Sunday, May 27, 2012

तकिये की ताक़त

pillowsसम्बन्धित कड़िया-1.बलाए-ताक नहीं, बालाए-ताक सही 2.ठठेरा और उड़नतश्तरी
मारे लिए भाषा संवाद का जरिया होती है, अर्थ जानने का नहीं । संवादों के जरिए समूचे मनोगत को अभिव्यक्ति मिलती है न कि शब्दार्थ को । शब्द विशिष्ट अर्थ को प्रकट करते हैं । वाक्यांश में उनके संदर्भ बहुधा भिन्न होते हैं । अक्सर ऐसा भी होता है कि अपनी मूल भाषा में व्यापक अर्थवत्ता वाले शब्द किसी दूसरी भाषा में पहुँचकर किसी एक ही अर्थ को ध्वनित करने लगते हैं अर्थात रूढ़ हो जाते हैं । इसीलिए हम किन्हीं शब्दों का सही-सही अर्थ न जानने के बावजूद उन्हें वाक्यों में प्रयोग करते हैं । ऐसा ही एक शब्द है तकिया । सिरहाने के लिए उपयोग में आने वाला छोटे गद्दी के लिए बेहद आम शब्द है तकिया । संस्कृत में इसके लिए उपधान या उच्छीर्षक शब्द हैं । उद् यानी उठान, ऊपर आदि । शीर्ष(क) यानी सिर, उच्च । मोनियर विलियम्स उच्छीर्षक प्रविष्टि में इसका अर्थ " that which raises the head " , a pillow अर्थात “वह जो सिर को ऊपर उठाए यानी तकिया” बताते हैं । गौरतलब है कि मराठी में तकिया के लिए उशी शब्द है और इसका जन्म उच्छीर्षक से हुआ है । वैसे बोलचाल में तकिया के लिए सिरहाना शब्द भी चलता है ।

किया की आमद हिन्दी में फ़ारसी से हुई है और इसका सही रूप है तक्या takya जो हिन्दी में दीर्घीकरण के चलते तकिया हो गया । तकिया शब्द हिन्दी में फ़ारसी से आया, इसके अलावा शब्दकोशों इसके बारे में कोई ख़ास जानकारी नहीं देते हैं । तकिया के उपयोग पर गौर करें तो पाएँगे कि यह मूलतः सिर को सहारा देता है । सोते समय या टिक कर बैठते समय सिर को पीछे जाने से रोकने का आधार बनता है तकिया । यूँ भी कह सकते हैं कि तकिया सिर को ऊपर उठाता है । इस तरह स्पष्ट है कि तकिया शब्द में मुलायमियत, गद्देदार या नरमाई का लक्षण महत्वपूर्ण नहीं है । सभ्यता के शुरुआती दौर में मानव पत्थर का तकिया इस्तेमाल करता था, ऐसे प्रमाण पुरातात्विक स्थलों पर मिले हैं । चूँकि विश्राम अवस्था में गद्देदार वस्तुएँ ही काया को सुख पहुँचाती हैं, इसलिए कालांतर में चमड़े की थैलियों में घास-फूस भर कर तकिए बनाए जाते थे । उसके बाद कपड़े की खोल में रुई रुई वाले तकिये आम हो गए । तकिया की रिश्तेदारी हिन्दी, उर्दू, फ़ारसी, अरबी भाषाओं में मौजूद कई अन्य शब्दों से भी जुडती है जैसे ताक़ यानी आला, आलम्ब, म्याल अथवा मेहराब । शक्ति के अर्थ में ताक़त भी इसी कड़ी में है । मुतक्का यानी आलम्ब या सहारा भी इसी क़तार में खड़ा नज़र आता है ।

