Friday, August 7, 2015

।।नाड़े के बहाने शब्द-विलास।।


पु राने ज़माने से लेकर आज तक कमरबन्द के लिए निहायत देसी किस्म का शब्द आज तक डटा हुआ है-नाड़ा। हालाँकि कमरबन्द और इज़ारबन्द भी चलते हैं पर उतने नहीं। नाड़ा दरअसल बेल्ट ही है जिसका चलन आज आम है। नाड़ा अब नितान्त भारतीय किस्म के अधोवस्त्रों में ही इस्तेमाल होता है। यूँ देखें तो बेल्ट की तकनीक नाड़े का आधुनिक रूप है। नाड़ा जहाँ कमर के इर्द-गिर्द वस्त्र को दोहरा कर बनाई गई नाल में डाला जाता है वहीं बेल्ट को नाल में नहीं बल्कि कमर के इर्द-गिर्द लूप से होकर गुज़ारा जाता है।

नाड़ा का मूल है नाड़ी अर्थात वह नाल अथवा पोला-खोखला रास्ता जिसमें कमर कसने के लिए पतली रस्सी, सुतली या डोरी डाली जाए। इस तरह नाड़ी से नाड़े की अर्थवत्ता स्थापित होती है- जिसे नाड़ी में डाला जाए वह नाड़ा। इस शृंखला से कुछ अन्य शब्द भी जुड़ते हैं। गौर करें नड़, नद, नळ और नल पर। नड या नड़ का अर्थ है बाँस। ध्यान रहे पुराने ज़माने से ही बाँस के पोले तने के विविध उपयोग मनुष्य ने खोजे। सिंचाई के साधन के तौर पर नाड़ा, नाड़ी, नाड़िका जैसे शब्द प्रचलित हैं। मालवी-राजस्थानी में छोटी नहर को नाड़ी या नाड़ा भी कहते हैं। इसके अलावा जल-प्रवाह के साधन के तौर पर नाल, नाली या नालिका, नलिका जैसे शब्द भी हैं। नदी शब्द तो है ही।

हिन्दी का नदी शब्द संस्कृत के नाद से आ रहा है जो बना है संस्कृत धातु नद् से जिसमें जिसमें मूलतः ध्वनि का भाव है। नद् से ही बना है नद जिसका अर्थ है दरिया, महाप्रवाह, विशाल जलक्षेत्र अथवा समुद्र। प्राचीनकाल में पवर्तों से गिरती जलराशि के घनघोर नाद को सुनकर जलप्रवाह के लिए नद शब्द रूढ़ हो गया अर्थात नदी वह जो शोर करे। गौर करें कि बड़ी नदियों के साथ भी नद शब्द जोड़ा जाता है जैसे ब्रह्मपुत्रनद। ग्लेशियर के लिए हिमनद शब्द इसी लिए गढ़ा गया। अब साफ है कि नद् शब्द से ही बना है नदी शब्द जो बेहद आम है।
नाड़ी या नाडि का अर्थ होता है किसी पौधे का पोला तना या डंठल। कमलनाल में यह पोलापन स्पष्ट हो रहा है। नारियल का मोटा तना भीतर से पोला होता है। नाडि या नाड़ी एक ही मूल यानी नड् से जन्मे हैं।

गौर करें, नद् धातु का ही एक अन्य रूप नड् है। नड् में निहित पोलापन दरअसल ध्वनि या नाद से ही आ रहा है। नड् का मतलब होता है तटीय क्षेत्र में पाई जाने वाली घास, नरकुल, सरकंडा। वनस्पतियों के इन सभी प्रकारों में तने का पोलापन जाना-पहचाना है। नाडि का अर्थ बांसुरी भी होता है जो प्रसिद्ध सुषिर वाद्य है। बांस का पोलापन ही उसे सुरीलापन देता है जिससे बांसुरी नाम सार्थक होता है। बाँस की पोल से गुज़रती हवा से नाद पैदा होता है। इस पोल का प्रवाही उपयोग भी बाद में हुआ और पानी के बहाव या धारावाही के अर्थ में नाड़ी का प्रयोग भी होने लगा। धमनियों-शिराओं के लिए भी नाडि शब्द प्रचलित है।

हिन्दी का नाली शब्द बना है नल् धातु से जिसका मतलब होता है गोलाकार, पोली वाहिनियां। यह नड़ का अगला रूप है। शरीर की नसों के लिए मूलतः इनका प्रयोग होता है। बाद में जल-प्रवाह की कृत्रिम संरचनाओं के लिए भी इससे नाली शब्द बनाया गया। घरों में पानी की सप्लाई के लिए जिन पाईपों से होकर पानी आता है उसे नल इसी लिए कहते हैं। मराठी समेत द्रविड़ भाषाओं में इसका नळ रूप है। अर्थ वही है प्रवाहिका। प्रणाली में भी ‘नाली’ को स्पष्ट रूप से पहचाना जा सकता है।
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