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Wednesday, June 22, 2011
हाल कैसा है जनाब का….?
क हिए, क्या हाल हैं? अमूमन हर हिन्दीभाषी का एक दूसरे से संवाद इसी वाक्य से शुरू होता है। इसके जवाब में ज्यादातर लोग यही कहना चाहते हैं कि-हाल तो बेहाल हैं मगर शर्माशर्मी में "ठीक है" कहकर काम चला लेते हैं। चंद संतोषीजनों का जवाब कुछ यूँ होता है-जिस हाल में भी ऱखे है, ये बंदापरवरी है/ और यूँ भी वाह वाह है, और यूँ भी वाह वाह है। हिन्दी में हाल से अभिप्राय है परिस्थिति, अवस्था या दशा से। क्या हाल हैं में इन्ही सब बिन्दुओं के बारे में जानकारी लेने का भाव है। अवस्था के संदर्भ में हाल का भाव स्वास्थ्य से भी जुड़ता है। ग़ालिब साहब फ़र्माते हैं कि- उनके देखे से जो आजाती है मुँह पे रौनक / वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है। हिन्दी की खासियत है कि इसे बोलनेवाले जब दूसरी संस्कृतियों के सम्पर्क में आते हैं तो सबसे पहले वे नई भाषा से जुड़ते हैं। अरबी फारसी का हिन्दी पर बहुत प्रभाव है और हाल शब्द भी अरबी ज़बान से हिन्दी में आया है जो खूब इस्तेमाल होता है। प्रत्ययों और उपसर्गों के जरिए इससे बने शब्द भी खासी तादाद में प्रचलित हैं। फारसी के बद् या बे उपसर्गों के जरिए हाल से बेहाल, बदहाल जैसे शब्द भी बनते हैं जिनका अभिप्राय बुरी परिस्थिति या दुरवस्था से होता है। तंगहाली यानी ग़रीबी। यह हाल मुहावरों भी खूब इस्तेमाल होता है मसलन-वो हाल करेंगे कि याद रखोगे। क्या हाल कर दिया है। हाल-बेहाल हैं वगैरह वगैरह।
अरबी का हाल-haal बना है सेमिटिक धातु hwl जिसमें बदलाव, परिवर्तन, अदलाबदली जैसे भावों के साथ साथ मंडल, घेरा, परिधि, दायरा का आशय भी है। इसके अलावा इसमें वार्षिक चक्र की अर्थवत्ता भी समायी हुई है। इसके अलावा इसमें हस्तक्षेप, अवरोध, प्रयास आदि आशय भी हैं। hwl से बने हाल शब्द में परिस्थिति, अवस्था या दशा का भाव है। यहाँ स्पष्ट करना ज़रूरी है कि इसमें अतीत से वर्तमान के बदलाव का भाव है अर्थात हाल क्या है में किसी वस्तु, मनुष्य या स्थान की अवस्था में आए परिवर्तन या बदलाव की बाबत जानने का भाव निहित है। आज हाल यह है कि हाल शब्द के विकल्प के तौर पर अधिकांश हिन्दीदाँ परिस्थिति, दशा या अवस्था का प्रयोग नहीं करते हैं। बोलचाल की हिन्दी में इन सभी शब्दों के विकल्प के तौर पर हाल शब्द को ही हरहाल में अपनाया गया है। हाल की कड़ी का दूसरा शब्द है हालत जिसका सीधा सा अर्थ भी दशा या परिस्थिति ही है। हालत का बहुवचन होता है हालात और यह शब्द भी हिन्दी में खूब प्रचलित है। अक्सर हिन्दी वाले हालत और हालात को एक ही मानते हूए हालात का भी बहुवचन हालातों के तौर पर करते हैं जो ग़लत है। हिन्दी-उर्दू के हवाला शब्द की रिश्तेदारी भी हाल से है जिसमें अदला-बदली, परिवर्तन जैसे भाव हैं।
दरअसल हाल का ही एक रूप हवाल है जिसका फ़ारसी उर्दू रूप हवाला होता है। बिहारी की प्रसिद्ध पंक्ति-अलि कलि ही सो बिन्ध्यो, आगे कवन हवाल में इस हवाल की शिनाख्त हो रही है। गौरतलब है कि बिहारी ने यह पंक्ति क़रीब चार सदी पहले लिखी थी। हवाल का ही बहुवचन अहवाल है जिसका अर्थ होता है सूचना, समाचार, वृतांत रिपोर्ट आदि। गौरतलब है कि हवाल में जहाँ दशा, परिस्थिति का भाव है वहीं इसके बहुवचन अहवाल में सूचना, समाचार या वृतांत के भाव से स्पष्ट है कि कोई समाचार या सूचना दरअसल स्थान, वस्तु या व्यक्ति के बारे में किन्हीं परिवर्तनों या बदलाव के बारे में ही सूचित करती है। हवाल में निहित परिवर्तन का भाव बहुत व्यापक है और इसके अनेक मुहावरेदार प्रयोग हिन्दी में प्रचलित हैं जैसे हवाले करना किसी के सिपुर्द करना। यहाँ परिवर्तन की बात स्पष्ट है। मराठी में रिपोर्ट के संदर्भ में अहवाल शब्द आमतौर पर चलता है। यूँ कहें कि सामान्य मराठीभाषी अहवाल शब्द से अरबी के जरिए नहीं बल्कि मराठी के जरिए ही परिचित है।
