता है और अपनी खास कैप यानी

टोपी की वजह से अपनी अलग पहचान भी रखता है।
कैप, शेफ़ और हैड यानी सभी बातें ख़ास हैं। अब एक ख़ास बात पर और ध्यान दें । ज्यादातर ख़ास लोगों की अलग पहचान
कैप से ही होती है। सबसे प्रमुख व्यक्ति को अंग्रेजी में
हैड ही कहते हैं और यह शब्द हिन्दी में भी खूब इस्तेमाल होता है जैसे
हैडमास्टर, हैडकुक,हैडनर्स, हैडसाब ( गांवो में थानेदार को इस नाम से भी बुलाते हैं ) यही नहीं, प्रमुख के लिए
कैप्टन शब्द भी आम है जिसका हिन्दी रूप
कप्तान होता है। अब कहने की ज़रूरत नहीं कि हैड यानी सिर मानव शरीर का सबसे प्रमुख हिस्सा है इसलिए प्रमुख के अर्थ में ही कई भाव इसमें समाहित हो गए।
मगर बात चल रही थी शेफ़ की। शेफ़ दरअसल अंग्रेजी का नहीं बल्कि फ़्रैंच भाषा का शब्द है । फ़्रैंच में एक मुहावरा है
शेफ़ डी क्विजिन (chef de cuisine ) अर्थात प्रमुख रसोइया। इसी का छोटा रूप शेफ़ के तौर पर पूरी दुनिया में शोहरत पा गया। प्रमुख व्यक्ति के लिए अंग्रेजी का
चीफ़ शब्द भी फ्रैंच से ही आया है और शेफ़ की उत्पत्ति का आधार भी वही है।
गौरतलब है कि चीफ़ शब्द इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार का शब्द है और इसकी उत्पत्ति हुई है लैटिन शब्द
कैपुट (caput) से जिसका मतलब होता है सिर। यही शब्द जर्मन में Haupt और पुरानी अंग्रेजी में heafod होते हुए अंग्रेजी के head में ढल गया।

अब इस सिर यानी कैपुट का
कैप, कैप्टन और कप्तानी से रिश्ता भी समझ में आने लगा होगा। किसी भी देस – राज्य की राजधानी सबसे प्रमुख शहर होती है इसीलिए उसे कैपिटल कहा जाता है यह इसी कड़ी का शब्द है। इटली के माफिया सरगना के लिए
कैपोन (अल कैपोन) शब्द भी इसी मूल से बना है। इंडो यूरोपीय भाषा परिवार का शब्द होने के नाते इसका संस्कृत रूप हुआ
कपाल और
खर्परः जिसका अर्थ भी सिर, मस्तक आदि है। खोपड़ी, खप्पर, खुपड़िया, खोपड़ा आदि इसी कपाल या खर्परः के देशी रूप हुए। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि क्यों शेफ़ की खोपड़ी पर लंबी कैप रहती है ? चीफ़ जो ठहरा।
[कुछ और जानकारी के लिए देखें सफर की
यह कड़ी ]
आपकी चिट्ठियां सफर की पिछली कड़ी-
बावर्ची , लज्ज़त के साथ भरोसा भी सर्वश्री दिनेशराय द्विवेदी, तरुण, अनूप शुक्ल, डा चंद्रकुमार जैन, राजेश रोशन, संजीत त्रिपाठी , अनिताकुमार , घोस्ट बस्टर और जोशिम (मनीष ) की टिप्पणियां मिलीं। आपका बहुत बहुत आभार।
नई शृंखला के साथ सफर भी निरंतर जारी रखें अजित भाई. रसोई और रसोइया के बारे में भी तो बताइए कि ये कहां से आए और कैसे बने .... बावर्ची के साथ लज्जत और भरोसा का जिक्र बहुत गहरी बात कही.
ReplyDeleteशब्दों के सफर की पोस्ट भी अपुन की खोपड़ी बजाती ही आती है।
ReplyDeleteपढ़ रहा हूं..
ReplyDeleteकेपुट से Taeniatherum caput-medusae नामक वनस्पति की याद आ गयी। इस घास की बाली ग्रीक की आदि महिला पात्र मेडुसा के सिर की तरह प्रतीत होती है इसलिये इसकी इस जाति को caput-medusae कहा जाता है।
ReplyDeleteहम भी पढ़ लिये। बहुत कुछ घुस गया खुपड़िया में।
ReplyDeleteहम भी आपको उस्ताद खोपदी मान गये जी..:)
ReplyDeleteशब्दों सफ़र के कप्तान साहब !
ReplyDeleteसचमुच आप एक अंजान डगर पर ले चलते हैं
अपने हमराह को और कप्तान पर भरोसा इतना
परत-दर-परत खुलती जाती है राहें बोध व समझ की ,
बगैर किसी उलझन के ,ऊन के गोले की तरह !
यह भी मानना पड़ेगा की कैप वाले लोग
बड़े केपबल भी तो होते हैं इसीलिए वे लोगों को कॅप्टिवेट
यानी मंत्रमुग्ध कर देते हैं !
आभार .
अजित जी हमेशा की तरह ही रोचक और जानकारी भरा रहा यो शब्दों का सफर भी । कपाल ,कप्तान केप,केपिटल,कापुट, शायद लेटिन शब्द Cephalus भी इसी कपाल का चचेरा ,मौसेरा भाई हो। पर बस आनंद आ गया
ReplyDeleteशेफ की लंबी टोपी को क्या कहते हैं
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