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Sunday, January 2, 2011
अजीबोग़रीब में अजीब और ग़रीब की तलाश
वि लक्षणता और विचित्रता के भावों को उजागर करनेवाला अजीब शब्द हिन्दी में बहुत लोकप्रिय है। यह सेमिटिक मूल की अरबी भाषा से हिन्दी में दाखिल हुआ है। अजीब आदमी, अजीब जगह, अजीब चीज़ और अजीब बात जैसे पदों से ज़ाहिर होता है कि दुनियाभर की विचित्रताएं इस अजीब की दायरे में आती हैं। अजीब का ही एक रूप है अजब जो अरबी का ही है और इसमें भी आश्चर्यजनक, विचित्र या अद्भुत जैसे भाव इसमें समाहित हैं। अजब के साथ गजब ( ग़ज़ब )के मेल से उर्दू-हिन्दी का एक लोकप्रिय पद अजब-गजब बनता है। विचित्र वस्तु के लिए अजूबा शब्द प्रचलित है जिसका मूल रूप है अजूबः। अजीब, अजूबा, अजब जैसे शब्दों की कड़ी में ही आता है अजायब जैसा शब्द। यह अजीब का बहुवचन है और इसका शुद्ध रूप अजाइब है मगर हिन्दी के प्रभाव में अब इसका अजायब रूप ज्यादा प्रचलित है। संग्रहालय या म्यूज़ियम को हिन्दी में अजायबघर ही कहा जाता है। हालाँकि हर संग्रहालय को अजायबघर नहीं कहा जा सकता क्योंकि अजायबघर वह जगह है जहाँ विचित्र वस्तुएं प्रदर्शित हैं जबकि संग्रहालय किन्हीं मूल्यवान, प्राचीन और कलात्मक वस्तुओं का संग्रह होता है। इसके लिए अजायबख़ाना शब्द भी चलता रहा है। इसी तरह का एक अन्य शब्द है अजीबोग़रीब जो हिन्दी में सर्वाधिक प्रचलित शब्दयुग्मों में शुमार है।
अजीबोग़रीब अर्थात आश्चर्यजनक या अति विलक्षण। यहाँ अजीब में निहित भाव तो समझ में आता है मगर ग़रीब का आमतौर पर पल्ले नहीं पड़ता। हिन्दी में ग़रीब शब्द का अर्थ सामान्य तौर पर निर्धन होता है। सबसे पहले बात अजीब की। अजब या अजीब बने है सेमिटिक धातु अ-ज-ब a-j-b से जिसमें विचित्र का भाव है अर्थात जो सामान्य न हो। कोई भी चीज़ असामान्य इसलिए होती है क्योंकि उसके लक्षण सामान्य से अलग होते हैं। इसलिए हिन्दी में ऐसी बातों के लिए विलक्षण शब्द का प्रयोग होता है। सो विचित्र, विलक्षण, बेमिसाल, अनोखी, कौतुकी, अचरजपूर्ण और अनुपम वस्तु को अजीब या अजूबा कहकर नवाज़ा जाता है। अजब के कई रूपान्तर हुए हैं जैसे अजरबैजानी में यह आसेब है। अजब के इस रूप को फ़ारसी में भी स्थान मिला जहाँ से यह उर्दू में भी चला आया। फ़ारसी में आसेब का अर्थ हुआ प्रेतबाधा, जिन-परी या कोई बड़ा खतरा या अनिष्ट की आशंका। इसका बहुवचन असाइब होता है। हालाँकि फ़ारसी में अजब और अजीब रूप भी सुरक्षित हैं। इंडो-ईरानी मूल के सुपरलेटिव ग्रेड के प्रसिद्ध तर-तम प्रत्ययों में से फ़ारसी में तर का प्रयोग जस का तस होता है जबकि तम का रूपांतर तरीन में हो जाता है। जैसे बेहतर और बेहतरीन। इसी तरह अजीब के साथ जुड़ कर अजीबतर और अजीबतरीन जैसे शब्द बनते हैं जिनके मायने बहुत विचित्र और विचित्रतम होंगे।
