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Thursday, September 2, 2010
कृष्ण की गली में
वि ष्णु के सर्वाधिक लोकप्रिय नामों में एक नाम कृष्ण भी है। इस शब्द की व्युत्पत्ति कृष् धातु से हुई है जिसमें खींचने का भाव निहित है। आकर्षण, खींचना, खिंचाव, कशिश जैसे शब्द भी इससे ही बने है। कृष धातु से बने कुछ और महत्वपूर्ण शब्द हैं कृषि, किसान, कृषक और आकृष्ट आदि। कृष्ण का एक अर्थ है काला, श्याम, गहरा नीला। इसी तरह काला हिरण भी इसके अर्थों में शामिल है। प्रख्यात संस्कृत विद्वान पांडुरंग राव कृष्ण शब्द की व्याख्या करते हुए कहते हैं कि नटवर का प्रमुख लक्षण की आकर्षण है। समस्त संसार को वह अपनी ओर खींच लेते हैं। कृष्ण का जन्म रात को हुआ और राम का दिन में। रात सबको अपनी ओर खींच लेती है और दिन सबको अपने अपने काम मे लगा देता है। रात में लोग अपने में लीन हो जाते हैं ,सपनों की नई दुनिया में प्रवेश करते हैं जबकि दिन में लोग बहिर्मुख हो जाते है, बाहर के कामों में लग जाते हैं जिस प्रकार राम और कृष्ण एक दूसरे के पूरक हैं वैसे ही जैसे दिन और रात। कृषि तत्व से भी कृष्ण का संबंध है। भूमि पर कृषि की जाती है और सारी पृथ्वी भगवान के लिए कृष्य अर्थात खेती करने योग्य है। विशाल विश्व को कृष्यभूमि बनाकर विराट् कृष्ण भगवान् अच्छी अच्छी फसलें उगाते हैं। यही कृष्ण का आकर्षण है। कृष् धातु भू की सत्ता की प्रतीक है और ‘न’ निर्वृत्ति का वाचक। सत्ता और निर्वाण के संयोग से ही कृष्ण की उत्पत्ति होती है।
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 2:25 AM
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22 कमेंट्स:
कृष्ण और राम का यह तुलनात्मक अध्यन आप ही कर सकते है . आपको कृष्ण जन्म की हार्दिक शुभकामनाये .
नटवर की तस्वीर आपने लगाईं है यह आपसे ही सीखा है
बहुत बढ़िया!
मेरी तरफ से भी सबको बधाई और शुभकामनाएँ!
--
मेरा कान्हा, मेरा मीत ... ... .
आज सुना दे मुझको कान्हा ... ... .
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये
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सत्ता! और निर्वाण!! अरे भाई न-न-न-न-ना,
महबूबा हो श्याम!, अरे भाई न-न-न-न-ना,
रात में करना काम!, अरे ऊ-हूँ-हूँ-हूँ-हूँ-हाँ,
दिन में हो विश्राम! अरे भाई न-न-न-न-ना.
कृषक का सम्मान!, अरे भाई क्यूँ-क्यूँ-क्यूँ-क्यूँ-क्यों?
श्याम-वर्ण भगवान्!, अरे भाई हाँ-हाँ-हाँ-हाँ-हाँ.
वाकई कृष्ण में आकर्षण बहुत है। कृष्ण विवर की तरह, जो उस आकर्षण में आ गया वहीं का हो कर रह गया।
सत्ता और निर्वाण के संयोग से ही कृष्ण की उत्पत्ति होती है। सार्थक है.
अब तक कृष्ण को काले के अर्थ में ही ले रहा था. वैसे श्याम भी कृष्ण के पर्यायवाची की तरह ही आया लगता है.
कन्हैया का सम्बन्ध काले से है या हैया यानी हृदय से? या फिर कुछ और...
बहुत सुन्दर!!
हार्दिक शुभकामनायें !!
द्विवेदी सर ने क्या सही समय पर "कृष्ण विवर" की याद दिलाई है.
कृष्ण और राम की बहुत अच्छी तुलना की आप ने साथ ही कृष्ण शब्द के उन अर्थो को भी बताये जिनसे हम अनभिज्ञ थे जानकारी के लिए धन्यवाद
राधे राधे....जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं.
रामराम.
6 आकर्षण पूर्ण रूप से हैं।
@ सत्ता और निर्वाण के संयोग से ही कृष्ण की उत्पत्ति होती है।
भाऊ! बुद्ध से हजारो वर्ष पहले के 'निर्वाण' पर थोड़ी और बात अपेक्षित है। :)
अब पता चला कि 'कौन गली गयो श्याम' !
अच्छा व्याख्या तत्व है, बधाई।
-- कृ धातु= कर्म
---इष = इच्छा व ईश
---कृष् = कर्म में रत,कर्म भाव का ईश्वर=कृष्ण
---कृष्ण == आकर्ष, आकर्ष+न( कर्षण, आकर्षण( तथा न आकर्ष=विकर्ष),संकर्षण,स्नेहण, मिश्रण- दो वस्तुओं का यथायोग्य सम्मिश्रण= परम योग.
पोस्ट पढ कर मन कृष्णमय हो गया। बधाई।
परन्तु यह वाक्य-विचार गलत है---
"विष्णु के सर्वाधिक लोकप्रिय नामों में एक नाम कृष्ण भी है।"
---क्योंकि क्रष्ण या राम --विष्णु के नाम नही हैं अपितु वे स्वतन्त्र व्यक्तित्व हैं उनके अवतार।
कृष्ण का मतलब तो काला ही लिया जाता है. आपने इसको रद्द नहीं किया.मोनिएर-विलिअम्ज़ ने कृष्ण को काला ही बताया है.रूसी में इसका एक सुजाति chernyi है जिस का मतलब काला ही होता है.
jaiश्री कृष्ण अजित भाई,
पुस्तक आ गई होगी,
अरसे तक कंप्यूटर खराब रहा... फिर
कुछ ज्यादा व्यस्तता ने दूर रखा...
बहरहाल ,,,, आप कुशल होंगे...
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आपका
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
ओह !!! क्या विवेचना की है आपने...शत नमन आपको...
कहते हैं कि जब राम जी का जन्म हुआ तो सूर्य देव अपना रथ रोककर कई मास के लिए खड़े रह गए और बेचारे चन्द्रदेव प्रभु दर्शन की इच्छा मन में लिए प्रतीक्षारत ही रह गए...तो उन्होंने प्रभु से गुहार लगाईं कि यह तो प्रभु ने पक्षपात कर दिया ..अब न्याय भी उन्हें ही करना होगा...
तो प्रभु ने उन्हें वचन दिया कि अगले अवतार में वे अर्धरात्रि में जन्म लेंगे और जबतक उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचा न दिया जायगा वे अपनी गति रोक कर रख सकते हैं..
शुक्रिया! यहाँ तो रात-दिन में खींचने के अर्थ पर आपकी नजर बहुत अच्छी लगी।
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