Monday, October 6, 2008
आबनूसी रंगत तेंदू की !
ब चपन में देवकीनंदन खत्री और प्रेमचंद के उपन्यासों के जरिये हिन्दी के जिन अनोखे शब्दों से परिचय हुआ उनमें एक आबनूस भी था जो अपने वर्णक्रम और ध्वनियों की वजह से बहुत आकर्षित करता था। आबनूस जैसा या आबनूसी रंग जैसे शब्द-प्रयोग किताबों में पढ़ते थे , अलबत्ता बोलचाल में कभी ये शब्द नहीं सुना ।
आबनूस की लकड़ी काफी महंगी होती है। यह बेहद महंगी इमारती लकड़ी की श्रेणी में आती है और इसका उपयोग ज्यादातर कलात्मक वस्तुएं, आलीशान आलमारियों, शेल्फ, कुर्सी–मेज आदि बनाने में होता है। पुराने ज़माने में तो इससे दरवाज़े भी बनाए जाते थे। आबनूस शब्द हिन्दी में बरास्ता फारसी आया है और अरबी ज़बान का शब्द है ।
अंग्रेजी में इसे एबोनी कहते हैं जिसका रिश्ता आबनूस से ही जुड़ता है। अंग्रेजी का एबोनी लैटिन के एबेनस से बना है। लैटिन ऐबेनस की आमद ग्रीक भाषा के एबेनोज़ से हुई है। भाषाशास्त्रियों के मुताबिक एबोनी मूल रूप से सेमेटिक भाषा परिवार का शब्द है और ग्रीक एबेनोज़ की व्यत्पत्ति भी मिस्र के हब्नी से हुई है जिसका मतलब होता है काली लकड़ी। हब्नी से ही बना है आबनूस शब्द। आबनूस का पेड़ गर्म प्रदेशों यानी ऊष्णकटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। भारत , श्रीलंका, बांग्लादेश से लेकर यह अफ्रीका में भी होता है।
भारत में आबनूस को एक खास नाम से ज्यादा जाना जाता है । दरअसल तेंदू का पेड़ ही आबनूस है। यह वही तेंदू है जिससे हम बीड़ी पत्ती के रूप में परिचित हैं। मध्यभारत में तेंदू के जंगल होते हैं और इसे सरकारी संरक्षण में उगाया जाता है। लाखों बीड़ी श्रमिकों की रोजीरोटी इसके भरोसे चलती है। तेंदू के पेडो से हर साल पत्ते तोड़े जाते हैं । सरकार बीड़ी व्यवसाइयों को इनकी नीलामी करती है। तेंदू के वृक्ष पर पीले रंग का एक फल भी लगता है जिसके गूदे में मिठास होती है। इसे खाया भी जाता है और आयुर्वैदिक औषधि के काम भी यह आता है। तिम् धातु से बना है संस्कृत का तेन्दुक शब्द जिसने हिन्दी में तेंदू का रूप लिया। इसीलिए कहीं कहीं इसे तिमरू भी कहते हैं । मराठी में तेंदू को टेंबुर या टेंबुरणी कहते हैं। मध्यप्रदेश में तेंदू की इतनी बहुतायत है कि एक नहीं कम से कम आधा दर्जन ऐसे गांव हैं जिनके नाम तेंदूखेड़ा हैं।
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प्रस्तुतकर्ता
अजित वडनेरकर
पर
4:11 AM
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10 कमेंट्स:
यह तो अजब जानकारी रही कि आबनूस तेंदू के पेड़ हैं?? हम तो जबलपुर में तेंदूखेड़ा, पाटन के बाजू मे खेत लगाये बैठे थे और जानते ही न थे कि इतने मंहगे वातावरण में रह रहे हैं वरना कुछ तो ऐंठ्न तान ही लेते, आप भी बड़ी देर से ज्ञान देते हो. इस बार जरा ठन कर जाऊँगा. :)
http://www.ebonyjet.com/
From : wikepedia :
Ebony heartwood is one of the most intensely black woods known, which, combined with its very high density It is one of the very few woods that sink in water ,
&
The word "ebony" derives from the Ancient Egyptian hbny, via the Greek έβενος (ebenos), by way of Latin and Middle English.
एबनी - श्याम = ब्लैक अमरीकीवर्ग का मेगेज़ीन भी है - शायद इसी नाम से फिल्म भी बनी थी -
अबानूस की लकडी शीशम या Teak wood से अलग है क्या ?
- लावण्या
आबनूस के फर्नीचर सुनते आते थे, आज जान भी लिया। नवभारत में आपका जिक्र हुआ उसके लिये बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें।
एक बार मैं अचानक जंगल के किनारे वर्षा में फंस गया था; तब आबनूस/तेन्दू के पत्ते का छाते के रूप में प्रयोग किया!
नई और निराली जानकारी ।
नवभारत टाईम्स मे शब्दों का सफर की ख़बर की बधाई ।
ये तो मेरे लिए बिलकुल नई जानकारी है। शुक्रीया शेयर करने का।
आबनूस की लकड़ी में एक खोट भी है। जब यह चलती है तो पटाखे से फूटते हैं और चिंगारियां उचटती हैं। बचपन में खैर या धोकड़े या कच्चे सागवान की लकड़ी के साथ कभी तेंदू की लकड़ी मिल कर आ जाती थी तो चूल्हे में पटाखे फूटने लगते थे। हम बच्चों के लिए मुफ्त तमाशा हो जाता था। कहीं इस गुण का भी उस के नाम के साथ कोई संबंध है?
अद्भुत जानकारी दी आपने.
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आभार
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
मैं तो ऊपर वाली पोस्ट में ही आबनूस शब्द देखकर खुश हो चला था... यहाँ तो पूरी पोस्ट ही उस पर है... (पोस्ट नीचे से पढने चाहिए थे :-)
Devnagri ke sabhi 50 akshron se banane vale abhi shabdon ki vyutpatti aur ab tak hue badlav ko "shbdchayanika" namak, Shri Shri Aanandmoorti ji ke pravachano ke sangrah men do darjan se adhik khandon men prakashit hai, jise bhi kisi bhi shabd ke bare men janna ho vah inhen padhkar sabhi bhram door kar sakta hai.
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