हि न्दी में दीर्घ deergh का अर्थ होता है लंबा, दूर तक पहुंचनेवाला, ऊंचा, उन्नत आदि। अरबी फारसी का दराज़ शब्द भी हिन्दी में खूब प्रचलित है जिसके दो मायने हैं। एक दराज़ वह है जिसका अर्थ है मेज़ या टेबल में छिपा वह खाना जिसे खींच कर खोला जाता है और दूसरा दराज़ वह है जिसमें लम्बाई, चौड़ाई, मोटाई जैसे आयामों के साथ विशालता का भाव है। आमतौर पर दराज से तात्पर्य लम्बाई से होता है जैसे ज़बानदराज़ यानी ज्यादा बोलनेवाला, दराज़दुम यानी लम्बी पूछवाला, उम्रदराज यानी वृद्ध या लम्बी उम्रवाला। इस दीर्घकाय का अर्थ हुआ लंबा व्यक्ति मगर दीर्घकाय शब्द का अभिप्राय आमतौर पर विशालकाय के अर्थ में ही लगाया जाता है। दरअसल जब किसी आकार के साथ दीर्घ शब्द का विशेषण की तरह प्रयोग होता है तब लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई के आयाम भी उसमें जड़ जाते हैं, इस तरह दीर्घाकार, दीर्घकाय जैसे शब्दों में बड़ा अथवा विशाल का भाव आ जाता है। बुद्धिमान व्यक्ति को दूरदर्शी कहा जाता है। संस्कृत में इसके लिए दीर्घदर्शी शब्द भी है यानी दूर तक देखनेवाला। लंबी आयु के लिए दीर्घजीवी शब्द प्रचलित है।
भाषाविज्ञानियों नें संस्कृत के दीर्घ शब्द की रिश्तेदारी प्रोटो इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार की धातु dlonghos में खोजी है। अंग्रेजी का लाँग long शब्द भी इससे ही बना है जिसका अर्थ भी लंबा या दीर्घ ही होता है। गौरतलब है कि संस्कृत दीर्घ शब्द ने ही बरास्ता अवेस्ता, ईरानी परिवार की भाषाओं में जाकर दराग, दिरंग होते हुए फारसी के दराज़ शब्द का रूप लिया। फारसी के दराज़ का अर्थ होता है लंबा। गौरतलब है कि भारोपीय भाषाओं मे र-ल और क-ग-घ जैसे वर्णों में आपस में तब्दीली होती है। फारसी का दराज़ शब्द उम्रदराज़ के रूप में हिन्दी में भी इस्तेमाल होता है जिसका अर्थ होता है लंबी आयु वाला अर्थात बूढ़ा, वृद्ध, बुजुर्ग। गौरतलब है कि फारसी के बुजुर्ग शब्द की भी संस्कृत-हिन्दी के वज्र से रिश्तेदारी है जिसका मतलब होता है महान, कठोर, वरिष्ठ आदि। बुजुर्ग में भी मूलतः आदरणीय, महान, प्रभुतासम्पन्न जैसे भाव ही हैं। मगर कालांतर में इसके साथ वरिष्ठता के विभिन्न भाव जुडते चले गए जिनका अर्थ विस्तार रसूख, प्रभाव में हुआ और बाद में आयु के उत्कर्ष के तौर पर ये सब बुजुर्ग में सिमट गए।
वाचालता अथवा अशिष्ट सम्भाषण के लिए ज़ुबानदराज़ी शब्द भी हिन्दी में इस्तेमाल होता है जिसका अर्थ है ज्यादा बोलना। जुंबानदराज़ी करना मुहावरा मूलतः ...इंडो यूरोपीय मूल का ड्राअर्ज drawers शब्द भी भारोपीय मूल का है जिसका अर्थ है मेज़ में छुपा एक खाना जिसे आगे खींच कर खोला जाता है। ध्यान दें खींचना के भाव पर जिसमें लम्बा होने का भाव सुरक्षित है। ...
