![]() | प्रकृति में दोहराव का क्रम महत्वपूर्ण है। यहां नया कुछ नहीं है बल्कि हर क्षण लौट कर आ रहा है। |
संदर्भ सूत्र-लिफाफेबाजी और उधार की रिकवरी
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बहुत उपयोगी विवेचन है। इस से एक बात भी समझ में आती है कि सभी भाषाओं में शब्दों के विकास का क्रम लगभग एक जैसा रहा है।
ReplyDeleteकितनी विवधता भरी जानकारी हर बार मिलती है कि अब तो यहाँ आने के पहले ही आदतन दाँतों तले ऊँगली दबा कर ही आते हैं. :) आपका ब्लॉग अद्भुत ज्ञान का भंडार है.
ReplyDeleteअत्यन्त सार्थक आलेख ! आभार ।
ReplyDelete’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’
ReplyDelete-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.
नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'
कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.
-सादर,
समीर लाल ’समीर’
yah sala naam ka jeev bhi kya saal se hi sambndhit hai . yah bhi saal dar saal aata hai
ReplyDeleteबहुत उपयोगी जानकारी।
ReplyDeleteनये वर्ष पर आपका ये लेख अति सुंदर है.
ReplyDeleteआप सहित सभी मित्रो को नये साल के आगमन पर शुभकामनाये।
ज्ञानवर्धक पोस्ट ,धन्यवाद.
ReplyDeleteबहुत बडिया। चार पाँच दिन नेट से दूर थी पिछली कडियाँ समय मिलते ही पाढती हूँ। धन्यवाद्
ReplyDeleteआप की दृष्टि विशाल होती जा रही है.यह पोस्ट बहुत पठनीय है.जर्नल भी इस कड़ी में ले आते. देशी महीनों के नामों की व्युत्पति का इंतजार है. यह बताना कि शक्तिवर, जोरावर, ताकतवर( जल्दी में और याद नहीं आ रहे) के पीछे लगा वर, वृ धातु से है.
ReplyDeleteबहुत ही शानदार।
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
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