चित्त बना है संस्कृत के क्षिप्त से जिसका मतलब होता है फेंका हुआ , बिखेरा हुआ , उछाला हुआ या लेटा हुआ । क्षिप्त से चित्त की यात्रा कुछ यूं रही है > क्षिप्त > खिप्त > छिप्त > छित्त > चित्त। यहक्षिप्त बना है संस्कृत धातु क्षिप् से जिसमें फेंकना, डालना, अपमान करना , प्रहार करना, दूर करना आदि। गौर करें इसके फेंकने के अर्थ पर । किसी वस्तु या जीव को उठाकर फेंकने पर उसकी अवस्था क्या होगी ? उसे धराशायी ही कहेंगे न ! अब गौर करें कि कई वस्तुओं या अधिक मात्रा में कुछ फेंका जाने पर क्या होता है ? जाहिर है वह वस्तु फैल जाती है , बिखर जाती है। इसके लिए हिन्दी मे एक आमफ़हम शब्द है छितरना या छितराना यानी स्कैटर्ड। यह शब्द भी इसी धातु मूल यानी क्षिप् से उपजा है । अब छितरायी हुई, फैली हुई चीज़ो को समेटने की क्रिया के लिए हिन्दी में एक शब्द है संक्षिप्त । यह इसी मूल से बना शब्द है। सम + क्षिप्त = संक्षिप्त , अर्थात जिसे समेटा गया हो। एक अन्य शब्द है संक्षेप । यानी छोटा। यह भी इसका ही संबंधी है। संक्षिप्तिकरण, संक्षेपीकरण और संक्षेपण भी इससे ही बने अन्य शब्द हैं जिनमें छोटा करने का भाव है। अब साफ़ है कि क्षिप् में निहित फेंकने के भाव का अर्थविस्तार पटखनी खाकर चित्त होते हुए छोटा होने तक जा पहुंचा है।
इससे मिलते-जुलते संदर्भों पर अगली कड़ी में चर्चा और आपकी चिट्ठियां
11 कमेंट्स:
आपका ज्ञान देख कर न हम सिर्फ चित्त हो गये बल्कि छितरा भी गये. (जो सीखें हैं, उसका वाक्य में प्रयोग करके बता रहे हैं) बहुत आभार इस ज्ञान के लिए.
आने वाले शब्दों की कल्पना ने सिहरा दिया है। प्रक्षिप्त,विक्षिप्त और.....?
मुहावरोँ से और कहावतोँ से भाषा मेँ जान पडती है ..
ये भी अच्छी जानकारी रही अजित भाई ..
उम्दा जानकारी मिली ...।
आभार और धन्यवाद के अलावा कोई और शब्द नहीं हैं अपने पास.
बहुत ही बढिया पोस्ट है और कमेंट्स भी.. भई मजा आ गया..
वाह ! क्षिप्त...चित्त...संक्षिप्त.
बड़ी अच्छी जानकारी दी आपने.
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अजित जी ! आपने अल्प शब्दों में
बहुत सार्थक बातें की हैं यहाँ.
पोस्ट स्वयं संक्षेपीकरण का उदाहरण है.
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....और हाँ जो चित्त देकर मुक़ाबला करे वह
संकटों को चारों खाने चित्त कर सकता है.
धन्यवाद
डा.चंद्रकुमार जैन
बड़े रोचक तरीके से आपके ज्ञान ने हमे
चारों खाने चित्त कर दिया..
फोटो और लेख दोनों बढ़िया।
आपने तो सबको चित्त कर रखा है फिर मैं क्या बला हूँ.
आप के ब्लोग ने तो हमें चारो खाने चित्त कर रखा है अब और क्या कहें आप लिखते जाइए और हम सीखते जा रहे हैं
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