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Thursday, August 20, 2009
खमीर, कीमियागरी और किमख़्वाब
संबंधित कड़ी-शराब, खुमार और अक्ल पे परदा
र सायन विज्ञान को अंग्रेजी में कैमिस्ट्री कहते हैं। अंग्रेजी का कैमिस्ट्री शब्द स्पेनी के अलकैमी alchemy से आया है जो अरबी के अल-कीमिया al-kimia से बना है जिसका मतलब रूपांतरण है। रसायन विज्ञान या कैमिस्ट्री के अंतर्गत मोटे तौर पर तत्व और योगिकों का निर्माण और गुणधर्मों का अध्ययन शामिल है। कैमिस्ट्री शब्द की मूल धातु कैमी chemy के बारे में भाषाविद् एकमत नहीं हैं। इसके ग्रीक, हिब्रू, मिस्री, फारसी और चीनी मूल का होने के तर्क पेश किए जाते रहे हैं। कैमी शब्द की उत्पत्ति के विभिन्न तर्कों के बावजूद यह तय है कि यह शब्द एक ही आधार से उठा है। इससे मिलते जुलते शब्द पूर्व, मध्यएशिया और यूरोप की भाषाओं में हैं जिससे यह तथ्य सिद्ध होता है। हिन्दी में कैमिस्ट्री को रसायनशास्त्र कहते हैं जो रसायन शब्द से बना है। आयुर्वेद में रसायन शब्द का प्रयोग आता है। रसशास्त्र का प्रयोग जहां साहित्य में हुआ है वहीं यह चिकित्सा विज्ञान में भी प्रयुक्त हुआ है। पारा को शोधित कर उससे विभिन्न भस्म, चूर्ण आदि बनाए जाते थे जो औषधियों के काम आते थे। इसीलिए आयुर्वेद में पारा को रसराज कहा गया है। पारे से निर्मित विभिन्न औषधियां रसायन कहलाती थीं। यह रसायन शब्द अरबी के अलकैमी के निकट है।
कैमी chemy या कीमिया chemria शब्द में किसी न किसी तरह से रूपांतरण की बात ही उभर रही है। रासायनिक क्रियाओं का ज्ञान भी मनुष्य को कुछ प्राकृतिक घटनाओं के जरिये ही हुआ। दावानल अर्थात जंगल की आग लगने के बाद मनुष्य ने देखा कि किन्हीं धातुओं के अंश ताप की वजह से पिघल कर यौगिक में ढल गए। इसी तरह वानस्पतिक खाद्य पदार्थों के सड़ने के बाद उनके गुणधर्म में आए बदलाव को उसने स्वाद और उसके असर के जरिये महसूस किया। अरबी, फारसी और उर्दू में आज कीमिया रसायन, कैमिस्ट्री या सोना-चांदी बनाने की विद्या को कहा जाता है। अलकैमिस्ट को उर्दू, फारसी में कीमियागर कहते हैं और यह शब्द हिन्दी में भी प्रचलित है जिसका अर्थ हुनरमंद, रसायनज्ञ आदि होता है। कुछ भाषाविज्ञानी सेमिटिक भाषा परिवार की आरमेइक ज़बान के खम्रः शब्द से कीमिया की व्युत्पत्ति मानते हैं। अरबी का ख़मीर शब्द इसी मूल का है जिसका अर्थ होता है किण्वन अथवा नशा। मूलतः खम्रः में आवरण अथवा वृद्धि का भाव है। गौरतलब है कि अनाज अथवा फलों
...कीमिया शब्द की व्युत्पत्ति का आधार स्पष्ट नहीं है,पर इतना तय है कि यह शब्द एशियाई मूल से ही उभरा है...