मेरे विचार में तकिया के मूल में इंडो-ईरानी भाषा परिवार की तक्ष् क्रिया है । सबसे पहले फ़ारसी तक्या या हिन्दी तकिया का अर्थ-विस्तार देखते हैं । हिन्दी शब्दसागर में पिलो, कुशन के अर्थ से इतर तकिया की कुछ अन्य अर्थछटाएँ भी दी गई हैं जैसे पत्थर की वह पटिया जो छज्जे को रोक या सहारे के लिए लगाई जाती है । इसे हम मेहराब के उदाहरण से समझ सकते हैं । तकिया यानी वह स्थान जहाँ विश्राम या आराम किया जाए । ध्यान रहे, किसी भी इमारत की छत को धनुषाकार मेहराब ही थामती है । पत्थरों में उत्कीर्ण मेहराब की रचना के लिए अरबी में ताक़ शब्द के प्रयोग से ऐसा लगता है कि ताक़ शब्द का रिश्ता वैदिक शब्दावली के तक्ष से है जिसमें उत्कीर्ण करने, काटने, तराश कर आकार देने जैसे भाव हैं । सम्भव है तक्ष से ही फ़ारसी का ताक बना हो और मेहराब के अर्थ में अरबी ने भी इसे आज़माया हो । हिन्दी में आमतौर पर ताक tak शब्द का प्रयोग होता है जो अरबी का शब्द है
ll …तकिया यानी आश्रय, आरामगाह, सुकूँ की जगह, ठहराव…तकिया वह जो सहारा दे, अवलम्ब बने…किसी भी जगह को सिर ढकने लायक बनाने वाली रचना यही मेहराब होती है जिसे ताक़ कहते हैं…. ताक़ की ताक़त पर ही छत टिकती है…ताक़ से ही तकिया यानी आश्रय बनता हैll
मगर इसका मूल फ़ारसी है । अरबी के ताक़ taq का अर्थ है मेहराब । वो घुमावदार कमानीनुमा आधार जिस पर किसी भी भवन की छत टिकी रहती है । वह अर्धचन्द्राकार रचना जो छत को ताक़त प्रदान करती है, उसे थामे रखती है । ताक़ में यही भाव है । हिन्दी में आने के बाद ताक़ शब्द में आला अर्थात दीवार में सामान रखने के लिए बनाया जाने वाला खाली स्थान, आला आदि और उसे भी कमानीदार, मेहराबदार आकार में बनाया जाता था । खास भात यही कि किसी भी जगह को सिर ढकने लायक बनाने वाली रचना यही मेहराब होती है जिसे ताक़ कहते हैं । ताक़ की ताक़त पर ही छत टिकती है । ताक़ से ही तकिया यानी आश्रय बनता है ।

ध्यान रहे, अरबी में एक शब्द है मुतक्का या मुत्तका जिसका अर्थ है सहारा, टेक लगाना, अवलम्ब, रोक, खम्भा, पिलर आदि । मुतक्का के मूल में अरबी का तक़ा शब्द है जिसमें सामर्थ्य, शक्ति, ऊर्जा, क्षमता का भाव है । अरबी का ताक़त शब्द इसी मूल का है और ताक़ से उसकी रिश्तेदारी है । ध्यान रहे, ताक़ चाहे, फ़ारसी मूल का हो, मगर शक्ति, ताक़त के अर्थ वाला तक़ा भी निश्चित तौर पर इससे ही बना है और इस तरह इस तरह अरबी का ताक़ जो फ़ारसी से ही गया है और फ़ारसी का तक्या दरअसल एक ही हैं । दोनों का अर्थ समान है और ध्वनि साम्य भी है । तक्या यानि तकिया में आश्रय का अर्थ भी है और विश्राम लेने के स्थान का बोध भी इससे होता है । आनंदकुमार के प्रसिद्ध उपन्यास “बेगम का तकिया” में यही तकिया है । कब्रिस्तान की जगह भी तकिया कहलाती है और कब्रिस्तान में किसी फ़क़ीर के आश्रयस्थल को भी तकिया कहा जाता है । स्पष्ट है कि सिर के नीचे इस्तेमाल होने वाले जिस तकिया से हम सबसे ज्यादा परिचित हैं उसमें मूल भाव सहारे का है , आराम का है । क्रब्रिस्तान अपने आप में आश्रय है जिस्म छोड़ चुकी रूहों का इसलिए उसे तकिया कहते हैं । कब्रिस्तान में जिस फ़क़ीर ने डेरा डाला वह उसकी आरामगाह है, शरणस्थली है, सहारा है इसीलिए फ़कीर, दरवेश को तकियादार या तकियानशीं भी कहते हैं । तकिया शब्द में मुहावरेदार अर्थवत्ता है- जैसे तकिया करना यानी सहारा करना । साक़िब लखनवी का मशहूर शेर देखिए- “बाग़बाँ ने आग दी जब आशियाने को मेरे । जिनपे तकिया था वही पत्ते हवा देने लगे ।।” भोपाल में बड़ी झील के बीच तकिया टापू बेहद खूबसूरत जगह है । यहाँ एक बाका तकियाशाह की मज़ार है । –जारी

ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें

3 कमेंट्स:

अविनाश वाचस्पति said...

अब ज्‍यादा ताक झांक क्‍या करें
ताकतवर तो तकिया ही हुआ
सबसे ताकतवर सिर को
अपने ऊपर लादे रखता है।

प्रवीण पाण्डेय said...

सर ऊपर उठा देता है तकिया, तकिया को ऊपर उठा देते हैं आप..

पद्म सिंह said...

तो ये है तकिया !!

नीचे दिया गया बक्सा प्रयोग करें हिन्दी में टाइप करने के लिए

Post a Comment


Blog Widget by LinkWithin