Friday, January 4, 2013

अहाते में…

round

हि न्दी में अहाता शब्द इतना प्रचलित है कि गाँव-देहात से शहरों तक लोगों की ज़बान पर ये शब्द किसी भी घिरे हुए स्थान के संदर्भ में फ़ौरन ज़बान पर आता है । इसकी मिसाल देखिए कि सरकार ने आबक़ारी नीति के तहत शराब की हर दुकान की बगल में अहाता खोलने का प्रावधान करके इस शब्द को हर आदमी की ज़बान पर ला दिया है । अब मध्यप्रदेश के मयक़शों की ज़बान पर अहाता शब्द चढ़ा हुआ है । देश के मध्य में स्थित यह सूबा लगता है जल्दी ही मद्यप्रदेश बन जाएगा । बहरहाल, अहाता निहायत देशी रंग-ढंग वाला शब्द है । चलताऊ तौर पर इसे हाता भी कहा जाता है । इसीलिए ज़रा भी शुबहा नहीं होता कि अहाता अरब से चला और फ़ारसी के रास्ते हिन्दुस्तानी ज़बानों में दाख़िल हुआ ।
हाता का मूल रूप इहाता है और इसका जन्म अरबी धातु हा-वाव-थे यानी  ط – و -ح के पेट से हुआ है । अहाता को हाता कहने का चलन दरअसल भारतीय ज़मीन पर इस शब्द के बिगड़ने का प्रमाण नहीं है बल्कि अरबी में ही इहाता के अलावा हाता, हीता जैसे संक्षिप्त रूप पहले से मौजूद थे और ये भी जस के तस हिन्दी में चले आए । इहाता या अहाता के हाता, हीता जैसे संक्षिप्त रूप दरअसल शब्द-चलन की मुख-सुख प्रक्रिया से नहीं बने हैं बल्कि इन रूपों से इहाता, अहाता का व्युत्पत्तिक या धात्विक आधार मज़बूत होता है । अहाता की तुलना में h-w-t अर्थात ह-व-थ ध्वनियों से حاطه हाता का निर्माण होता है । अरबी में का स्वरूप स्वर के ज्यादा निकट है । हाता में स्वरागम की प्रक्रिया से इहाता या अहाता जैसे रूप बनते हैं ।
ल सईद एम बदावी की कुरानिक डिक्शनरी के मुताबिक अरबी धातु हा-वाव-थे में मूलतः दीवार, घेरा, बाड़ा, समेटना, समाविष्ट करना, सुरक्षा, रखवाली करना, आरक्षित करना जैसे भाव हैं । इससे बने अहाता / इहाता जैसे शब्दों में घेरा हुआ, बाड़ा लगाना, हर तरफ़ से आरक्षित जैसे भाव हैं । भारतीय परिवेश में इसका प्रयोग आंगन, दालान की तरह ही ज्यादा होता रहा है । जैसे मेम्वार्ज ऑन द हिस्ट्री, फोकलोर, एंड डिस्ट्रीब्यूश ऑफ द रेसेस ऑफ द नॉर्थ वेस्टर्न प्रॉविन्सेज़ ऑफ इंडिया (1869) में सर हेनरी मायर्स इलियट ने हाता के लिए परिसर, दालान, आंगन, प्रिमिसेस, कम्पाऊंड जैसे शब्द बताते हुए इसे अरबी के इहाता का बिगड़ा रूप बताया है ।
जॉन शेक्सपियर की हिन्दुस्तानी – इंग्लिश डिक्शनरी के मुताबिक इसमें फेंसिंग, बंद, घिरे हुए या अवरुद्ध क्षेत्र का भाव है । मोहम्मद मुस्तफ़ा खाँ मद्दाह के कोश के मुताबिक अरबी का इहाता एक घर भी हो सकता है या चारदीवारी भी । इसमें वेष्ठन, प्राचीर के अलावा इलाक़ा, प्रदेश क्षेत्र या हलक़ा जैसे आशय भी वे बताते हैं । हिन्दी शब्दसागर में भी चारदीवारी के साथ साथ हाता में क्षेत्रवाची व्यापक अर्थवत्ता बताई गई है । इसका अर्थ प्रान्त, हलका या सूबा भी होता है जैसे बंबई हाता, या बंगाल हाता । इसके अलावा इसमें सरहद, सीमान्त या रोक जैसे भाव भी हैं । बाडा, चकला, मोहाल, कटरा, चक जैसा ही इलाक़ाई विशेषण भी हाता में है जैसे पंडित हाता, बाभन हाता, कुरमी हाता, हाता चौक आदि ।
हाता, हाता, इहाता आश्रय व्यवस्था से जुड़ी शब्दावली के शब्द हैं । दुनियाभर की सभ्यताओं में मनुष्य ने विकासक्रम में सबसे पहले घिरे हुए स्थान में ही आश्रय तलाशा । प्राकृतिक रूप से किसी जगह के घिरे होने की वजह से उसे उस स्थान का रक्षात्मक महत्व समझ में आया और फिर आगे चल कर वह खुद भी किसी स्थान के चारों ओर उसी तरह के सुरक्षात्मक सरंजाम जुटाने लगा । पहले कंदरा, फिर बाड़ा, फिर झोपड़ी और कालान्तर में भवन, क़िले आदि भी वह बनाने लगा । इस सबके मूल में सुरक्षा का भाव ही प्रमुख था । अरबी धातु हा-वाव-थे यानी ط- و- ح की कोख से एक और महत्वपूर्ण शब्द जन्मा है एहतियात जिसमें सावधानी, ख़बरदारी, होशयारी का भाव है । यूँ भी कह सकते हैं कि अहाते की तामीर इन्सान ने एहतियातन की । “ एहतियात बरतना”या “एहतियात बरतते हुए” जैसे वाक्य आम बोल-चाल में सुने जाते हैं ।

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3 कमेंट्स:

Mansoor ali Hashmi said...

जो सुसंस्कृत है ज़बां, उसका 'अहाता' भी बड़ा,
पार सीमाए करी , दिल में भी उतरी वो ज़बां.
अपना रंग-रूप भी बदला जहां जैसा था चलन,
जिसने अपना लिया, उसका भी ह्रदय कितना बड़ा !
http://aatm-manthan.com

प्रवीण पाण्डेय said...

सुन्दर विवेचन..

अनूप शुक्ल said...

हाते आहाते के कई घर घुमा दिये आपने सुबह-सुबह! जय हो!

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