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Thursday, November 24, 2011
फ़ानूस की फ़ंतासी
वि देशी भाषाओं से भारतीय भाषाओं में समाए शब्दों में ‘फ़ानूस’ और ‘फंतासी’ का शुमार भी होता है। फ़ानूस यानी छत से लटकता विशाल कंदील जिसमें शमा (ज्योति) के इर्दगिर्द शीशे का जारनुमा आवरण होता है जो उसे बुझने से बचाता है और रोशनी को कई गुना बढ़ा देता है। फिल्मों और नाटकों में कल्पनालोक को मूर्त रूप देने में रोशनियों का बेहद खूबसूरत प्रयोग होता है। झाड़ियों, पेड़ों से फूटती रंगबिरंगी रोशनियाँ दर्शकों को एक ऐसी रम्य-मरीचिका में ले जाती हैं जहाँ सब कुछ सुहाना लगता है। यही फंतासी है। हालाँकि सिर्फ़ दृष्यविधान ही फ़ंतासी नहीं होता बल्कि कथाविधान भी फंतासी है। फ़ानूस और फ़ंतासी का रिश्ता यूँ ही नहीं है। गौरतलब है कि ये दोनों शब्द क्रमशः फैंच और अंग्रेजी से हिन्दी में आए हैं। फानूस शब्द जहाँ सैकड़ों बरसों से भारतीय बोलियों में रचा-बसा है वहीं फंतासी बहुत पुराना नहीं है। ग्रीक ट्रैजेडी के लिए त्रासदी, कॉमेडी के लिए कामदी की तरह ही फैंटेसी का फंतासी रूपान्तर बीसवीं सदी के भारतीय रंगकर्म की देन है, ऐसा मुझे लगता है।
सबसे पहले ‘फ़ानूस’ की बात। प्रो. पी.डी. गुणे के मुताबिक ‘फ़ानूस’ बरास्ता फ्रैंच, मराठी में दाखिल हुआ। अपनी किताब-इन्ट्रोडक्शन ऑफ कॉम्पेरिटिव फ़िलोलॉजी में वे लिखते हैं कि फ्रैंच भाषा से फ़ैशन और सैन्य प्रबन्ध सम्बन्धी अनेक शब्द दिए हैं और उसी कड़ी में ‘फ़ानूस’ शब्द भी आता है। लालटेन के लिए इसका रूप फाणस है तो साधारण लैम्प के लिए फाणूस है। समझा जा सकता है कि दक्खनी शैली की हिन्दी में इसका रूप ‘फ़ानूस’ ही था। इस मत के बावजूद प्रो. गुणे फ़ानूस के लिए मूल फ्रैंच शब्द क्या था, इसका उल्लेख नहीं करते हैं। कई सन्दर्भों को टटोलने के बाद भी मुझे फ्रैंच भाषा में फ़ानूस शब्द नहीं मिला। अनुमान है कि‘फ़ानूस’ शब्द बरास्ता फ्रैंच ज़बान भारतीय भाषाओं में दाखिल नहीं हुआ बल्कि इसकी आमद अरबी, फ़ारसी, दक्खनी और उर्दू के ज़रिए ही हुई है। फ्रैंच लोगों के समुद्री रास्तों से हिन्दुस्तान दाखिल होने से पहले ही मुग़लकाल में फ़ानूस यहाँ आ चुका था। अरबी में फ़ानूस का बहुवचन फ़ानिस होता है।
फ़ानूस सेमिटिक भाषा परिवार का शब्द न होते हुए भी अरबी से ही हिन्दी में आया है। अरब में भी इसका रूप ‘फ़ानूस’ ही हैं और यह ग्रीक भाषा के ‘फ़ैनोस’ से बना है। अरबी और ग्रीक भाषाओं में पुरानी रिश्तेदारी रही है। ग्रीक फ़ैनोस का मतलब होता है लालटेन, दीपक, दीया, चिराग़ मगर ग्रीक ज़बान में फ़ैनोस का अर्थ मशाल है। यह मूलतः इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार का शब्द है और भारोपीय धातु ‘भा’ (bha) बना है जिसका आशय है चमक, प्रकाश। मोनियर विलियम्स के मुताबिक समकक्ष संस्कृत धातु है ‘भा’, ‘भात्’ जिसमें जगमग, स्वच्छ, पारदर्शकता, चमक जैसे भाव हैं। दुनिया को अपनी रोशनी से चकाचौंध कर देने वाले सूर्य का नाम ‘भास्कर’ इसी वजह से है। चमक, तेज जैसे भावों के लिए प्रभा और आभा में भी इस भा की मौजूदगी देखी जा सकती है। फ़ैनोस का रिश्ता ग्रीक ‘फॉस’ phos से भी है जिसमें किरणें बिखेरने का भाव है।
