Thursday, June 26, 2008

उफ , ये तनबदन और तुनुकमिज़ाजी !

रीर या देह के लिए हिन्दी में एक शब्द आमतौर पर बोला जाता है तन-बदन । इन दोनों ही शब्दों का अर्थ एक ही है मगर यह शब्द-युग्म मुहावरे का असर पैदा करता है। वैसे इस शब्द का हिन्दी में प्रयोग उर्दू की देन माना जाता है । ये शब्द फारसी अरबी में भी मौजूद है और माना यही जाता है कि इनकी आमद इन्हीं भाषाओं से हुई है मगर ऐसा है नहीं। ये शब्द आर्यभाषा परिवार के हैं और बरास्ता संस्कृत होते हुए फारसी से अरबी में पहुंचे हैं।

संस्कृत में एक धातु है वद् जिसका मतलब होता है कहना , बोलना आदि । इस धातु से हिन्दी में अनेक शब्द बने हैं । गौरतलब है कि वद् यानी कहने-बोलने की क्रियाएं मुख से ही संपन्न होती है इसलिए इससे बने वदनम् का अर्थ हुआ मुख , चेहरा , मुखड़ा आदि। इससे ही श्रीगणेश के लिए गजवदन (हाथी के मुख वाले) चंद्रवदन(चांद सा चेहरा) कमलवदन (कमलमुख) जैसे नाम प्रचलित हुए हैं। वदनम् से ही प्राचीन फारसी में वदन शब्द प्रचलित हुआ जिसका अर्थ भी देह, शरीर , मुख आदि है। फारसी के प्रभाव में कई मुहावरे भी इससे बने जैसे (तन) बदन मे आग लगना, बदन हरा होना ,बदन टूटना , बदन सूखना ( या सूख कर कांटा होना आदि। यही शब्द अरबी में देह/जिस्म के अर्थ में बदन बन कर ढल गया । बदन से अरबी-फारसी में बदनसाज़ी जैसा शब्द भी चला है जिसका मतलब होता है शरीरसौष्ठव, बॉडी बिल्डिंग आदि। बदन शब्द इंडोनेशिया की भाषाओं में भी जस का तस है। स्पैनिश में एक पोशाक का नाम है अल्बदेना जो कि शरीर पर चिपकी (स्किनटाइट) रहती है, जाहिर है इसी बदन से आ रही है और बदन पर छा रही है ।

ब आते हैं तन पर । इसका जन्म भी संस्कृत धातु तन् से हुआ है जिसका मतलब होता है खींचना, लंबा करना , पतलापन आदि । शरीर का गुण है वृद्धि । समय के साथ शरीर खिंचकर ही युवा होता है । इससे बने हैं तनु अर्थात् सुकुमार यानी दुबला, कुमार। तन् के खिंचाव वाले भाव बखूबी उजागर हो रहे हैं प्राचीन भारोपीय धातु ten में जिसका मतलब भी होता है खिंचाव। तम्बू यानी टेंट इससे ही बना है। गौर करें की तंबू को खींच कर ही ताना जाता है। साफ है की तानना भी तन् से ही आ रहा है। इसी तरह ऊंचे सुरों में लयकारी को संगीत की भाषा में तान कहते हैं जो इसी से उपजी है। पतले सूत्र,तार या धागे को तन्तु कहते है जिसका मूल यही है। यही तन् फारसी में कुछ अर्थविस्तार के साथ पहुंचता है तुनुक बनकर। बात बात पर तन जाने वाला यानी स्वभाव का खिच्चड़ हुआ तुनुकमिज़ाज। तो साफ है कि तन चाहे देह की परिभाषा में सही साबित हो रहा हो मगर बदन तो चेहरा ही है।

11 comments:

  1. जान गये तन-बदन के बारे में. आभार इस ज्ञान का.

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  2. सुंदर तन और तुनक मिजाजी का तो चोली दामन का साथ है। और ये क्या फोटो लगाए कि मुस्कुराना ही बंद हुआ।

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  3. ब्लॉग लेखन एवं पठान दोनों में हे नया हूँ. नीरज रोहिल्ला जी ने आपके ब्लॉग की तारीफ़ की तो चला आया और इसे आशा से बढ़कर ही पाया.

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  4. मारी सम्झ मे आज ही आया ये गाना " प्यार की आग मे तन बदन जल गया" सौंजन्य से समीर भाई :)

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  5. बदन से बदनसाज़ी तक
    और
    तन से तुनकमिज़ाज़ी तक
    ====================
    जानकारी के तंबू में
    आज सुनी ये तान
    ओ चेतन, मत तन
    जीवन क्या है जान.
    ====================
    आभार
    डा.चन्द्रकुमार जैन

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  6. @दिनेशराय द्विवेदी-
    लीजिए हुज़ूर, हमने तन-बदन वाली तस्वीर हटा दी है :)

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  7. हमारी पिछली तस्वीर ही छुट गई :-)

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  8. बहुत अच्छी जानकारी दी अजित भाई.

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  9. बढ़िया जानकारी मिली इस युग्म शब्द के बारे में.

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