से मदिरा के निर्माण की अवस्था को किण्वन या फर्मेंटेशन कहते हैं। बोलचाल की हिन्दी में कहें तो ख़मीर उठने की प्रक्रिया से ही शराब का निर्माण होता है। दरअसल नशा, प्रमाद बुद्धि को ढक लेता है जिसे दिमाग पर पर्दा पड़ना कहते हैं। यही है खमीर और खुमार। खुमार नशे के बाद वाली यानी उतार वाली अवस्था तो है मगर चढ़ते नशे के लिए भी खुमार शब्द का प्रयोग होता है। खमीर की प्रक्रिया दरअसल जीवाणुओं की वृद्धि की प्रक्रिया है। इसीलिए खमीरी रोटी को डबलरोटी कहते हैं क्योंकि खमीर की वजह से उसके आकार में वृद्धि हो जाती है।
हालांकि कीमिया के अर्थ में खम्र धातु का आधार बहुत मज़बूत नहीं है। केमिस्ट्री की मूल धातु chemy की व्युत्पत्ति ग्रीक भाषा के ख़ीमिया khymeia से हुई है जिसका मतलब था धातु निर्माण की ग्रीक तकनीक। इसके पीछे ग्रीक शब्द khumeia को आधार माना गया जिसका मतलब होता है एक दूसरे में मिलाना। आशय ताप भट्टियों में पिघली धातुओं को एक दूसरे में मिलाने से है। मगर इस ग्रीक शब्द का आधार भी अरबी का अलकैमी ही है। ज्यादातर भाषाविद सेमिटिक परिवार की भाषा मिस्री अरबी से अलकैमी की उत्पत्ति मानते हैं मगर इसका कोई मज़बूत आधार पेश नहीं करते। इजिप्शियन शब्द khemia का मतलब होता है रूपांतरण। विकीपीडिया के मुताबिक मिस्र के प्राचीन पुरालेखों में सोने, चांदी से यौगिक निर्माण के संदर्भ में khēmia शब्द का उल्लेख है। पर्शियन में कीमिया का मतलब सोना होता है और इसे भी इस शब्द का आधार माना जाता है। एक अन्य मज़बूत मान्यता कैमी chemy या कीमिया chemia के चीनी मूल के बारे में है। आज समूचा पश्चिमी जगत यह मानता है कि प्राचीनकाल में चीन तकनीक और प्रोद्योगिकी में पाश्चात्य जगत से काफी आगे था। कैमिस्ट्री की मूल धातु chem की समानता चीनी शब्द kim से है जिसका अभिप्राय है धातुओं के रूपांतर की कला। इसका एक रूप चिन chin है। जोसेफ नीधम की पुस्तक साइंस एंड सिविलाइजेशन ऑफ चाइना के मुताबिक अरबों के चीन से बहुत पुराने सम्पर्क रहे हैं। इन सम्पर्कों का जरिया सिल्करूट से होने वाला व्यापार था जो ईसा से भी सदियों पहले से पश्चिम और पूर्व की संस्कृति को जोड़ने वाला महामार्ग था। कोई ताज्जुब नहीं कि अरबी और ग्रीक में chemy शब्द दरअसल चीनी भाषा के kim का रूपांतर हो। चीनी भाषा में chin mi शब्द का मतलब है सोना गलाना। अरबी का कीमिया इसी से बना होने की संभावना है।
प्राचीनकाल में प्रचलित एक प्रसिद्ध कपड़े किमख्वाब का रिश्ता भी अलकैमी से जोड़ा जाता है और इसके जरिये इस शब्द के चीनी आधार को मज़बूती मिलती है। किमख़्वाब एक बेहद कीमती कपड़ा है जिसे रेशम और स्वर्णतन्तुओं से बुना जाता है। यह शब्द चीनी, जापानी, अरबी, तुर्की, फारसी, उर्दू, अंग्रेजी और हिन्दी में समान रूप से जाना जाता है। पश्चिम में इसे किन्कॉब kincob कहा जाता है जिसके मायने हैं स्वर्णनिर्मित कपड़ा। चीनी में इसे चिनहुआ, फारसी में किमख्वा और हिन्दी में किमख्वाब कहा जाता है। मूलतः यह चीनी भाषा से ही अन्य भाषाओं में गया है। चीनी में किन का अर्थ है स्वर्ण और हुआ का अर्थ होता है पुष्प। भाव है स्वर्णतन्तुओं की फुलकारी वाला वस्त्र अथवा स्वर्णतन्तुओं से निर्मित फूलो जैसे नर्म एहसास वाला महीन वस्त्र। शुक्ला दास की फैब्रिक आर्टः हैरिटेज आफ इंडिया में बताया गया है कि जापान में भी किमख्वाब को चिनरेन कहते हैं जो वहां चीनी भाषा से ही गया है।
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 2:02 AM
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22 कमेंट्स:
बहुत अच्छा लगा पढ़कर.
आज ही दस दिनों की टेक्सस यात्रा से लौटा. अब सक्रिय होने का प्रयास है.
अब लगातार पढ़ना है, नियमित लिखें..
सादर शुभकामनाऐं.
shandaar post...