पर्व-त्योहारों हमारे उल्लास की ही अभिव्यक्ति हैं। इसलिए रोशनियों के ज़रिये इसे नुमायाँ करने की परम्परा दुनियाभर में है। ग्रीक फ़ैनोस सबसे पहले इजिप्शियन अरबी में दाखिल हुआ जहाँ ईसापूर्व मिस्र के प्रसिद्ध शासकों ‘फराओं’ के ज़माने से पांच दिवसीय विशिष्ट प्रकाशोत्सव मनाने की परम्परा रही थी। बाद में यह परिपाटी क्रिसमस-पर्व की विशिष्टता बन गई। तब यरुशलम में शहर को रोशनियों से सराबोर करने के लिए रास्तों के किनारे खम्भों पर कंदील टाँगे जाते थे। तब भी इन्हें फ़ानूस कहा जाता था क्योंकि पड़ौसी ग्रीस में मधुमक्खी के छत्तों से बनी मोमबत्तियों को ‘फैनोस’ कहा जाता था। इस्लामी दौर में फराओं की यही परम्परा मुस्लिम दौर के फ़ातमिद शासकों के काल में फलीफूली। भारत में फ़ानूस शब्द के साथ साथ ‘झाड़ फ़ानूस’ टर्म भी प्रचलित है। यह झाड़ क्या है? ऐसा लगता है छत से लटकते कंदील को कांच के जिस गिलाल में जलाया जाता है, उसे जार भी कहते हैं। अंग्रेजी में जार-लैम्प जैसी टर्म मौजूद है। कागज के आवरण वाले कंदील को सामान्य फ़ानूस कहाजाता होगा और जब कांच के कवच वाले फ़ानूस प्रचलित हुए तो उन्हें ज़ार फ़ानूस कहा जाने लगा होगा। मगर इस विचार का प्रमाण मुझे नहीं मिला। हालाँकि अंग्रेजी का जार शब्द अरबी से आया है। दरअसल लटकते हुए कंदील फ्रांसीसी सैनिक असबाब का एक ख़ास हिस्सा थे। मैदानों, जंगलों, रेगिस्तानों में जब सैनिक पड़ाव होते थे, तब पेड़ों पर या पेड़नुमा जंगलों पर लालटेनों को लटका कर बड़े क्षेत्र को प्रकाशित किया जाता था। दरअसल पुरानी फ्रैंच में candeltreow शब्द दीपाधार के लिए प्रयुक्त होता था। बाद में अंग्रेजी में इससे कैंडल-ट्री कहा जाने लगा। मुझे लगता है इस कैंडल-ट्री की तर्ज पर ही फ़ानूस के साथ ट्री के अर्थ में झाड़ शब्द लगाकर हिन्दी में झाड़-फ़ानूस पद प्रचलित हुआ होगा।
अब आते हैं फंतासी पर। इसका मूल है फैंटेसी और यह फैंटेसिया से आ रहा है। फैंटेसी का आशय ऐसी प्रस्तुति से है जो ऐंद्रजालिक हो, अद्भुत हो, कल्पनाशील हो। फैंटेसी दरअसल मायालोक जैसा प्रदर्शन है। यह फैंटेसिया उसी फैनोस के संज्ञा रूप निकला है जिससे फ़ानूस बना है। संज्ञा रूप में फ़ैनोस का अर्थ होता है प्रकाश और इसके क्रियारूप फैनो का अर्थ है सबके सामने आना। फ़िनॉमिनॉन इसी मूल का है जिसमें इसी अद्भुत प्रस्तुति का आशय है। ध्यान रहे कोई चीज़ तभी नज़र आती है जब उस पर रोशनी पड़ती है, यह सामान्य प्रस्तुति है। लेकिन फैंटेसी दरअसल ऐसा आविर्भाव है जो चकाचौंध से भरा और चकित कर देने वाला है। फैंटेसी का हिन्दीकरण फंतासी भी खूब लोकप्रिय है।
प्रचलित अर्थों में फ़ानूस सिर्फ दीया अथवा रोशनी का ज़रिया नहीं बल्कि यह कंदील है जिसका अभिप्राय ऐसे दीये से है जिसकी लौ के इर्द-गिर्द हवा से बचाव के लिए शीशे का आवरण या कागज का कवच लगाया जाता है। एक प्रसिद्ध शेर में भी यही बात है- फानूस बनकर जिसकी हिफाज़त हवा करे। वो शम्अ क्या बुझे जिसे रोशन खुदा करे।। यहाँ फानूस का अर्थ रोशनी नहीं बल्कि लैम्प-शेड है। लालटेन, कंदील या फ़ानूस दरअसल दीये के ऐसे ही प्रकारों के नाम हैं जिसके चारों ओर शीशे का आवरण होता है और जिसकी जोत को घटाया-बढ़ाया जा सकता है। जॉन शेक्सपीयर की हिन्दुस्तानी डिक्शनरी में शैन्डेलियर (फ्रैंच भाषा का शब्द जिसका अर्थ लटकने वाला लैम्पशेड ही है) को फानूस कहा गया है। लालटेन, कंदील को भी फ़ानूस कहा है। साथ ही झाड़-फानूस का अर्थ भी उसमें शैन्डेलियर बताया गया है।
