अ क्सर विरोध के अर्थ में हिन्दी में खिलाफ शब्द का प्रयोग किया जाता है। इसके क्रियाविशेषण रूप में खिलाफत शब्द का प्रयोग भी ठाठ से होता है जो ग़लत है जबकि होना चाहिए मुखालफत। हिन्दी मीडिया जगत में अक्सर इस मुद्दे पर कहा जाता रहा है। यूं खिलाफत और मुख़ालिफ़त दोनों ही शब्द एक ही मूल से जन्में हैं मगर दोनों के अर्थ में ज़मीन आसमान का अन्तर है। मुख़ालिफत का मतलब होता है विरुद्ध होना, विरोध करना। इसके मूल में खिलाफ शब्द है जबकि खिलाफत में परम्परा खासतौर पर इस्लामी शरीयत की परम्परा के तहत प्रशासनिक व्यवस्था का भाव है। खिलाफत के उपरोक्त अर्थ को खलीफा शब्द से भी जोड़ कर देखा जाता है मगर वह सरलीकरण है। भारत में खिलाफत आंदोलन (1919-1924) के संदर्भ में भी लोग इस शब्द से परिचित है जो ब्रिटिश दौर में बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में तुर्की के आटोमन शासकों को अंग्रेजों द्वारा अपदस्थ करने के विरोध में चला था जिन्हें उस वक्त खलीफा का दर्जा प्राप्त था।
दरअसल खिलाफ, खलीफा, खिलाफत, मुखालफत एक ही मूल से जन्मे हैं। यह अरबी भाषा का शब्द है। सेमिटिक भाषा परिवार की धातु ख़ल्फ़ khlf से इनकी व्युत्पत्ति हुई है जिसमें वारिस, विरासत, उत्तराधिकार या पीछे का भाव है। इसके अलावा इसके मायने कपूत या बिगड़ी हुई संतान भी हैं। इसी धातु से बना है खलीफा जिसका अभिप्राय हिन्दी में शासक, बादशाह, राजा से लगाया जाता है मगर वास्तविक अर्थ है उत्तराधिकारी या वारिस। गौर करें, सभी शासक किसी न किसी के वारिस रहे हैं सो बतौर शासक भी खलीफा में वारिस का भाव विद्यमान है। मोहम्मद साहब के बाद इस्लामी विश्व के धर्मगुरू और धर्मराज्य के वारिस के तौर पर अबु बक्र ने ही काम सम्भाला था। वही खलीफा कहलाए क्योंकि उन्हें खिलाफत हासिल हुई जो ख़ल्फ़ से ही बना शब्द है। खिलाफत यानी विरासत। दुनिया के लिए खिलाफत का मतलब हो गया शासनाधिकार और खलीफा यानी शासक। मद्दाह के उर्दू हिन्दी कोश मे खलीफा का
अब्बासी खलीफाओं में सबसे मशहूर खलीफा हारूं अल रशीद की मध्य एशिया में मिली(ई.850)कांसे से बनी प्रतिमा जिसका उपयोग शतरंज के मोहरे की तरह होता था। मतलब प्रतिनिधि, नायब, नुमाइदा अथवा किसी के स्थान पर उसका काम करनेवाला है। मुस्लिम शासकों की एक उपाधि रही है खलीफतुल मुस्लिमीन इसका मतलब हुआ मुसलमानों का नेता।
अरबी भाषा में क्रिया विशेषण बनाने के लिए अत प्रत्यय का इस्तेमाल होता है जैसे विरासत, अमानत आदि। इस लिहाज से देखें तो खिलाफ से सहज तौर पर खिलाफत बना लेने का सिलसिला शुरू हुआ जो लगातार जारी है, मगर यह गलत है। पहले देखें कि खल्फ से बने खिलाफ़त शब्द में जब वारिस का भाव है तो इसी धातु से बने खिलाफ शब्द में विरुद्ध, विरोध जैसे अर्थ कैसे समा गए!! दरअसल खल्फ़ में निहित विरासत के भाव का अर्थ हुआ अनुसरण करना, अनुगमन करना। वारिस वही बनता है जो बाद में आता है, पीछे से आता है। अरबी, फारसी, उर्दू में एक शब्द है मुखालिफ जिसका मतलब होता है विरोधी, दुश्मन, प्रतिद्वन्द्वी आदि। मूल रूर से खल्फ से बने मुखालिफ में भाव था वह व्यक्ति जिसे विरासत मिलेगी। गौर करे कि अगर किसी गुरु का शिष्य उसकी परम्पराओं पर नही चलता है या उनसे मतभेद रखता है तो उसे क्या समझा जाएगा? जाहिर है बड़ी आसानी से उसे विरोधी कह दिया जाएगा। खल्फ से जन्मे अरबी के खिलाफ शब्द में यही भाव है। कालांतर में मुखालिफ का अर्थ भी विरोधी या प्रतिद्वन्द्वी के तौर पर रूढ़ हो गया।