गरीब मूलतः सेमिटिक भाषा परिवार का शब्द है और इसके विविध रूपांतर अरबी, हिब्रू आरमेइक आदि भाषाओं में हैं। यह जानना दिलचस्प है कि निर्धन और विपन्न जैसे अर्थों में प्रयोग होने वाले इस शब्द का मूल अर्थ कुछ और था। भाषाविज्ञानियों के मुताबिक अपने सेमिटिक मूल में ग़-र-ब gh-r-b धातु में अस्त होने, वंचित होने का भाव था। इसकी पुष्टि होती है इसके प्राचीन हिब्रू रूप गर्ब Gh-Rb से जिसमें मूलतः अंधकार, कालापन, पश्चिम का व्यक्ति या शाम का भाव है। अरब के पश्चिम में स्थित अफ्रीका की मूल जनजाति नीग्रो कहलाती है जो श्यामवर्णी होते हैं। इन्हें हब्शी भी कहा जाता है। गौरतलब है हब्शी और नीग्रो दोनों ही शब्दों के मूल में भी काले रंग का भाव ही है। इस तरह एक और व्युत्पत्तिमूलक साक्ष्य सामने आता है। प्राचीनकाल से ही अफ्रीका के हब्शी अरब में गुलामों की हैसियत से खरीदा-बेचा जाता था। गर्ब शब्द में इन्ही नीग्रो का अभिप्राय है। ये गुलाम मालिकों से सिर्फ भोजन और वस्त्र ही पाते थे, जाहिर है इन्हें गरीब अर्थात पश्चिम से आया हुआ विपन्न कहा गया। gh-r-b में निहित अजनबी, दूरागत अथवा परदेसी के भाव पर गौर करें। प्राचीनकाल में यात्राएं पैदल चलकर तय होती थी और बेहद कष्टप्रद होती थीं। राहगीर चोर-उचक्कों और बटमारों की ज्यादती का शिकार भी होते थे। परदेश से आया यात्री आमतौर पर थका हारा, फटेहाल और पस्त होता था। गरीब शब्द की अर्थवत्ता विपन्न और वंचित के अर्थ में यहां समझी जा सकती है। गुरबा शब्द भी इसी मूल से आ रहा है जिसका अर्थ है वह व्यक्ति जिसे देशनिकाला दिया गया हो, जिसे खदेड़ा जा चुका हो। प्राचीनकाल में विजित राज्यों से पराजित व्यवस्था के विश्वासपात्र लोगों के समूहों को देशनिकाला दिया जाता था। यह आप्रवासन स्वैच्छिक भी होता था और राज्यादेश से भी होता था। जाहिर है जड़ों से उखड़े लोग दीन हीन अवस्था में जब कहीं शरणागत होते थे तो वे गरीब-गुरबा कहलाते थे। गरीब में विपन्न और वंचित की अर्थवत्ता इसी तरह स्थापित हुई होगी।
गौरतलब है कि अरबी, फारसी और उर्दू में पश्चिम दिशा को मग़रिब maghrib कहते हैं जो इसी मूल से आ रहा है और इसका मतलब है पश्चिम दिशा। उत्तर पश्चिमी अफ्रीका के छोर पर स्थित एक देश का नाम है मोरक्को जो मग़रिब से ही बना है। गौरतलब है कि मोरक्को के उत्तर में यूरोप के स्पेन और पुर्तगाल जैसे देश हैं। मोरक्को Morocco पर स्पेन की संस्कृति का काफी प्रभाव है। मोरक्को का प्राचीन नाम था अल मम्लाकाह मग़रिबिया अर्थात पश्चिमी गणराज्य। गौर करें, रोज़गार की खातिर एक स्थान से दूसरे स्थान को शुरू से ही मानव समूहों का आप्रवासन चलता रहा है। जो