हिन्दी में खूब प्रचलित कंदील शब्द अंग्रेजी के कैंडल का रूपान्तर है। यह भारोपीय भाषा परिवार का शब्द है और मूल kand से इसकी व्युत्पत्ति हुई है जिसमें चमक, प्रकाश का भाव है। खास बात यह कि प्रखरता, चमक में अगर ताप का गुण है तो शीतलता का भी। भारोपीय धातु कंद kand का एक रूप cand चंद् भी होता है। इससे बने चंद्रः का मतलब भी श्वेत, उज्जवल, कांति, प्रकाशमान आदि है। चंद्रमा, चांद, चांदनी जैसे शब्द इससे ही बने हैं। लैटिन के कैंडिड से जिसमें सच्चाई, सरलता और निष्ठा जैसे भाव निहित हैं। इसका प्राचीन रूप था कैंडेयर candere जिसका अर्थ है श्वेत, चमकदार, निष्ठावान। कैंडेयर से ही बना है मशाल, ज्योति के अर्थ मे अंग्रेजी का कैंडल शब्द जिसके हिन्दी अनुवाद के तौर पर मोमबत्ती शब्द सामने आता है। त्योहारों पर छत से रोशनी के दीपक लटकाए जाते हैं जिन्हें कंदील कहते हैं। यह शब्द अरबी से फारसी उर्दू होते हुए हिन्दी में दाखिल हुआ। अरबी में यह लैटिन के कैंडिला और Candela ग्रीक के कंदारोस kandaros से क़दील में तब्दील हुआ।
लालटेन तो हिन्दी में सबसे ज्यादा प्रचलित वस्तुओं और शब्दों में शुमार है। कमनज़र आदमी को भी कभी कभी लालटेन कह दिया जाता है। लालटेन में पढ़ना जैसी मुहावरेदार अभिव्यक्ति का आशय संघर्षों के बीच राह बनाने से है। लालटेन शब्द अंग्रेजी के लैन्टर्न से बना है। एटिमऑनलाइन के मुताबिक अंग्रेजी में इसकी आमद मध्यकालीन फ्रैंच के लैन्टर्ने से हुई। ग्रीक भाषा के लैम्पीन शब्द है, जिसमें चमक, द्युति का भाव है। इससे बने लैम्टर से लैटिन का लैन्टर्ना बना। गौरतलब है कि लैन्टर्ना, लैटिन के ही लुसर्न के आधार पर बना है जिसका अर्थ प्रकाश है। स्विट्ज़रलैण्ड के लुसर्न शहर का नाम भी इसी मूल से निकला है। अंग्रेजी के लैम्प शब्द की व्युत्पत्ति भी लैम्पीन से ही हुई है। लैम्प भी हिन्दी में प्रचलित है।
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7 कमेंट्स:
फानूसी फ्रेंच सम्बन्ध..
बहुत सुन्दर ... मैंने आपके ब्लॉग से यह शे'र अपनी फेसबुक प्रोफाइल में शेयर की है..आपका बहुत बहुत आभार
फानूस बनकर जिसकी हिफाज़त हवा करे। वो शम्अ क्या बुझे जिसे रोशन खुदा करे।।
और लेख इस विषयवस्तु पर विस्तृत व्योरा दी रहा है .. उम्दा और रोचक लेख
फंटूस शब्द का फंटासी या फंतासी से कोई सम्बन्ध तो नहीं?
मेरे ज्ञान अनुसार झाड़-फानूस में झाड़ का अर्थ फानूसों क़ी ऐसी तरतीब है जिससे वह झाड़ (पेड़) की तरह दिखाई दें. यह शब्द आतिशबाजी की झाड़ जैसी आकृति के बारे में भी प्रयुक्त होता है
रौशनी की, लेम्प की, फानूस की बाते हुई,
फ्रेंच, हिंदी, फ़ारसी, लेटिन की सौगाते हुई,
दौरे फिरऔनी , ख्रिस्ती, फातमिद संस्कृतियाँ,
सब ही अपने से लगे जिनसे मुलाकाते हुई,
'शब्दों' का दिलक़श 'सफ़र' चलता रहे हरदम यूँही,
ज्ञान की कंदील से रोशन ये दिन-राते हुई.
http://aatm-manthan.com
फानूस मुझे भी शुरु से ही फारसी शब्द लगा।
मेरे एक मित्र, 'आतिशबाजी' के लिए 'फानूशबाजी' प्रयुक्त करते हैं।
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