मौद्रिक लेनदेन के संदर्भ में हवाला कारोबार जैसी टर्म आज बहुत प्रचलित है। गैरकानूनी आर्थिक लेन-देन के संदर्भ में यह शब्द खूब सुनने को मिलता है। कालेधन को देश से बाहर भेजने में इसी हवाला व्यवस्था का सहारा कालाबाजारिए और जमाखोर लेते हैं। हवाला शब्द आज दुनियाभर में इसी अर्थ में इस्तेमाल होता है। वैसे लेन-देन की इस प्रणाली का जन्म भारत में ही उस वक्त हुआ था जब आज की तरह बैंकिंग की नियमबद्ध कानूनी व्यवस्था अस्तित्व में नहीं थी। मुस्लिम दौर की प्रशासनिक व्यवस्था का एक आम हिस्सा था यह हवाला शब्द। हवलदार शब्द हिन्दी, मराठी, गुजराती जैसी भाषाओं में खूब प्रचलित है। आज की पुलिस व्यवस्था में भी कांस्टेबल को हवलदार कहा जाता है। पुराने ज़माने में हवलदार / हवालदार दरअसल शासन की ओर से नियुक्त कर वसूली करनेवाला कारिंदा या छोटा अफ़सर होता था। हवालदार उस फौजी अफ़सर को भी कहते थे जिसके सिपुर्द सिपाहियों की छोटी टुकड़ी होती थी। हवाला व्यवस्था में हवाला लेनदेन करानेवाला व्यक्ति हवालादार कहलाता है।
हाल या हवाल का रिश्ता अरबी की प्रसिद्ध उक्ति लाहौल विला कुव्वत से भी है। दरअसल यह इश्वर की प्रशंसा में कही गई उक्ति है जिसका उल्लेख कुर्आन के हदीस hadith में है। अरबी में इसका पूरा रूप है- ला हौल वा ला कुव्वता इल्ला बी अल्लाह। हिन्दी का ठेठ देसीपन इसमें भी घालमेल करता चलता है और इसका रूपांतर लाहोल बिला कूवत इल्ला बिल्ला हो जाता है। भाव यही है कि ईश्वर की मर्ज़ी के बिना कुछ नहीं हो सकता। न तो किसी चीज़ अपने आप सामर्थ्यवान हो सकती है और न ही उसका रूप बदल सकता है। इस सृष्टि में कोई भी हेर-फेर, परिवर्तन सिर्फ़ और सिर्फ़ खुदा की मर्ज़ी से ही हो सकता है। यहाँ जो ला हौल है दरअसल उसका रिश्ता ही हाल, हवाला आदि से है अर्थात कोई परिवर्तन नहीं हो सकता, ईश्वर की मर्जी के बिना। हाल दरअसल साधना की वह उच्चतम अवस्था भी है जिसे समाधि या ध्यान भी कहते हैं। सामान्य जागृत अवस्था की तुलना समाधि अवस्था अपने आप में एक परिवर्तन है। सूफ़ी दार्शनिक शब्दावली में यही हाल है अर्थात ध्यानावस्था या तंद्रा है जिसमें योगी सीधे ईश्वर से तादात्म्य स्थापित करता है। इसे ही कहते हैं हाल आना अर्थात समाधिस्थ होना।
ज़रूर देखें-लाहौल विला कुव्वत इल्ला बिल्ला
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 8:55 PM
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13 कमेंट्स:
अच्छी जानकारी... आभार...
आप तो ईद के चाँद हो गये थे।
आप आये भी, साथ में एक अच्छा लेख भी लाये।
अपना हाल तो ठीक ही है, - आपका क्या ख़याल है [उत्तम] :-)
बहुत दिनों बाद आपके हालचाल जानकर अच्छा लगा..
बहुत बढ़िया!
चलिए वापसी हुई। हाल मालूम हुए।
एक हाल को भूल गए। बैलगाड़ी के लकड़ी के पहिए पर गर्म कर के फैला कर चढ़ाई जाने वाली लोहे की रिंग। जो ठंडी होने के बाद पहिए को कस कर पकड़ लेती है। उसे भी हाल ही कहा जाता है। उस का संबंध भी इसी हाल से है।
हाल ठीक है तो गाड़ी दुरुस्त चलेगी।
इस हाल का बैलगाड़ी की चाल से सीधा संबंध है।
आप बैलगाड़ी के चालक से पूछिए हाल-चाल कैसे हैं?
उस का उत्तर क्या होगा?
वाह आप कहां कहां की जानकारिया जुटा लाते है धन्यवाद
'हाल' क्या है, समझकर खुशी क्यों न हो, आपका यूँ बताना गजब ढा गया।
हाल से
लाहौल विला कुव्वत
तक का सफ़र सुहाना रहा । अच्छी जानकारी मिली । आभार ।
लम्बे अन्तराल के बाद आपकी आमद सुखद लगी, अजित भाई. 'हाल' का 'अहवाल' अच्छा लगा.
हाल बेहाल हो गया देखो,
सूना पंडाल हो गया देखो,
लेने आया ख़बर था जो सबकी,
'बाबा' अहवाल हो गया देखो.
http://aatm-manthan.com
@दिनेशराय द्विवेदी
बहुत बढ़िया। मुझसे हालचाल तो छूट ही गया और हील हवाला भी।
हुआ यूं की हील हवाला या हीला हवाला में जो हील या हीला है उसके कई संदर्भ मिले मगर तार्किक परिणति तक मैं ही नहीं पहुंच पाया और इसी चक्कर में
हालचाल के हाल भी न ले पाया। आपने बहुत दिलचस्पी से विवेचना की, मज़ा आ गया।
हाल ठीक है और चाल 'दुरी बट्टे समय' :)
आप पहले नियमित होईये फिर से.
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