Wednesday, January 26, 2011

अलमस्त, बेपरवाह...बोले तो बिन्दास...

bindaas

माजवाद के शलाकापुरुष डॉ राममनोहर लोहिया ने भारत की विलक्षण संस्कृति के संदर्भ में एक बार कहा था कि तीन चीज़ों के पक्ष में हिन्दुस्तान में हमेशा बहुमत दिखता है- एक -गाँधी, दो-हिन्दी, तीन-मुंबइया फिल्में। क़रीब पांच दशक पहले कही इस बात में मुझे ज्यादा बदलाव की गुंजाईश आज भी नज़र नहीं आती। यहाँ संदर्भ सिर्फ़ इसलिए क्योंकि मुंबइया फिल्मों का रिश्ता दरअसल हिन्दी से ही है और इस तरह उनकी दो बातों में प्रकारान्तर से हिन्दी का महत्व ही उजागर हो रहा है। मुंबइया फिल्में चाहे मुख्यधारा की हिन्दी में बनती हों, मगर उनके ज़रिए भी हिन्दी को मुंबइया शैली की हिन्दी से परिचित होने का मौका मिला है और आज मुख्यधारा की बोलचालवाली हिन्दी में कई मुंबइया शब्द प्रचलित हैं। ऐसा ही एक शब्द है बिन्दास। अलमस्त, बेपरवाह, बेधड़क, लाफ़िक्र जैसी अर्थवत्ता वाला यह वाक्य दशकों पहले भी युवपीढ़ी का प्रिय था और आज भी है। अपुन तो बिन्दास हैं का मतलब ही यह है कि बोलनेवाला बंदा नए ज़माने का युवा है। युवा होने का अर्थ ही है बेफ़िक्र, लापरवाह और निडर। मज़े की बात ये कि कुछ विशेषण सिर्फ़ युवाओं के लिए होते हैं मगर बिन्दास युवा के लिए भी उतना ही मौजूं है जितना युवती के लिए। अल्ट्रा मॉड अभिनेत्रियों पर युवावर्ग जान छिड़कता है, मगर संभव है उनमें बिन्दास शायद एकाध ही निकले।
बिन्दास एक रहस्यमय शब्द चाहे न हो, मगर इसमें एक ऐसा क़िरदार पिन्हां है, जिसके जैसा होना हर युवा चाहता है। किसी ज़माने में बिन्दास शब्द को टपोरी शब्द माना जाता था, मगर अब इसका प्रयोग ठसके के साथ हर वर्ग में होता है। बिन्दास बना है मराठी के बिन उपसर्ग में धास्त लगने से। बिन + धास्त = बिनधास्त> बिन्दास के क्रम में इसका उद्भव हुआ। मराठी के बिन का वही अर्थ है जो हिन्दी में बिन, बिना का होता है। बिन में रहित, सिवाय, बगैर का भाव है। संस्कृत के विना से यह बना है। यह बना है वि+ना दिलचस्प है कि संस्कृत के ना में भी नहीं, नकार का भाव है और इससे आगे लगे वि उपसर्ग में भी विलोम या रहित का भाव है। संस्कृत-हिन्दी के बीच का परिवर्तन में होता है सो विना को बिना होना ही था। मराठी में भी यही रूप प्रचलित हुआ। मराठी के धास्त का अर्थ है प्रलय, अनिष्ट की कल्पना करना, भय, विनाश जैसे भाव इसमें हैं। यह बना है संस्कृत के ध्वस / ध्वस का अपभ्रंश रूप है जिसमें नष्ट होने, चूर चूर होने, नीचे गिरने, बर्बाद होने जैसे भाव हैं। इस अर्थ में संस्कारी मराठी ने जो शब्द बनाया, वह था धास्त में निर् उपसर्ग लगाकर निर्धास्तनिर् में भी नकार का भाव है इस तरह निर्धास्त का अर्थ हुआ निश्चिन्त, बेफ़िक्र, निडर, निर्भय, बेपरवाह। बिनधास्त, निरधास्त ये शब्द निर्भय, बेफिक्र, मस्त रहने के लिए होते हैं। निर्धास्त जहां निश्चिन्तता के अर्थ में रूढ़ है वहीं बिनधास्त ने अपनी अर्थवत्ता का और विस्तार किया साथ ही कुछ रूपान्तर भी। इसकी भावाभिव्यक्ति बिन्दास में हुई मस्तमौला,  अलमस्त, बेपरवाह के रूप में।

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9 कमेंट्स:

Abhishek Ojha said...

आज का तस्वीर चयन भी बिंदास है :)

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

यह सब पढ़कर मई अपने को बिंदास ही कहूंगा

दिनेशराय द्विवेदी said...

पोस्ट भी बिलकुल बिंदास है।

Anonymous said...

सुना तो कई बार था ये शब्द लेकिन यह कैसे बना ये नहीं मालूम था, धन्यवाद आपके ब्लॉग का जो इस बारे में और जानकारी मिली |
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शिल्पा

प्रवीण पाण्डेय said...

तब तो बिन्दास का अर्थ हुआ, बिना प्रलय का।

Unknown said...

mera bhi blog visit karen aur meri kavita dekhe.. uchit raay de...
www.pradip13m.blogspot.com

deepti sharma said...

vaah aapne bahut sahi jankari de di
...

रंजना said...

बिंदास शब्द के उच्चरण मात्र से ही मन में कुछ क्षण को बेफिक्री अलमस्ती का भाव आ जाता है...
बहुत सुन्दर विवेचना की आपने...

अभिषेक अवतंस said...

बिंदास को ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी में भी शामिल किया गया है। देखें यह लिंक
http://www.expressindia.com/news/fullstory.php?newsid=52505

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