Sunday, January 13, 2013

कोहरा और कुहासा

fog

र्दियों में शाम से ही धुंध छाने लगती है जिसे कोहरा या कुहासा कहते हैं । ठंड के मौसम में आमतौर पर हवा भारी होती है जिसकी वजह वातावरण में नमी का होना है । धरती की ऊपरी परत जब बेहद ठण्डी हो जाती है तो हवा की नमी सघन होकर नन्हें-नन्हें हिमकणों में बदल जाती है इसे ही कोहरा जमना कहते हैं । कोहरा बनने की प्रक़्रिया लगभग बादल बनने जैसी ही होती है । कभी-कभी बादलों की निचली परत भी पृथ्वी की सतह के क़रीब आकर कोहरा बन जाती है । कुल मिलाकर कोहरे में कुछ नज़र नहीं आता । धुँए में जिस तरह से दृश्यता कम हो जाती है उसी तरह हवा की नमी हिमकणों में बदल कर माहौल की दृश्यता को आश्चर्यजनक रूप से कम कर देती है । कोहरे के आवरण में समूचा दृश्यजगत ढक जाता है । देखी जा सकने वाली हर शै गुप्त हो जाती है, लुप्त हो जाती है, छुप जाती है, छलावे की तरह ग़ायब हो जाती है । कोहरा की अर्थवत्ता के पीछे भी गुप्तता या लुप्तता का भाव ही प्रमुख है ।
किसी भी किस्म का आवरण मूल रूप से सुरक्षा कवच होता है । कोहरा भी एक तरह से किन्हीं फ़सलों के लिए लाभदायक ही होता है । शत्रु से खुद को बचाने के लिए युद्ध के प्राचीनतम तरीक़ों में कैमोफ्लैज या छद्मावरण शैली भी है । कोहरा भी एक तरह से प्रकृति का कैमोफ्लैज है । संस्कृत में एक धातु है गुह् जिसमें ढकने, छिपाने, परदा डालने, गुप्त रखने का भाव है । गुहा और गुफा जैसे शब्दों के मूल में यही गुह् धातु है । आदिकाल से प्राणियों को आश्रय की खोज रही है । आदिम युग में आश्रय का अर्थ सुरक्षित स्थान से था सो आश्रय का अर्थ था गुप्त जगह, जहाँ खुद को छुपाकर बचाव किया जा सके । गुहा में गुप्तता का भाव प्रमुख है जो बाद में संरक्षित-सुरक्षित स्थान हुआ आप्टेकोश के मुताबिक बंद या सुरक्षित स्थान के अर्थ में गुहा का एक अर्थ हृदय भी होता है क्योंकि यह छाती के भीतर है ।
गुह् का पूर्ववैदिक रूप कुह् रहा होगा । याद रहे ‘क’ वर्णक्रम में ही ‘ग’ भी आता है। निश्चित ही ‘कुह्’ में वही भाव थे जो ‘गुह्’ में हैं । मोनियर विलियम्स के मुताबिक कुह् से कुहयते क्रिया बनती है जिसका अर्थ है to surprise or astonish or cheat by trickery or jugglery अर्थात छलावरण या मायाजाल फैलाना जिसका उद्धेश्य वास्तविकता छुपाना हो । इसीलिए कुह से कोहरा के अर्थ में ही संस्कृत में कोहरा के अर्थ में ही संस्कृत में कुहेलिका शब्द भी है जिसका अर्थ भी अंधकार, धुंधलापन, कोहरा आदि है । कुहेलिका में मुहारवरेदार आशय भी हैं जिसमें मिथ्यावरण या छलावरण की अभिव्यक्ति होती है । हिन्दी के कोहरा के जन्मसूत्र संस्कृत के कुहेड़िका या कुहेड़ से जुड़ते हैं जिसका अर्थ कोहरा, धुंध, तुषार, fog, mist, कुहासा आदि है । कुह का मतलब छली या फ़रेबी भी होता है । हिन्दी शब्दसागर के मुताबिक कुबेर का अन्य नाम भी कुह है । कुहक यानी मायाजाल, इन्द्रजाल । कुहककार याना माया अथवा प्रपंच रचने वाला । कुहासा भी इसी मूल से निकला है
छिपने-छिपाने, गुप्त-लुप्त जैसी अभिव्यक्ति की वजह से ही गुह् या कुह से पहाड़ की अर्थवत्ता वाले शब्द बने । संस्कृत में कुहरम् शब्द है जिसका मतलब है गुफा, गढ़ा आदि । आप्टेकोश में इसका एक अर्थ गला या कान भी बताया गया है । जाहिर है, इन दोनों ही शरीरांगों की आकृति गुफा जैसी है । नाभि के साथ नाभिकुहर जैसी उपमा भी मिलती है । संस्कृत के पूर्वरूप यानी वैदिकी या छांदस की ही शाखा के रूप में अवेस्ता का भी विकास हुआ जिससे फ़ारसी का जन्म माना जाता है । फ़ारसी में पहाड़ के लिए कोह शब्द है जो इसी मूल से आ रहा है । बरास्ता अवेस्ता कुह् में निहित गुप्त स्थान या गुफा का अर्थ विस्तार फ़ारसी में कोह के रूप में सामने आया अर्थात वह स्थान जहाँ बहुत सी गुफाएँ हों । स्पष्ट है कि गुफाएँ पहाड़ों में ही होती हैं, सो कुह् से बने कोह का अर्थ हुआ पहाड़ ।
गुफा के लिए हिन्दी में खोह शब्द भी खूब प्रचलित है । गौर करें कुह्-गुह् के अगले क्रम खुह् पर । इस खोह शब्द की फ़ारसी के कोह से समानता भी देखें । वैसे कोह से गोह भी बनता है जिसका अर्थ भी गुफा है । मोनियर विलियम्स इसका अर्थ गुप्तस्थान बताते हैं । हिन्दी शब्दसागर खोह की व्युत्पत्ति के लिए गोह का संकेत भर देते हैं । मेरे विचार में खोह का निर्माण कुह्, कोह की कड़ी में ही हुआ होगा । फ़ारसी में कोहसार का अर्थ पहाड़ ही होता है । पर्वतीय भूमि के लिए कोहिस्तान एक प्रचलित नाम है । ईरान, अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में इस नाम के कई स्थान हैं । पाकिस्तान में कोहमरी नाम का एक पर्यटन स्थल भी है जिसका लोकप्रिय नाम अब सिर्फ़ मरी रह गया है ।
कोहिनूर जैसे मशहूर हीरे के नामकरण के पीछे भी यही कुह् धातु है । कोहिनूर बना है कोह-ए-नूर से अर्थात रोशनी का पहाड़ । याद रहे, कोहिनूर ( अन्य लोकप्रिय उच्चारण कोहनूर, कोहेनूर भी हैं ) सदियों पहले गोलकुंडा की हीरा खदान से निकाला गया था, जो सदियों पहले दुनिया की इकलौती हीरा खदान थी । कोहिनूर दुनिया का सबसे विशाल हीरा था और इसके आकार की वजह से ही मुगलकाल में इसे रोशनी का पहाड़ जैसा नाम मिला । अंग्रेजी में गुफा को केव कहते हैं जो भारोपीय भाषा परिवार का शब्द है और इसकी रिश्तेदारी भी कुह् से है । डगलस हार्पर की एटिमआनलाइन के मुताबिक केव CAVE बना है प्रोटो इंडोयूरोपीय धातु क्यू keue- से जिसका अर्थ है मेहराब या पहाड़ के भीतर जाता ऐसा छिद्र जो भीतर से चौड़ा हो ।

