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Thursday, November 11, 2010
गुटके का गुटकना
गु टका शब्द हिन्दी में बहुप्रचलित है। गुटका यानी सुगंधित पदार्थों जैसे लौंग, इलायची आदि का सूखे कत्थे और सुपारी के साथ मिलाकर बनाया हुआ मिश्रण। इसे पान मसाला भी कहते हैं। तम्बाकू के शौकीन इसके साथ तम्बाकू का सेवन करते हैं।मुखशुद्धि के लिए इस मसाले का प्रयोग काफ़ी पुराना है। आमतौर पर हिन्दी में गुटका शब्द अब कम इस्तेमाल होता है और इसकी जगह इसके रूपांतर गुटखा ने ले ली है। हालाँकि गुटखा अशुद्ध प्रयोग है पर हिन्दी में अब इसे स्वीकृति मिल गई है। इसमे अन्तिम व्यंजन क है। हिन्दी के किन्हीं क्षेत्रों में इस क उच्चार को ख की तरह सुने जाने से असावधानीवश इसे गुटखा लिखने का सिलसिला शुरू हो गया। शब्दों के सही अर्थ तक पहुँचने की जिज्ञासा वैसे भी हिन्दी जगत में कम है। उसकी व्युत्पत्ति या सही रूप जानने की तो बात ही अलग है।
गुटका बना है संस्कृत के गुटिका से जिसका अर्थ है छोटी गोली या वटी, गोल गोल कंकड़ या पत्थर, सूत या कपड़े से बना गोला। आपटे कोश में गुटिका की व्युत्पत्ति गु+टिक = गुटि+कन्+टाप् बताई गई है। संस्कृत के गु शब्द का अर्थ है विष्ठा करना, मलोत्सर्ग करना आदि। निश्चित ही ये शब्द गुटका से मेल नहीं खाते। अगर विष्ठा के आकार पर भी गौर किया जाए तब भी गुटिका के मूलार्थ से यह मेल नहीं खाता। दरअसल गु या गू के मूल में गम् धातु है जिसमे हिलने-डुलने, चलने, निकल जाना, गति करने जैसे भाव हैं। इस तरह संस्कृत के गुटि में उस छोटे पिण्ड या वस्तु का भाव है जो गोल गोल है। गोल वस्तु अपनी जगह पर स्थिर नहीं रहती अर्थात् गति करती है। गुटिका में दरअसल यही भाव है। प्रसंगवश हिन्दी में मल के लिए गू शब्द भी प्रचलित है जिसके मूल में संस्कृत के गूथः, गूः या गून जैसे शब्द हैं जो इसी शृंखला के हैं। संभवतया उदर, जठर अथवा पेट में पाचन क्रिया की विभिन्न गतियों के चलते और अंततः शरीर से निकल जाने के गतिसूचक भावों के चलते इस उत्सर्जी पदार्थ को यह नाम मिला हो। मोनियर विलियम्स के कोश में गुटका शब्द की उपरोक्त व्युत्पत्ति नहीं दी गई है। अलबत्ता गु शब्द का अर्थ वही है जो आप्टे बता रहे हैं। गौरतलब है कि संस्कृत-हिन्दी में खींच-तान कर व्युत्पत्तियाँ सिद्ध करने की परिपाटी काफी पुरानी है और इसीलिए मान्य ग्रंथों में दी गई व्युत्पत्तियाँ कई बार गले नहीं उतरतीं।
प्रचलित हिन्दी में गटका का अर्थ है तम्बाकू रहित या तम्बाकू मिश्रित पान मसाला। आमतौर पर किसी पदार्थ को निगलते हुए होनेवाली गुट-गुट ध्वनि के आधार पर भी इस शब्द की उत्पत्ति मानी जाती है। कबूतर की आवाज़ को गुटुरगूँ ध्वनि की वजह से ही कहा जाता है। माना जा सकता है कि गुटका शब्द ध्वनिअनुकरण सिद्धांत पर जन्मा हो। बात काफ़ी हद तक सही है, मगर पान मसाले को किसी गोली की तरह निगला नहीं जाता बल्कि उसे पहले खूब चबाया जाता है, उसकी लार उगली भी जाती है तब जाकर वह गुटकने लायक बनता है। निगलने से पहले इतनी क्रियाओं से गुज़रने वाले पदार्थ का नाम निश्चित ही ध्वनिअनुकरण के आधार पर तो नहीं पड़ा होगा। गौर करें हिन्दी के गुटका शब्द में संस्कृत के गुटिका में निहित गोल और छोटी वस्तु में से केवल छोटेपन का भाव सुरक्षित है, गोल वाला भाव यहाँ गायब हो गया है। हिन्दी में गुटका का अर्थ छोटी पुस्तिका जैसे रामायण का गुटका, भी प्रचलित है। यहां भी गोल नहीं,छोटे का भाव उभर रहा है। गुटकने से गुटका की व्युत्पत्ति तब सिद्ध होती जब गुटका चाहे किताब हो या पान मसाला, गोल गोल होता। भांग की वटी को गोली ही कहा जाता है, उसके लिए गुटका शब्द नहीं चलता। आज पानमसाले के पाऊचों के लिए गुटका शब्द प्रचलित हो गया है। पुराने ज़माने में भी गुटका पुड़िया में बांधा जाता था।