दूर चला गया वह ग़रीब यानी जिसने कमाई की खातिर अपनी मूल भूमि छोड़ दी हो, वह है ग़रीब। या वह ग़रीब है जो दूर देश से रोज़गार की खातिर कहीं आ बसा हो। निर्धन अर्थात जिसके पास धन न हो। इसी तर्ज पर ग़रीब वह जिससे समृद्धि दूर जा चुकी हो। मूलतः परदेशी, यात्री, यायावर, घुमक्कड़ ही ग़रीब की प्राचीन अर्थवत्ता में शामिल थे। इस तरह ग़रीब के मूलार्थ को देखें तो ग़रीब का अर्थ होता है दूर देश का। ज़ाहिर है जो चीज़ दूर की है उसमें अनेक विलक्षणताएँ होंगी। इस तरह अजीब और ग़रीब शब्द में अर्थात्मक समानता के आधार पर जो शब्दयुग्म बना वह था अजीबोग़रीब अर्थात ऐसा कुछ, जो ज्ञात दूसरी चीज़ों में न हो। ऐसी विलक्षणताएँ जिनसे पहले कभी साबका न पड़ा हो। अजब-गजब का मामला भी कुछ ऐसा ही है। गजब का शुद्ध अरबी उच्चारण है ग़स्ज़ब। इसका तुर्की रूप है गजप हो जाता है, उज्जबेकी में यह ग़ज़ब है और स्वाहिली में ग़दबू है।
यह आश्चर्यजनक बात है कि अपने मूल में ग़ज़ब की जो अर्थवत्ता है, हिन्दी में उसकी सिर्फ़ अर्थछाया ही लोकप्रिय हुई, मूलार्थ नहीं। ग़ज़ब का मतलब है क्रोध, गुस्ता, कोप, कहर, दैवी आपदा, खुदाई कहर आदि। जबकि हिन्दी में इन अर्थों में ग़ज़ब का प्रयोग कोई नहीं करता। अजीब-अजब की तरह ही ग़ज़ब भी इस्तेमाल होता है जिसमें विचित्र या विलक्षणता का भाव है। हिन्दी शब्दकोशों में हालाँकि ग़ज़ब के अर्थ में क्रोध या कहर जैसे भावों का उल्लेख ही प्रमुख रूप में है मगर वहाँ आश्चर्य का पर्याय भी मौजूद है। रामचन्द्र वर्म्मा के प्रामाणिक हिन्दी कोश में इसका अर्थ कोप, अन्धेर, अन्याय के साथ विलक्षणता भी बताया गया है वहीं बृहत हिन्दी शब्दकोश में, अद्भुत, कमाल का, असाधारण या बेहद जैसे पर्याय भी बताए गए हैं। मूलार्थ यहाँ भी अति क्रोध या प्रकोप ही है। स्पष्ट है कि कहर या क्रोध जैसे भावों में जो “अति” है, उसमें आश्चर्य तत्व है और हिन्दी नें उसी को ग्रहण किया। इसीलिए अजब-गजब जैसा मुहावरा यहाँ इतना प्रचलित है जिसमें बहुत कमाल का, विलक्षण और मनोरंजक या आश्चर्यजनक और असाधारण जैसे भाव उद्घाटित होते हैं। यूँ ग़ज़ब ढाना, ग़ज़ब टूटना या ग़ज़ब पड़ना जैसे मुहावरों में दैवी प्रकोप, खुदाई कहर या अचानक विपत्ति जैसे भाव ही प्रकट होते हैं और इनका प्रयोग बोलचाल में खूब होता है। हैरतअंगेज या हैरतनाक की तरह ही ग़ज़बनाक शब्द भी बनता है। अरबी में जल्लाद को मीर ऐ ग़ज़ब कहा जाता है।
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11 कमेंट्स:
अजब शब्द की गजब कहानी।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ
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परावर्तन: पूजा प्रजापति
गुलाबी कोंपलें
बहुत रोचक व ज्ञानवर्धक !