फ़ारसी से ही हिन्दी में आया है जिसका मूल रूप है ज़ुबानदराज़ करदन यानी बढ़-चढ़ कर बोलना। दराज शब्द का एक अन्य अर्थ में भी हिन्दी में प्रयोग होता है जिसका मतलब होता है टेबल, मेज या आलमारी में बना हुआ काग़ज-पत्र या अन्य छोटी सामग्री रखने का खाना या खण्ड जिसे खींच कर बाहर निकाला जा सके। संभवतः इस दराज़ से इसका कोई रिश्ता नहीं है। मुहम्मद मुस्तफा खां मद्दाह के कोश के मुताबिक मूलतः यह अरबी के दरजः (दर्जः) से बना है। यह उर्दू में दर्जः हो गया और इसका हिन्दी उच्चारण दराज की तरह होने लगा। दर्जः का मतलब है वर्ग, खण्ड, ओहदा, श्रेणी आदि। गौरतलब है कि उत्तर भारत में आज भी कक्षा के लिए भी दर्जा शब्द का ही इस्तेमाल होता है। रेलवे की आरक्षण शब्दावली में श्रेणी शब्द चाहे लिखा जाता है, पर इस्तेमाल मे दर्जा शब्द ही आता है। दर्जा का मतलब इमारत की मंजिल या माला भी होता है। अवस्था के लिए भी दर्जा शब्द का प्रयोग होता है। कुछ लोग अंग्रेजी के ड्राअर्ज को दराज़ शब्द का मूल मानते हैं। अग्रेजी के ड्राअर से दराज शब्द का बनना तार्किक तो लगता है, पर खण्ड या खाना के अर्थ में फारसी में दरजः शब्द पहले से मौजूद है। मैने कई संदर्भों को टटोलने के बाद ही मेज की दराज को भी इसी मूल का माना है। ये ठीक है कि आगे खींच कर बाहर निकालने के लिए अंग्रेजी के ड्राअर्ज शब्द से इसकी समानता कई लोगों को नजर आती है। पर मूलतः यह है तो खण्ड या आला ही। और मेज, आलमारी में भी इसकी कई मंजिलें यानी दरजे होते हैं। यह मान लेना कुछ मुश्किल लगता है कि यूरोपीयों के आने से पहले अरब, फारस या भारत के लोग टेबल या मेजनुमा किसी देशी व्यवस्था के बिना गुजारा करते थे। खास कर तब, जब प्रायः सभी सभ्यताओं-समाजों में काष्ठकला सर्वाधिक प्रारम्भिक कलाओं में रही है। जब मुहम्मद मुस्तफा खां मद्दाह के कोश में संदर्भ टटोला तो वहां अपनी धारणा को पुष्ट करता हुआ उदाहरण मिला। इसी तरह सीरियक अरबी में भी सीधे सीधे इसका अर्थ मेज की दराज दिया हुआ है। मैं भी यही मानता हूं कि यह अंग्रजी से नहीं बल्कि फारसी-अरबी मूल का ही शब्द है।
वैसे भी इंडो यूरोपीय मूल का ड्राअर्ज drawers शब्द भी भारोपीय मूल का है जिसका अर्थ है मेज़ में छुपा एक खाना जिसे आगे खींच कर खोला जाता है। ध्यान दें खींचना के भाव पर जिसमें लम्बा होने का भाव सुरक्षित है। ड्राअर्ज शब्द बना है ड्रॉ से जिसमें खींचने, बाहर निकालने का भाव है। ड्रॉ की मूल भारोपीय धातु *dhragh- मानी गई है जिसकी संस्कृत के दीर्घ deergh से तुलना गौरतलब है। ड्रॉ शब्द का विकास ओल्ड हाई जर्मन के tragen से हुआ है। इसकी रिश्तेदारी ड्रैग या ड्रैगन से भी है। सेमेटिक भाषा परिवार की अरबी की ही एक बोली है यमनी जिसमें दराजू शब्द है जिसमें विकसित होने का भाव है। मोशे पिमेन्ता की अ डिक्शनरी ऑफ पोस्ट अरेबिक यमनी के मुताबिक आंखों में आश्चर्य का भाव भी इसमें है। गौरतलब है कि चकित होने पर आंखे बड़ी होती हैं। परिनिष्ठित हिन्दी में इसे विस्फारित नेत्र कहा जाता है और चालू भाषा में आंखे फटी की फटी रह जाना। विस्फारित और फटना दोनों ही शब्दों में विस्तार का भाव है। दीदे फाड़ना भी इसे ही कहते हैं। विस्तार में निहित लम्बाई के भाव को व्याख्या की जरूरत नहीं है। इसी तरह दराज़ा शब्द का अर्थ लपेटना, गोल गोल घुमाना भी है। चड़स या रहंट को भी दराजा कहते हैं जिसमें खींचने की क्रिया निहित है। -परिवर्धित पुनर्प्रस्तुति
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11 कमेंट्स:
आभार ज्ञानवर्धन का.
आपका ज्ञान सच में हिन्दी के लेखकों का स्तर बढ़ा रहा है।
# 'दर्ज' एक और शब्द कर डाला,
अर्थो से इक 'दराज़' भर डाला,
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# खींच लेते है हम ज़ुबाने दराज़,
'दीर्घ वाचा' पे लग गया ताला.
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# गर्म चर्चा रही 'छिनालो' की,
अपना 'दर्जा' ख़ुद ही घटा डाला
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# क्यूँ मियाँ! इस 'दराज़-उमरी' में,
ढूँढ़ते हो नयी-नयी बाला ?
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# 'दूर-दर्शी' सफर* बनाता है,
[*शब्दों का]
हट गया अपनी आँख का जाला.
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mansoorali hashmi
पिछले कुछ दिनों से बहुत कुछ सीखना रह गया है। बडिया पोस्ट धन्यवाद।
मेने तो आज ही आपके शदों का बेक अप लेना शुरू कर दिया है.एक डायरी में आपके लिखे शब्दों को अर्थ सहित उतरती जा रही हूँ नए लेखकों को ज्ञानवर्धक जानकारी जुटा कर देने का धन्यवाद .
ओह ..कहाँ कहाँ से रिश्तेदारी निकल आती है शब्दों की...गजब !!!
विस्मित,रोमांचित कर देते हैं ये.....
बहुत बहुत आभार हमारे ज्ञानवर्धन के लिए..
जब आदमी पत्थर की त्रह कठोर हो जाता है उसे बुजुर्ग कहने लगते है .
वाह बहुत अच्छे!
मैं भी अंग्रेजी के DRAWER को दराज़ का स्रोत मानता था.
बहुत जानकारी वर्धक.
पुनर्प्रस्तुति खूब तसलीबख्श है. मेज़-दराज़ वाली आपकी बात माननी पड़ेगी
पंजाब में कक्षा के लिए 'दर्जा' का इस्तेमाल तो मैंने कबी सुना नहीं, हाँ अंगरेजी division के लिए जरूर प्रयुक्त होता है जैसे, 'वह फस्ट डिविजन में पास हुआ' की जगह 'वह अवल दर्जे में पास हुआ.
bahut hi khoob..
Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....
A Silent Silence : Naani ki sunaai wo kahani..
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