दरवाज़ों के पल्लों को अधखुला रखने के लिए अटकाए जाने वाले लकड़ी के टुकड़े को गुट्टा कहते हैं। दरअसल यह भी गुटका है। इसी तरह नाटे ठिंगने व्यक्ति को भी गुटका या गट्टा कहा जाता है। इसका स्त्रीवाची गुटकी या गट्टी हो जाता है। कहीं कहीं ठिंगनों को लिए गठान या गुठली शब्द भी प्रचलित है। हिन्दी में गटकना या गुटकना का प्रयोग मुहावरे की तरह भी होता है। किसी चीज़ को हड़पने के लिए गटकना शब्द का मुहावरेदार प्रयोग होता है। हिन्दी के समूहवाचीगुट शब्द का इस शब्द शृंखला से रिश्ता नहीं है। गुट यानी संघ, समूह, दल या मंडली संस्कृत के गोष्ठ से बने हैं। प्राचीन काल में गोष्ठ वह स्थान था जहां गाएं बांधी जाती थी, उन्हे चारा-दाना –पानी दिया जाता था। तब सभी गोपालक एक साथ बैठकर दुनिया-जहान की चर्चा करते थे जिसे गोष्ठी कहा जाता था। पिकनिक के अर्थ में मालवा राजस्थान में गोठ शब्द बहुत आम है।
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 12:48 PM लेबल: food drink, तकनीक, पदार्थ
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14 कमेंट्स:
अभिप्राय गोल गोल से ही नजर आता है, राजस्थान की प्रसिद्ध गट्टे की सब्ज़ी का समबंध उसके गोल आकार से ही है।
गुट,गोष्ठ,गोठ शब्द भी कदाचित सभा में गोलाई से बैठने के सम्बंधित हो?
अजित जी आज आपके ब्लॉग पर मैं पहली बार ही आया हूँ, भास्कर मे आपका स्तंभ "शब्दों का सफ़रनामा" काफी समय से पढ़ रहा हूँ जो कि मुझे पसंद भी है। यहाँ आकर बहुत अच्छा लगा।
आपके लेखों को पढ़कर भाषा ज्ञान समृद्ध होता है। यह लेख भी बहुत जानकारी परक है।
अजित जी बहुत ही अच्छा काम आप कर रहे है... हमे मुफ्त मे जो ज्ञान दे रहे है.... आभार
वाह... गुटका प्रेमियों का भी खयाल रखा आपने तो... उनके मतलब के शब्द की व्याख्या करके:)
बेहतरीन व्याख्या की आपने
सभी साथियों का बहुत आभार..
क्या आपको पता है कि दी गई तस्वीर वाले गुटके में गुरमुखी(पंजाबी) की लिखावट है?
गुतक लिया हमने भी आपका ये गुटका। शुभकामनायें।
@बलजीत बासी
बिलकुल पता है जी। हमने देखकर ही लगाया है। किसी वक्त गुरुमुखी अक्षरों को पहचानने की पहेलीनुमा मशक्कत भी करते थे कभी...
अजितजी , शब्दों को आप अनोखे ढंग से विस्तार देते है, 'शब्द-कोष' जैसी बोरिंग किताब को आपने अल्फ-लैला की दास्तान में तब्दील कर दिया है. मुझसे शब्दों को 'वाक्यों' में प्रयोग करवाने के ज़िम्मेदार भी आप ही है [ "उल्टा-पुल्टा" ही सही]
# 'गुट' खा रहे है देश को, 'गुटके' को देश वासी,
कम गूंजती 'गुटरगूं' उल्लू है अब निवासी.
# सबसे ज़्यादा 'हरकत' 'गू'-गल में आजकल है,
'सोचो'* को कब्ज़ियत है,ज़हनो में है उदासी. [*विचार धाराओं को]
# दरवाज़े बंद सारे, 'गुटके' हटा लिए है,
उम्मीद है 'किरण' को खिड़की खुले ज़रासी.
[p.s. "खाने को आज 'गुटका' आये बलजीत बासी"]
-- mansoorali हाश्मी
http://mansooralihashmi.blogspot.com
अच्छी पोस्ट !
हम भी किसी के गुटके है
गुटका शब्द थोड़े दिनों में केवल तम्बाकू के लिये ही प्रयुक्त होने लगेगा।
संस्कृत के ' गु ' शब्द से अगर गुट्खा जुड़ जाता तो कईयों का खाना बन्द हो जाता !!
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