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Wednesday, June 30, 2010
छाई पच्छिम की बदरिया…[मेघ-1]
Sunday, June 27, 2010
आज़ादी और ज़ात-बिरादरी
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Friday, June 25, 2010
पाणिनि के पीछे पश्चिमी पंडित!!
...प्रख्यात मार्क्सवादी आलोचक, विचारक, भाषाविद् और मेरे प्रिय लेखक रामविलास शर्मा की प्रसिद्ध पुस्तक भाषा और समाज के दूसरे संस्करण की भूमिका का यह अंश पेश है। मार्क्सी होने की आड़ में बारहा उनकी आलोचना करनेवालों की आंखें इसे पढ़ कर खुल जानी चाहिए कि भाषाविज्ञान को लेकर डॉक्ट्साब का दृष्टिकोण क्या था और कितनी व्यापक दृष्टि उनकी थी। ...
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Wednesday, June 23, 2010
उपला, मालपूआ और कंडा
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Monday, June 21, 2010
कुलटा बन गई पतुरिया
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Sunday, June 20, 2010
बोधिसत्व से भोपाल में मुलाकात…
बोधिभाई को कुछ दुर्लभ दिखाने की फिक्र अभी से खाई जा रही है। करता हूं कुछ जुगाड़। न हो सका तो उनकी संभावित भोपाल यात्रा में अड़ंगा लगाने कोशिश की जाएगी। |
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Friday, June 18, 2010
झांसा खाना, झांसा देना
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Tuesday, June 15, 2010
गजनी, डीजी खान फिर गाजीपुर
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Monday, June 14, 2010
गजनी, गजनवी और गजराज
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Friday, June 11, 2010
हाल कैसा है जनाब का!!
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Wednesday, June 9, 2010
प्रस्ताव और स्तुति
किसी योजना की शुरुआत प्रस्ताव रखने से होती है अर्थात कार्ययोजना का परिचय, उसकी तारीफ ही प्रस्ताव है। यूं आप्टे कोश के मुताबिक प्रस्ताव का अर्थ है प्रवचन का प्रयोजन। |
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Sunday, June 6, 2010
प्रकांड, गैंडा और सरकंडा
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Friday, June 4, 2010
जरूर कोई ‘कांड’ हुआ है…
कांड का अर्थ लकड़ी, लाठी या बेंत भी होता है। कांड में निहित अनुच्छेद या अनुभाग का भाव बांस के तने की बनावट पर ध्यान देने से स्पष्ट होता है।
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