Wednesday, December 17, 2014

//क्या मशगला है//


हिन्दी में शग़ल शब्द का प्रयोग खूब होता है। ऐसा कोई काम जिससे मन बहलता हो, इसी अर्थ में अक्सर हिन्दी में इसका प्रयोग होता है। जबकि शग़ल के असली मायने हैं काम-धंधा या रोज़गार। सामान्य बातचीत में “...और क्या शग़ल इन दिनों?” के पीछे काम-धन्धे से ही तात्पर्य होता है। हिन्दी में शग़ल का मोटा अर्थ मनोविनोद या दिलबहलाव लिया जाता है। शग़ल सेमिटिक परिवार का शब्द है और अरबी से फ़ारसी होते हुए हिन्दी में दाखिल हुआ। इसके निकट सम्बन्धी कुछ अन्य शब्द भी हिन्दी में प्रचलित हैं।

शग़ल बनता है शीन-घ़ैन-लाम (ل- غ- ش) से। अ डिक्शनरी ऑफ़ उर्दू, क्लासिकल हिन्दी एंड इंग्लिश में जॉन प्लैट्स इसकी विवेचना यूँ करते हैं- “Business, occupation, employment, labour, study; anything to occupy or divert” हालाँकि वे इसका एक अर्थ amusement यानी मनबहलाव भी बताते हैं पर यह इसकी अर्थछटाओं का एक रूप है। मूल अर्थ तो रोजगार, खुद को व्यस्त रखना, कामधंधा आदि ही है।

उर्दू के नज़रिए से शग़्ल, शुग़्ल व्यवहार में आते हैं। हिन्दी में शग़ल लिखा बोला जाता है। मुहम्मद मुस्तफ़ा खाँ मद्दाह के उर्दू-हिन्दी शब्दकोश में दिलबहलाव के संदर्भ में शग़लेमै लफ़्ज़ दिया है यानी मद्यपान के ज़रिये दिल बहलाना (शग़ल ऐ मै)। शग़ल में ही अरबी का ‘म’ उपसर्ग लगने से मश्ग़लः बनता है जिसका अर्थ व्यापार, शग़ल, व्यवसाय, रोज़ी, रोज़गार, काम-धंधा ही है। हिन्दी में इसे मशग़ला लिखा जाता है। व्यस्त, तल्लीन या मनोयोग से जुटे रहने के अर्थ में हिन्दी में मशगूल शब्द बड़ा आम है। इसकी वर्तनी मे गड़बड़ी की जाती है। कुछ लोग इसमें ह्रस्व स्वर लगाते हैं जो गलत है।

शग़ल से इश्ग़ाल और तश्ग़ील भी बनते हैं पर इनका चलन अरबी में ही है अलबत्ता उर्दू में इसी कड़ी का इश्तिग़ाल प्रचलित है जिसमें काम में लीन होना, मश्ग़ूल होना, तन्मयता, संलग्नता जैसे अर्थ हैं। गौरतलब है कि इश्तिग़ाल से मुँह फेरना या विमुख होना जैसी अभिव्यक्ति भी होती है। स्वाभाविक है कि जो व्यक्ति काम में मशग़ूल होगा, उसे दीनो-दुनिया से तो मुँह फेरना ही होगा। तल्लीन व्यक्ति दुनिया से विमुख इसीलिए कहे जाते हैं।
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3 कमेंट्स:

Mansoor ali Hashmi said...

उनका 'शग़ल' तो इन दिनो बस 'व्हाटसएप' है,
कोई भले ही माने इसे एक 'चैप' है,
बेग़म को लत लगी है तो 'किच-किच' हुई है बंद,
मैं तो ये मानता हूँ, बड़ा काम नेक है !
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एक फेसबुक में व्यस्त एक 'मशग़ूल चैट में
आते ही जा रहे हैं सब इसकी चपेट में
वाबस्ता हो गये है नये 'मशग़लों' से लोग
फंसते ही जा रहे है 'ज़ुकरबर्गी' नेट में

HARSHVARDHAN said...

बढ़िया जानकारी। आपके साथ शब्दों का सफ़र हमेशा ही रोचक होता है।

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वन्दना अवस्थी दुबे said...

बहुत बढिया जानकारी. मशग़ूल शब्द को भी हम इश्तिगाल का समानार्थी मान सकते हैं न?

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