Friday, March 4, 2011

तस्करी यानी चोर की जोरू!!!

Puget_smuggling

हि न्दी में तस्करी शब्द बहुत आम है जिसका अर्थ है चोरी-छिपे या गैरक़ानूनी तरीके से सामान इधर से उधर भेजना। इसमें प्रतिबंधित सामान भी शामिल है और ऐसा सामान भी जिसके परिवहन पर सरकारी शुल्क का भुगतान बकाया हो और बिना शुल्क चुकाए उसे इधर से उधर भेजा जा रहा हो। प्रतिबंधित वस्तुओं का व्यापार या चोरी छिपे इधर से उधर भेजना भी तस्करी में शामिल होता है। तस्करी शब्द बना है तस्कर से जो मूलतः संस्कृत से हिन्दी में आया है। इसका सामान्य सा अर्थ है चोर जबकि तस्कर शब्द सुनते ही दिमाग़ में अंग्रेजी का स्मगलर शब्द घुमने-फिरने लगता है। वैसे स्मगलर शब्द भी अब हिन्दी में आमतौर पर इस्तेमाल होता है।
स्कर शब्द की व्युत्पत्ति के बारे में विद्वान एकमत नहीं है। आप्टे कोश के मुताबिक तस्कर शब्द के मायने हैं चोर, लुटेरा आदि। आप्टे के मुताबिक तस्कर की व्युत्पत्ति है- (तद् + कृ + अच्, सुट्, दलोपः) जबकि अमरकोश के मुताबिक इसकी व्युत्पत्ति “तत् करोति इति अच्, सुट्तलोपौ च” बताई गई है। ऑर्थर एंथोनी मैकडॉनेल के शब्दकोश में भी तस्कर के बारे में यही कहा गया है। कृ.पा.कुलकर्णी के कोश में तत् + कर इसकी व्युत्पत्ति बताई गई है साथ ही यह भी कहा गया है कि पाणिनी सूत्र के अनुसार यहाँ त का लोप होकर स का आगम होता है। इस तरह तस्कर शब्द बना। कुलकर्णी को यह व्युत्पत्ति स्वीकार नहीं है। उनके मुताबिक ठक्कर, ठाकर या ठाकरले जैसे शब्दों से तस्कर शब्द का कुछ न कुछ संबंध होना चाहिए।
मारे विचार में मोनियर विलियम्स के कोश में तस् धातु का उल्लेख है जिसमें धुंधलाने, कम होने, मुरझाने, गायब होने, नष्ट होने जैसे भाव हैं। स्पष्ट है कि यहाँ किसी चीज़ के लोप होने या मिटने का भाव ही उभर रहा है। तस् से अगर तस्कर की व्युत्पत्ति पर विचार करें तो बात कुछ आसान होती लगती है। वस्तुओं के चोरी जाने का संदर्भ उनके मूल स्थान से लोप होने से जुड़ता है। यूँ भी माल गायब करना, माल उड़ाना यानी चोरी करना जैसे मुहावरों में लोप का यह भाव उजागर हो रहा है। तस्कर का एक अर्थ छुईमुई या पीले फूलों वाला एक पेड़ भी है। हिन्दी शब्दसागर में इसे मैनफल या मदनवृक्ष कहा गया है। हिन्दी मे चाहे तस्कर का क्रिया रूप तस्करी बना लिया गया है मगर संस्कृत में तस्करी का अर्थ है चोर की बीवी। जाहिर है यहाँ तस्कर का स्त्रीवाची तस्करी है। तस्कर अगर चोर है तो तस्करी उसकी बीवी। यही नहीं, चोरनी या स्त्री ठग को भी तस्करी के दायरे में रखा जा सकता है।
रतितस्कर वह है जो किसी स्त्री से रति का आनंद छीन ले। यहाँ भाव बलात्कार से है। इसी तरह नवनीततस्कर अर्थात वह जो दही को चुराए। जाहिर सी बात है यह कृष्ण का विशेषण हुआ।
इस ढंग से सोचें तो नौकर की बीवी को नौकरी नौकरी कहा जा सकता है। शब्दसांगर में वृहत्संहिता के हवाले से यह भी पता चलता है कि तस्कर केतुओं का नाम भी है जो लंबे और सफेद होते हैं और इनकी 51 हैं। केतु बुध के पुत्र माने जाते हैं।
स्कर से तस्करता, तस्करवृत्ति, तस्करी, तस्करत्व जैसे शब्द भी बने हैं मगर इनका चलन हिन्दी में नहीं होता है। तस्कर का एक अर्थ कान भी होता है सो तस्करता के मायने हुए सुनना। किसी की जेब से बटुआ उड़ाने जैसा काम भी तस्करता की श्रेणी में ही आता है। हालाँकि आज के संदर्भ में उसे तस्करी नहीं कहा जाएगा बल्कि पॉकेटमारी, जेबतराशी आदि कहा जाएगा। यूँ देखा जाए तो तस्करी शब्द संस्कृत में खूब इस्तेमाल होता रहा है। संस्कृत में रतितस्कर या नवनीततस्कर जैसे शब्द के जरिए इसकी अर्थवत्ता का अंदाज़ा लगता है। रतितस्कर वह है जो किसी स्त्री से रति का आनंद छीन ले। यहाँ भाव बलात्कार से है। इसी तरह नवनीततस्कर अर्थात वह जो दही को चुराए। जाहिर सी बात है यह कृष्ण का विशेषण हुआ। इन तमाम अर्थों का सादृश्य तस्कर के आज प्रचलित अर्थ से मेल नहीं खाता। प्राचीनकाल में तस्कर सिर्फ एक सामान्य चोर भर है जबकि आज तस्कर का दर्जा चोर से कुछ ऊंचा है। चोर जहाँ सिर्फ़ माल को चुराता है वहीं तस्कर करों की अदायगी से बचने और प्रतिबंधित सामग्री के व्यापार के लिए उसका परिवहन करता है।

