Wednesday, June 17, 2015

//डेढ़ पसली या ज़िला //


बा ज़ार और सरकार की ज़ुबान का असर किसी भी समाज की भाषा पर पड़ता है। हिन्दी में अरबी-फ़ारसी शब्दों की रचबस के पीछे यह दो कारण रहे हैं। डिस्ट्रिक्ट के लिए हिन्दी में जनपद शब्द है किन्तु उसका इस्तेमाल कम होता है। इस अर्थ में अरबी का ज़िला शब्द ही काबिज है। बड़ी अजीब बात है कि भारतीय उपमहाद्वीप में डिस्ट्रिक्ट के अर्थ में ज़िला शब्द जितना प्रचलित है, अरबी में इस रूप में इसे बहुत कम इस्तेमाल किया जाता है। हालाँकि वहाँ बतौर प्रशासनिक इकाई- ज़िला, क्षेत्र या इलाक़ा आदि के लिए कम से कम दो दर्जन शब्द हैं। हिन्दी वाले चूँकि नुक़ता नहीं लगाते तो ज़िले का उच्चार जिला करते हैं। हिन्दी में नुक़तों के न होने से अरबी-फ़ारसी शब्दों के साथ समस्या हो जाती है। क्योंकि अनेक शब्द ऐसे हैं जिनमें वर्तनी के नाम पर सिर्फ़ नुक़ता ही फ़र्क़ पैदा कर देता है। यही बात ज़िला के साथ भी है। अरबी में बिना नुक़ते का जिला भी है जिसका अर्थ होता है आभा, प्रभा, कान्ति अथवा चमक। बहरहाल जानते हैं ज़िले की जन्मकुंडली को।

ज़िला सामी परिवार का है और इसका मूल इच्चारण ज़िल्अ है और यह अरबी की त्रिवर्णी धातु दाद-लाम-ऐन (ل ع ض) से मिलकर बना है। अरबी का दाद अक्षर दरअसल द्साद की तरह उच्चारा जाता है। इस तरह ज़िला का उच्चार Dsila या Dzila होता है। अरबी द्साद के लिए फ़ारसी में ज़ाद ﺽ और उर्दू में ज़ुआद ض अक्षर हैं। फ़ारसी उर्दू के रास्ते हिन्दी में इसका उच्चार ज़ ही होगा। ज़िला का मूलार्थ है पार्श्वास्थि यानी पसलियाँ। इसके अलावा इसमें जनपद, मंडल अथवा प्रान्त का आशय भी है। ऐसा इलाका जो किसी सरकारी अहलकार के अधीन हो। ज़िला का एक अर्थ तालिका या लिखने का लम्बवत खाना भी होता है जिसे स्तम्भ या कॉलम कहते हैं। हालाँकि अरबी में ऐसे अनेक शब्द हैं जिनसे क्षेत्रवार प्रशासनिक इकाई को पता चलता है जैसे- इकलिम, बलादिया, बन्दर, बनादिर, कुत्त, कित्ता, दायरा, मरकज़, सन्जाक़, शुक़, अश्क़ा, मुतसर्रिफ़, अमल, अमाला, कुत्र, मुकाता, मक़ामिया, कूरा, लीवा, मिन्तक़ा, मनातिक़, जीहा, मवातिन और विलाया और फ़लाज़ा।

ज़िला के पसली या RIB वाले अर्थ की जनपद वाले अर्थ से तार्किक साम्यता स्थापित नहीं होती। सामी परिवार का होने की वजह से ज़िला हिब्रू में भी है और इसके समरूप हैं ज़ेला या ज़ेलाह। जिस तरह अरबी में दाद का उच्चार द्साद या द्ज़ाद की तरह है उसी तरह हिब्रू में इसका समरूप त्सा या त्ज़ा है। इस तरह इसका हिब्रू रूप हुआ Tsela या Tzela. बाइबल में ज़ेलाह नाम के एक शहर का भी उल्लेख हैं। अनेक सामी सन्दर्भों को देखने के बाद पता चलता है कि इसमें पहलू, पार्श्व, साइड, आजू-बाजू, क्षेत्र, फ़लक जैसे अर्थ भी हैं। अनुमान लगाया जा सकता है कि मूलतः ज़िला में परिधि, हदबंदी या दायरा का भाव है और ये सभी शब्द मूलतः सुरक्षा से जुड़े हैं। किन्तु अरबी में इसका आशय सिर्फ़ रिब या पसली के अर्थ तक सीमित रहा जबकि फ़ारसी में आकर इसका क्षेत्र या इलाका के अर्थ में विस्तार हुआ। गौर करें जनपद जैसे अर्थ के साथ पार्श्वास्थि या पसली जैसा अर्थ मेल क्यों नहीं खा रहा है। पार्श्वास्थियों या पसलियों की संरचना देखें। कुदरत ने इसे दिल और फेंफड़ों की हिफ़ाज़त के लिए बनाया है। गोल दायरे में यह सीने के दोनो तरफ़ और आगे-पीछे से इन नाज़ुक अंगों की रक्षा करती हैं। स्पष्ट है कि ज़िला का मूलार्थ एक ख़ास दायरे, एक खास हद वाले क्षेत्र से है।

एंग्लो इंडियन डिक्शनरी हॉब्सन-जॉब्सन के मुताबिक शायद 1776 में ज़िला को कम्पनी राज में जनपदीय ईकाई की तरह बरता जाने लगा था। हालाँकि मुस्लिम दौर में इसका प्रयोग दो सदियों पहले से देश में शुरू हो चुका था। मराठी में ज़िला का उच्चार जिल्हा होता है तो सिन्धी में इसे जिल्ओ कहते हैं। गौर करें यह जिल्ओ ज़िला के सही उच्चार जिल्अ के ज़्यादा क़रीब है। किसी ज़माने में ज़िला प्रमुख को ज़िलादार कहा जाता था। अंग्रेजों ने राजस्व वसूली के लिए जो व्यवस्था बनाई उसमें एक मंडल या जनपद के लिए कलेक्टर का पद होता था। कलेक्टर यानी जो लगान वसूली करे और सरकारी ख़ज़ाने में जमा कराए। आज ज़िलादार कहीं कलेक्टर कहीं ज़िला कलेक्टर या डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट यानी डीएम कहलाता है।
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