इस शोधपरक पोस्टके लिए बधाई।
पाओलो केलो के उपन्यास अल्केमिस्ट का हिन्दी अनुवाद कमलेश्वर जी ने किया है , जिसमें कीमियागर शब्द कई बार आता है। आभार। वह उपन्यास भी इस एक शब्द की व्याख्या से पूरी तरह खुलने लगा है।
jai ho...........
bahut khoob
aise hi hamara gyaanvardhan karte reahiye
dhnyavaad !
शब्दों का आकर्षण ही कुछ ऐसा होता जो हमें अपनी और खींच लेता है. आज अलकेमिस्ट के जादू भर असर ने आपकी इस पोस्ट को सबसे पहले पढ़ने को प्रेरित किया. आपने बहुत सुन्दरता से लिखा है .
कैम से कीमियागर और केमिस्ट दोनों बने हैं। एक मूल शब्द सफर करते करते अनेक रूपों में ढ़ल जाता है और अनेक अर्थों को अपने में समेट लेता है।
बेन जानसन ने अपने नाटक ’द अल्केमिस्ट ’के बहाने कितना कुछ अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है । इस शब्द का इतना खुल जाना कीमियागिरी से संबंधित सभी पुस्तकों के अध्ययन में सहायक सिद्ध होगा ।
बहुत बडिया धन्यवाद्
शब्दों का ऐसा शोध दुर्लभ है. साथ ही ऐसे विषय का चयन भी बहुत दुर्लभ है अजीत जी. बधाई.
बहुत शुक्रिया भाई. बहुत अच्छी पोस्ट .....
बहुत सुंदर पोस्ट। जानकारी भ्रपूर।
बचपन में मुझे विज्ञान विषय और उसमे भी रसायन शास्त्र से बड़ी अरुचि थी....मुझे इन विषयों की आम जीवन में कोई भी उपयोगिता प्रतीत नहीं होती थी...मुझे लगता था,पानी पानी है,इसमें इसके अनुवों को पृथक करने की प्रक्रिया जानने की भला क्या आवश्यकता है.....
खैर, अब ऐसा नहीं लगता...
आपका यह आलेख भी अन्य सभी आलेखों की भांति लाजवाब है..
बहुत बहुत आभार..
खमीर उठा के पकाते हो आप शब्दो को,
रसायनो की च.ढाते हो भाप शब्दो को,
नगर डगर पे घुमा कर जनाब शब्दो को,
बना दिया है हसी किमख्वाब शब्दो को.
खमीर उठा के पकाते हो आप शब्दो को,
रसायनो की च.ढाते हो भाप शब्दो को,
नगर डगर पे घुमा कर जनाब शब्दो को,
बना दिया है हसी किमख्वाब शब्दो को.
-मन्सूर अली हाश्मी
ज्ञानवर्धक , यदि विज्ञान को रोचक बनाया जाए तो हम जैसे भी विज्ञान से भागेंगे नहीं
लाजवाब जानकारी.अरसे से लोगों में सोने को लेकर जिज्ञासा रही है और कीमियागर इसी जुगत में रहे कि कैसे किसी भी धातु को सोने में परिवर्तित किया जाय.
राजस्थानी में एक बेहद ख़ास तरह के कपडे को खीनखांप कहा जाता है ये वही है जिसका आपने ज़िक्र किया है.
आपका लेखन निरंतर शोध सहित
ज्ञानवर्धन करने का अनूठा काम करता है अजित भाई
यूं ही लिखा करें
सादर, स - स्नेह,
- लावण्या
@मंसूरअली हाशमी
बहुत शुक्रिया हाशमी साहब इस खूबसूरत पद्यात्मक टिप्पणी के लिए ...
@संजय व्यास
शुक्रिया भाई। किमख्वाब के खीनखांप स्वरूप को मैने भी राजस्थान-प्रवास के दौरान सुना है, मगर यहां भूल गया। शुक्रिया याद दिलाने का। अब इसे अपडेट करूंगा।
यही है शब्दों के सफर के सच्चे हमराही की पहचान....
Bahut sunder jankaree se bhara lekh. marathi ke kimaya shabd bhee chemia se hee aaya hai jiska arth chamatkar ya kayaplat ke arth me liya jata hai. Waise hee kimayagar ko jadoogar ke arth me.
रोचक । आभार।
ये सफ़र बढ़िया था. अलकैमी ने अल्केमिस्ट नोवेल की याद दिला दी.
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