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4 कमेंट्स:

प्रवीण पाण्डेय said...

सब छिप सा जाता है..कोहरा..

Mansoor ali Hashmi said...

# रिश्ते हुए जो 'सर्द' तो 'चादर' सी तन गयी,
'ठंडक' जो 'आर्द्रता' से मिली 'हिम' का 'कण' हुई,
'छुपना', 'छुपाना', गुप्तता उसका धरम बनी,
'कोह' पर जो आशकार थी, 'खोह' में वो जा छुपी,


# गहरी खदान ही से तो निकला था 'कोहेनूर',
फिर 'कोहीनूर'* जा रहा गहरी खदान में।

*[इस नाम का एक कलयुगी प्रोडक्ट]

http://aatm-manthan.com

अनूप शुक्ल said...

कोहरा भी एक तरह से प्रकृति का कैमोफ्लैज है । - जय हो!

Pankaj kumar said...

शब्दों का सफ़र नहीं यह तो उसका एक्सरे है. इस प्रकार के ब्लॉग सही अर्थों में हमारे ज्ञान को गंभीर बनाते हैं. आज ही आपका दो खण्डों में शब्दों का सफ़र पुस्तकाकार देखा. बहुत ही ओरिजिनल काम करने के लिए आपका दिल से धन्यवाद करता हूँ.

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