अजित जी ,
अरसे बाद टिप्पणी दे रहा हूँ पर ये न समझें की पढने का लोभ रोक पाता हूँ .आज एक पुछल्ला जरूरी हो गया है अतः .....
अजीब = जो अक्सर न मिलता हो ,दुर्लभ हो जैसे राजनेता . इम्पोर्टेड हो तो और भी ' अजीब ' .
गरीब = जो जनता की तरह बहुतायत में मिलता हो और जिसके लिए ' नेता ' अजीब ' चीज हो .
फारसी में अजाइब एकवचन भी चलता है.पंजाब में अजाइब सिंह नाम होते हैं, अजीब सिंह नहीं!
हमारे जैसे घरों को गरीबखाना भी बोलते हैं.
सन 1875 का रायपुर का महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय, देश के सबसे पुराने संग्रहालय में से है, इसे अजायब बंगला के नाम से अधिक जाना जाता था. इस संग्रहालय के नाम को कई बार भ्रमवश एमजीएम के कारण महात्मा गांधी मेमोरियल और महंत(राजनांदगांव के राजा)के बजाय प्रसिद्ध संत गुरु घासीदास के नाम पर रखा मान लिया जाता है.
'अजब' शब्द की 'गज़ब' पेशकश, यह आप ही कर सकते है अजित जी. उर्दू शायरी में इन शब्दों का प्रयोग प्रस्तुत है:-
अजब नहीं ये जुनूँ और भी करे सद चाक,
हमारे सब्र का दामन रफू तो क्या होगा !
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बैठ जाता हूँ जहा छाओं घनी होती है,
हाए ! क्या चीज़ ग़रीबुल वतनी होती है.
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और चचा ग़ालिब ने क्या गज़ब किया वो भी सुनिए:-
दर ख़ुरे कहरो-ग़ज़ब जब कोई हमसा न हुआ,
फिर ग़लत क्या है कि हमसा कोई पैदा न हुआ!
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और श्री हाश्मी कहते है कि.........
हालात आजकल तो अजीबो ग़रीब है,
है डाक्टर मरीज़, तो रोगी तबीब है.
.........और भी..... at ..http://aatm-manthan.com पर .
- मंसूर अली हाश्मी.
गरीब के लिये अजब कहानी
आपको सपरिवार नये साल की हार्दिक शुभकामनायें।
पढना आरम्भ किया तो एकदम से दिमाग में यह शब्द "गज़ब" घुघुराने लगा कि सत्य है आजतक घोर आश्चर्य की स्थिति/मनोवस्था में कभी न हुआ कि शब्द अजब का उपयोग गज़ब के बिना किया हो..अजब गजब या अजीबोगरीब कह ही लगता है मनोभाव अभिव्यक्त हुए...जबकि बात सही है कि गजब या गरीब का शाब्दिक अर्थ आश्चर्यजनक का सामानांतर कहाँ ठहरा...
आपने जिस तरह से इसे सिद्ध किया...हैड्स ऑफ !!!
लाजवाब विवेचना..
अजित जी ,
नमस्कार व नव वर्ष की शुभकामनाये
ब्लॉगजगत में कुछ महीने पहले ही प्रवेश की हूँ और आपके शब्दों के सफ़र में शामिल हूँ . आप शब्दों की विवेचना करते है वह वाकई कबीले तारीफ है सचमुच बड़ा आश्चर्य होता है की एक शब्द में ही कितने अर्थ छुपे होते हैं और कितने रूप होते है अलग अलग स्थानों पर फिर भी एक दुसरे से मिलते जुलते . बिलकुल उसी तरह से जिस तरह पृथ्वी के हर स्थान में सर्वशक्तिमान को मानने वाले उसे अलग नाम ,अलग रूप , अलग तरीके से मानते है पर है एक ही. सच आप का शब्दों का सफ़र बड़ा ही अजब है और गजब का भी.
... umdaa !!
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