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9 कमेंट्स:

Anonymous said...

ला-जवाब पोस्ट !

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

तस्करी ...... चोर की जोरु कमाल है .

दिनेशराय द्विवेदी said...

सुंदर विश्लेषण!
हाँ नौकर की पत्नी को नौकरी नहीं नौकरानी कहेंगे।

Mansoor ali Hashmi said...

माल चुराए तो कहलाता है 'तस्कर'
माल बनाए तो कहलाता है ठक्कर.

[सुनी सुनाई बातो की परवाह मतकर,
झूठ कोई बोले तो उसको दे कसकर.]
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'तस'* होती नैतिकता,'कर' होते उद्दंड, *[लोप]
नहीं नियम का रहा है अब कोई पाबन्द,
'जेब तराशी' अब व्यावसायिक कौशलता,
अर्थो से शब्दों का ये कैसा सम्बन्ध !
==========================
'Gay' ही तो है सबसे बड़ा 'रतितस्कर'
'हम्जिन्सो' से ही मिलता है वो अक्सर,
'Lesbian' को इसी लिए मिलता अवसर,
सावन सूना, बसंत ऋतु भी है पतझड़!
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नोट:- अजितजी इस उम्र में मुझसे क्या-क्या शब्द प्रयोग करवा रहे है !

mansoorali हाश्मी
http://aatm-manthan.com

अजित वडनेरकर said...

@दिनेशराय द्विवेदी-
नौकरी से नौकरानी तो सामान्य रूप में बनेगा। मैने तो व्यंग्य रूप में तस्कर से तस्करी के आधार पर कहा है। महिला तस्कर या तस्कर की पत्नी का यह अर्थ संस्कृत में है, सो तस्करी संस्कृत का शब्द हुआ। क्रिया रूप में तस्कर से तस्करी हिन्दी का शब्द है। नौकर से नौकरी सिर्फ़ हास्य-व्यंग्य का उदाहरण है, बाकि नौकर से नौकरानी तो विशुद्ध देशज प्रत्यय से बनाया गया प्रचलित शब्द है। इसमें कोई शक नहीं।

अजित वडनेरकर said...

@मंसूर अली हाश्मी
ग़ज़ब कर दिया हाश्मी साब आपने तो...
आपकी इन त्वरित काव्य-टिप्पणियाँ बेशकीमती हैं।

प्रवीण पाण्डेय said...

माखन तस्कर, कृष्ण का एक और नाम है।

विजय प्रकाश सिंह said...

वडनेकर जी, कई बार जब किसी शब्द के बारे जानने की आतुरता होती है तो यहाँ पर खोजता हूँ | इसी क्रम में ' महरारू ' शब्द की खोज में २००९ के आपके लेख को पढ़ा | मुझे लगता है कि यह शब्द पूर्वी उत्तर प्रदेश , खासकर अवध में प्रचलित है , जहाँ पर नवाबी शासन के दौर की वजह से कई फारसी के शब्दों का आम बोलचाल में प्रचलन होता है | इसी क्रम में मुझे लगता है कि फारसी के " माहरू " ( जिसका अर्थ है चाँद जैसे मुख वाला , या बहुत सुन्दर ) शब्द का रूपांतरण 'महरारू ' हुआ है |

Asha Joglekar said...

तस्कर तेरे कितने उद्गम !

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