हिन्दी में कुलटा , दुश्चरित्रा, व्यभिचारिणी या वेश्या के लिए एक शब्द है छिनाल । आमतौर पर हिन्दी की सभी बोलियों में यह शब्द है और इसी अर्थ में इस्तेमाल होता है और इसे गाली समझा जाता है। अलबत्ता पूरबी की कुछ शैलियों में इसके लिए छिनार शब्द भी है ।
छिनाल शब्द बना है संस्कृत के छिन्न से जिसका मतलब विभक्त , कटा हुआ , फाड़ा हुआ, खंडित , टूटा हुआ , नष्ट किया हुआ आदि है। गौर करें चरित्र के संदर्भ में इस शब्द के अर्थ पर । जिसका चरित्र खंडित हो, नष्ट हो चुका हो अर्थात चरित्रहीन हो तो उसे क्या कहेंगे ? जाहिर है बात कुछ यूं पैदा हुई होगी- छिन्न + नार > छिन्नार > छिनार > छिनाल ।
छिन्न शब्द ने गिरे हुए चरित्र के विपरीत पुराणों में वर्णित देवी-देवताओं के किन्ही रूपों के लिए भी कुछ खास शब्द गढ़े हैं जैसे छिन्नमस्ता या छिन्नमस्तक । इनका मतलब साफ है- खंडित सिर वाली(या वाला)। छिन्नमस्तक शब्द गणपति के उस रूप के लिए हैं जिसमें उनके मस्तक कटा हुआ दिखाया जाता है। पुराणों में वर्णित वह कथा सबने सुनी होगी कि एक बार स्नान करते वक्त पार्वती ने गणेशजी को पहरे पर बिठाया। इस बीच शिवजी आए और उन्होंने अंदर जाना चाहा। गणेशजी के रोकने पर क्रोधित होकर शिवजी ने उनका सिर काट दिया। बाद मे शिवजी ने गणेशजी के सिर पर हाथी का सिर लगा दिया इस तरह गणेश बने गजानन ।
इसी तरह छिन्नमस्ता देवी तांत्रिकों में पूजी जाती हैं और दस महाविद्याओं में उनका स्थान है। इनका रूप भयंकर है और ये अपना कटा सिर हाथ में लेकर रक्तपान करती चित्रित की जाती हैं। हिन्दी में सिर्फ छिन्न शब्द बहुत कम इस्तेमाल होता है। साहित्यिक भाषा में फाड़ा हुआ, विभक्त आदि के अर्थ में विच्छिन्न शब्द प्रयोग होता है जो इसी से जन्मा है। छिन्न का आमतौर पर इस्तेमाल छिन्न-भिन्न के अर्थ में होता है जिसमें किसी समूह को बांटने, विभक्त करने , खंडित करने या छितराने का भाव निहित है। छिन्न बना है छिद् धातु से जिसमें यही सारे अर्थ निहित है। इससे ही बना है छिद्र जिसका अर्थ दरार, सूराख़ होता है। छेदः भी इससे ही बना है जिससे बना छेद शब्द हिन्दी में प्रचलित है। संस्कृत में बढ़ई के लिए छेदिः शब्द है क्योंकि वह लकड़ी की काट-छांट करता है।
आपकी चिट्ठियां
सफर की पिछली तीन कड़ियों-चितकबरी चितवन और चांटे, हम सब भ्रष्ट हैं और कपड़े पहनो चीथड़े उतारो पर सर्वश्री समीरलाल , दिनेशराय द्विवेदी, अभय तिवारी, लावण्या शाह,घोस्ट बस्टर, डॉ अनुराग आर्य, माला तैलंग, बालकिशन,मीनाक्षी , डॉ चंद्रकुमार जैन, पल्लवी त्रिवेदी, ज्ञानदत्त पांडे, अभिषेक ओझा, ममता और विजय गौर की प्रतिक्रिया मिली। साथियों , आपकी हौसला अफ़जाई से सफर लगातार जारी है। बहुत बहुत शुक्रिया...
Wednesday, June 18, 2008
छिनाल का जन्म
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 2:57 AM
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15 कमेंट्स:
चलिये, यह भी जान लिया. आभार.
बाप रे - मां छिन्नमस्ता और छिनार! विश्व हिन्दू परिषद वाले ब्लॉग पठन में यकीन नहीं करते; खैर मनाइये!
हमेशा की तरह शब्द की उत्पत्ति के बारे मेँ जानकारी अच्छी लगी -
पर सोच रही हूँ कि,
व्याभिचारी पुरुष के लिये,
कौन सा शब्द है ?
इसी के जैसा ?
-लावण्या
छिन्न से विछिन्न तक !
सफ़र का यह पड़ाव भी
दे गया अनूठी जानकारी.
जारी रखिए ज्ञान-दान की
यह परम्परा अविछिन्न.
आभार.
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शुभकामनाएँ
चन्द्रकुमार
बहुत बढ़िया रही ये जानकारी.. धन्यवाद
किसी शब्द की नाल कहाँ गड़ी है इसकी जानकारी अजित भाई आपसे बेहतर कोई नहीं दे सकता ...हिन्दी जगत आपकी सेवाओं से उपकृत है.
@ज्ञानदा- अरे, हम तो डर गए ! जैसा आपने लिखा है , वैसा कुछ हमने नहीं लिखा है। बाकी ब्लाग बंद करने की पूरी तैयारी कर ली है ।
@संजय पटेल-भाई, शुक्रिया ...हम तो बुजुर्गों के किए काम पर ही आगे बढ़ रहे हैं। थोड़ी बहुत कोशिश अपनी तरफ से कर लेते हैं।
ये भी रोचक रहा.
खुदा कसम कहाँ कहाँ से लाते है आप भी......
अरे बाप रे ! इस बार तो लोहा मान गए आपका !
पीछे से एक मित्र बोल रहे हैं.. हे भगवान् क्या-क्या पढता रहता है :-)
एक शब्द की उत्पत्ति के साथ कितने शब्द जुड़े होते है वो यहाँ आकर पता चलता है।
अति उत्तम बंधु,
आपका यह लेख अत्यंत ज्ञानवर्धक है । सुन्दर व्याख्या एंव तथ्यपूर्ण लेख हेतु साधुवाद !
आप ने छिनाल को भी अवछिन्न नहीं छोड़ा।
अजित भाई ! क्यों लिखते हैं !
आपको पढने का नशा तो था ही, अब टिप्पणियों का नशा न हो जाए.
बहतु बढ़ियाँ....जारी रहे यह सफर...
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