मुखालिफ में निहित दुश्मन या शत्रु वाले भाव पर भी गौर करें। यहां भी खल्फ में निहित विरासत का भाव ही उभर रहा है। विरासत यानी उत्तराधिकार अर्थात वह हक जो बाद में प्राप्त होता है। वंशक्रम में उत्तराधिकारी वही होता है जो छोटा होता है, जो वर्तमान प्रमुख का कनिष्ठ है, जो पीछे से आता है। यह शिष्य, पुत्र, अनुसरणकरता भी हो सकता है। खास बात यह कि विरासत में पीछे या पश्चात का भाव ही उभर रहा है। अब शत्रु के चरित्र पर गौर करें। वह भी छुपकर, पीछे से वार करता है। सवाल उठता है कि विरोध या शत्रु हमेशा पीछे से आए ज़रूरी नहीं। विऱोध सामने से भी होता है। गौर करें कि किसी का भी विरोध तब होता है जब उसे जान लिया जाता है। अर्थात उसकी परम्परा, चालचलन, चरित्र को जानने के बाद ही उसका समर्थन या विरोध होता है। अर्थात जानने के पश्चात ही विरोध होता है। यहां पश्चात पर ध्यान दें। जान लेने के बाद विरोध आमने-सामने का भी हो सकता है। स्पष्ट है कि खल्फ से बने खिलाफ शब्द का क्रियाविशेषण मुखालफत बनता है। खिलाफत में विरासत, प्रशासनिक अमल या शरीयत की व्यवस्था पर अमल जैसे भाव निहित हैं। खलीफा से खिलाफत शब्द नहीं बना है बल्कि ये दोनों शब्द एक ही धातुमूल खल्फ से निकले हैं। अंग्रेजी में इसके रूप है कालिफ Caliph और Caliphate. इधर खलीफा शब्द की अवनति भी हुई है। गुरु, उस्ताद, बुद्ध, पीर की तरह से खलीफा शब्द भी चालाक, अतिचतुर और अपना काम निकालने में माहिर व्यक्ति के लिए इस्तेमाल होने लगा है।
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रोचक, ज्ञानवर्धक. आभार.
ReplyDeleteप्रचलित शब्दों की तह में जाकर आइना दिखाने के लिए धन्यवाद!
ReplyDeleteखिलाफ और मुखालफत की जानकारी का सफर शानदार रहा..। आभार ।
ReplyDeleteकैसी कैसी खींच तान करते रहते हो भाऊ !
ReplyDelete'कपूत या बिगड़ी हुई संतान' अच्छा लगा। समस्या जड़ में ही है।
खिलाफत आन्दोलन की अच्छी याद दिलाई आप ने।
स्वतंत्रता आन्दोलन को गलत दिशा गान्धी के इस आन्दोलन के समर्थन से मिली थी जिसकी परिणति बँटवारे और हिन्दू मुस्लिम के मध्य स्थाई वैमनस्य की भावना में हुई।
इस्तेमाल से शब्दों के अर्थ विपरीत हो जाते हैं। हम पैदा हुए तो पिछले साल का मतलब 2008 और अगले का 2010 होता था। जब बच्चे पैदा हुए तो पिछला साल 2010 और अगला 2008 हो गया। यही खिलाफत के साथ हुआ।
ReplyDeleteखिलाफत और मुखालफत का दौर आजकल बी जे पी में ज्यादा चल रहा है .
ReplyDeleteआपकी तो खिलाफ़त भी नही कर सकते।
ReplyDeleteअक्सर ही खिलाफत शब्द का उपयोग हम गलत अर्थों में ही करते आयें हें ..जानकारी विशुद्ध है ...वैसे शैरी भोपाली की एक गजल में ...मेरी मुखालिफत पर मजबूर है ज़माना .....शब्द गुनगुनाया करते हें लेकिन आपके सफर ने सही अर्थ की जानकारी दी ...आपके सफर और गणपति पर्व की शुभकामना
ReplyDeleteअब टिपेर रहे हैं सीधे सीधे!
ReplyDeleteआपकी खिलाफत कैसे कर सकते हैं! आपतो शब्द जगत के खलीफा हुये|
आपकी ऊर्जा तो बेमिसाल है!
बेहद रोचक जानकारी है
ReplyDeleteआभार
जब भी आपके ब्लोग को पढता हूं..तो मन एक ही बात कहने को करता है...देखो जी..ये है हिंदी ब्लोग्गिंग की एक खास बात....अब बताओ किसे नज़र नहीं आता ये...क्य कहूं..ये सफ़र चलता रहे..निरंतर..यही शुभकामना है..
ReplyDeleteबेहद रोचक जानकारी है
ReplyDeleteधन्यवाद
venus kesari
very interesting post ..
ReplyDeletelearn some thing new every time :)
ये तो कमाल की पोस्ट रही.
ReplyDeleteआज शुक्रवार दिनांक 11 सितम्बर 2009 को खिलाफत के विरोध में शीर्षक से यह पोस्ट जनसत्ता दैनिक में संपादकीय पेज पर प्रकाशित की गई है। बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteमुखालफत है या मुखालिफ़त?
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