Friday, January 1, 2016

//तमाम करना, निपटाना//

हिन्दी के सर्वप्रिय शब्दों में ‘तमाम’ تمام का शुमार भी है। इसकी अनेक अर्थछटाएँ हैं साथ ही अनेक पर्याय हैं भी हैं जैसे पूरा, सम्पूर्ण, सारा, सब, समाप्त, खात्मा, अन्त आदि। ‘तमाम’ की विशेषता है उसकी मुहावरेदार अर्थवत्ता जिसकी वजह से अनेक आसान पर्यायों के बावजूद इसका प्रयोग बोलचाल की भाषा में ज्यादा सहजता से होता है। तमाम में आमतौर पर समस्त और समापन का भाव है। अरबी मूल का यह शब्द बना है त्रिवर्णी सेमिटिक धातु ता-मीम-मीम ت-م-م से जिसमें समूचा, मुकम्मल, समग्र, सर्व, समस्त, सकल, परिपूर्ण, निरा, कुल, उपसंहार, समाहार, निष्कर्ष, अंजाम, समापन, खात्मा, निपटना जैसे भाव हैं।

किसी काम को अंजाम देने, समाप्त करने के लिए तमाम का प्रयोग मुहावरे की तरह होता है मसलन तमाम करना या तमाम होना। इसमें किसी जीवन का अन्त होने या करने का भी आशय है। जो अर्थवत्ता खत्म करना या खात्मा करना में है, वही बात तमाम करना में भी है। खत्म भी अरबी का प्रवासी शब्द है। तमाम का हिब्रू रूप तामीम है। तमाम में तामील करने का भाव भी है। तामील हो जाना यानी किसी काम का उपसंहार हो जाना। किसी ज़माने में किताबों में, फिल्मों में समाप्त, उपसंहार या The end लिखा होता था। उर्दू-फ़ारसी परम्परा में इसे तमामशुद लिखा जाता रहा। सम्पूर्णता के अर्थ में तमाम से तमाम से तमामन भी बनता है पर यह हिन्दी में अप्रचलित है।

हिन्दी में “तमाम करना” की टक्कर की अगर कोई अभिव्यक्ति है तो वह है ‘निपटाना’। इस निपटाने की अर्थव्याप्ति तमाम से भी ज्यादा है। निपटना में किसी समस्या से छुटकारा पाने से लेकर दैनंदिन क्रियाओं को सम्पन्न करने का भाव है। निपटाना में किन्हीं कार्यों को सुचारू रूप से पूरा करने से लेकर किसी का खात्मा करने तक का भाव है। इधर इसका अर्थविस्तार बदला या प्रतिशोध भी हो गया है। निपटना, निपटाना की कड़ी में ‘निपटान’ भी प्रचलित हो गया है जिसका प्रयोग आमतौर पर हाज़त-फ़राग़त के लिए किया जाता है।

हिन्दी में निपटना/निपटाना क्रिया का एक और रूप है निबटना/निबटाना और यही रूप शब्दकोशों में भी दर्ज़ है मगर लिखने-बोलने में आज सर्वाधिक प्रयुक्त रूप निपटना/निपटाना ही है। दरअसल विकासक्रम में निबटना/निबटाना एक पड़ाव था जिसकी अगली कड़ी निपटना/निपटाना और यह लगभग स्थिर हो चुकी है। हिन्दी में ‘व’ का रूपान्तर कभी ‘उ’ में होता है तो कभी ‘ब’ में। इसे जीव के जीऊ/जीउ रूप से समझ सकते हैं। इसी तरह छवि से छबि> छब हो जाता है। इसी तरह ‘ब’ का रूपान्तर ‘प’ में हो जाता है जैसे बारी से पारी हो जाना। निपटना बना है ‘निर्वर्तन’ से जिसमें पूरा करने के साथ साथ तामील करने का भाव भी है। निर्वर्तन> निवट्टना> निबटन> निपटना के क्रम में हिन्दी के पास तमाम की टक्कर की या कहें उससे बढ़कर अभिव्यक्ति पहले से है। अब तमामशुद करने की इजाज़त दें।

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