Friday, November 21, 2008

चांद और चूहे में रिश्तेदारी..[चन्द्रमा-5]


न्द्रमा का सबसे महत्वपूर्ण गुण उसका सौम्य, सुंदर और शीतल होना ही है। सभ्यता के शुरुआती दौर में ही मनुश्य ने अंतरिक्ष के दो सर्वाधिक प्रकाशमान पिंडों और उनकी विशेताओं को जान लिया था।
सूर्य सूर्य के प्रखर ताप के आगे चांद की रोशनी चंदन के शीतल लेप की तरह ही है क्योंकि वह सूर्य की दग्धता को स्वयं सोख कर पृथ्वी की ओर स्निग्धता प्रेषित करता है। हालांकि पृथ्वी पर ठण्डी या गर्म जलवायु के पीछे पृथ्वी की गतियां ही हैं पर स्थूल रूप में मनुश्य ने इन्हें सीधे सीधे चांद और सूरज से जोड़ कर देखा।

ल का गुण भी शीतलता ही है इसीलिए चन्द्रमा को जल तत्व प्रधान कहते हैं। चन्द्रमा के लोकप्रिय नामों में एक नाम है इन्दुः अथवा इन्दु। संस्कृत में इन्दु का मतलब होता है चांद, कपूर अथवा एक की संख्या। चन्द्रमा के इन्दु नाम के पीछे शीतलता का भाव ही प्रमुख है। इन्दु शब्द बना है संस्कृत धातु उन्द् से जिसका मतलब है आर्द्र करना, गीला करना, तर करना, नहलाना, स्नान करना इत्यादि। जाहिर है ये सभी क्रियाएं जल के अस्तित्व का बोध कराती हैं। इन्दु शब्द से ही बना है देवाधिदेव इन्द्र का नाम। गौरतलब है कि इन्द्र को वर्षा का देवता भी इसीलिए कहा जाता है क्योंकि इसका मूल भी उन्द् धातु ही है जिससे जलतत्व का बोध होता है। जिस तरह इन्दु शब्द में एक की संख्या शामिल है जिसमें प्रथम का भाव शामिल है। इन्द्र में यह एकदम स्पष्ट हो रहा है क्योंकि इन्द्र को सर्वश्रेष्ठ , स्वामी और पृथ्वी का शासक कहा गया है। किसी भी वर्ग में जो सर्वश्रेष्ठ है उसका विशेषण भी इन्द्र ही है क्योंकि सर्वश्रेष्ठ कोई एक यानी अकेला ही होता है जैसे योगेन्द्र, नरेन्द्र, नगेन्द्र, रवीन्द्र, कपीन्द्र आदि। इन्दु शब्द का अर्थ इकाई की संख्या होना यही साबित करता है कि मनुष्य ने चन्द्रमा को अकेला समझा। यहां अंग्रेजी में चन्द्रमा के लिए मून moon शब्द और अकेले, एकमात्र के अर्थ में mono शब्द की रिश्तेदारी भी स्पष्ट हो रही है।
...मराठी, मालवी और राजस्थानी में चूहे को उन्दीर,उन्द्रा या ऊन्दरा भी कहा जाता है...

न्द्रमा का एक नाम सिन्धुज भी है। सिन्धु+ज अर्थात समुद्र से जन्मा। पौराणिक सन्दर्भों के मुताबिक अमृत की खोज में हुए समुद्रमंथन से प्राप्त तत्वों में चन्द्रमा भी था। इस तरह अमृत और चन्द्रमा भी सहोदर हुए। इसी रिश्ते से समुद्र का एक नाम इन्दुजनक भी बनता है। चन्द्रमायुक्त होने से पूर्णिमा की रात को इन्दुमती भी कहा जाता है। चांद को अपने शिखर पर धारण करने की वजह से शिव का एक नाम इन्दुशेखर भी है। दिलचस्प तथ्य यह भी है कि चांद का रिश्ता शिवजी से तो है ही, उनके पुत्र गणेश से भी उनके वाहन यानी मूषक के जरिये है। लगातार गीला और आर्द्र करने की विशेषता की वजह से ही उन्द् धातु से ही संभवतः चूहे का नाम उन्दरुः पड़ा। वैसे नम और ठंडी जगह पर रहना भी चूहे की फितरत में शामिल है। मराठी में चूहे को उन्दीर कहते हैं। मालवी, राजस्थानी में भी चूहे का उन्दरा या ऊन्द्रा कहा जाता है। इन्दु से भी इन्दूरः शब्द बना है जिसका मतलब भी चूहा या मूषक ही होता है। चांद के शशांक नाम पर अगर गौर करें तो पाएंगे कि चूहे का आकार भी काफी कुछ शशः यानी खरगोश से मिलता-जुलता है। हालांकि यह दूर की कौड़ी है।
अगले पड़ाव पर इसी श्रंखला से जुड़े कुछ और शब्द
इन्हें भी ज़रूर देखे-
चंदू , चंदन और चांदनी [चन्द्रमा-1]
चांदी का जूता, चंदन की चप्पल [चन्द्रमा-2]
चार दिन की चांदनी ...[चन्द्रमा-3]
शशि और राकेश की रुमानियत [चन्द्रमा-4]

9 कमेंट्स:

दिनेशराय द्विवेदी said...

सब कुछ विचित्र है, चांद से चूहे का रिश्ता और शिव परिवार में चूहे, सर्प,मयूर,बैल और सिंह की एक साथ उपस्थिति।

Dr. Chandra Kumar Jain said...

चांद के शशांक नाम पर अगर गौर करें तो पाएंगे कि चूहे का आकार भी काफी कुछ शशः यानी खरगोश से मिलता-जुलता है। हालांकि यह दूर की कौड़ी है.

अजित जी,
आपकी दूर की कौड़ी भी
समझ और दिल के करीब मालूम पड़ती है
और नगीने की तरह चमक दे जाती है.

क्या-क्या और कितना कुछ
लुटा जाते हैं आप...सफर में !
======================
शुक्रिया
डॉ.चन्द्रकुमार जैन

Gyan Dutt Pandey said...

वाह, क्या चांद का टुकड़ा है चूहा! ऐसे ही नहीं बना विनायक की सवारी!

Abhishek Ojha said...

ओहो तो ये बात है... चाँद ने चकोर छोड़ चूहे से यारी कर ली !

अनुपम अग्रवाल said...

बहुत अच्छा लिखा गया है .
जानकारी बढाने के लिए धन्यवाद
ये भी बताएं कि ये बक्सा यहाँ पर कैसे लगाया है क्योंकि ज्यादातर ब्लोग्स में ये बक्सा यहाँ पर उपलब्ध ना होने से लोग टिप्पणी इंग्लिश में कर रहे हैं
http://aapkesamne.blogspot.com
http://manmafik.blogspot.com

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

इन्दीर और उन्दीर का रीश्ता अब समझे :)
- लावण्या

प्रवीण त्रिवेदी said...

उत्तम जानकारी!!!!!!!!

प्रवीण त्रिवेदी said...

@ अनुपम अग्रवाल
visit this blog http://hi.pratham.net/

प्रवीण त्रिवेदी said...

बहुत बढ़िया लग रहा है !!!!!!!! इस शब्द चर्चा में शामिल होकर
!

बहुत कुछ नया सीखने को मिल जाता है !!!!!

कृपया अपने प्रयास को जारी रखिये

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