Sunday, April 25, 2010

झांकिए इस एलबम में

पिछली कड़ी- बालकनी और बालाखाना में बाले-बाले से आगे

"एलबम  बना है लैटिन के एल्बस elbus से जिसमें शुभ्रता का भाव है। एल्ब का एक अर्थ चर्च में पहना जाने वाला सफेद चोगा भी होता है। एल्बस से बने लैटिन के एलबम का अर्थ था सफेद या शुभ्र।.
अंग्रेजी के रास्ते हिन्दी में अपनी खास जगह बना चुके शब्दों में एलबम का शुमार है जिसका कोई प्राकृत, आसान या मौलिक विकल्प हिन्दी में नहीं है। ऐसी जिल्द या पोथी जिसमें तस्वीरों को बेहतर ढंग से प्रदर्शित किया गया हो, एलबम कहते हैं। म्युजिक रिकार्ड के लिए भी बीते कुछ दशकों से म्युजिक एलबम शब्द प्रचलित हो चुका है। एलबम शब्द भी भारोपीय भाषा परिवार का है और इसकी रिश्तेदारी हिन्दी, उर्दू, फारसी, हिब्रू समेत कई यूरोपीय शब्दों से है जिनके मूल में ऊंचाई, प्रकाश, चमक, भव्यता और शुभ्रता का भाव दर्शानेवाला शब्द बाल bal (baal) है। मिलते जुलते भाव व्यक्त करनेवाली एक से अधिक धातुओं में  निकट संबंध भी होता है। प्राचीन भारोपीय धातु *alb- पर गौर करें ( कुछ लोग इसे गैर भारोपीय धातु भी मानते हैं)। अगर इसके वर्णों का क्रम बदल दिया जाए तो इसका एक रूप bal भी बनता है। एल्ब *alb- का अर्थ है श्वेत, सफेद, धवल, पहाड़, पर्वत। इससे मिलती जुलती प्रोटो इंडो यूरोपीय भाषा परिवार की एक धातु है *albho-जिसमें भी यही भाव है और माना जाता है कि इसका विकास *alb-से हुआ है।
मुझे लगता है अगर भाव और अर्थ की समानता देखें तो bal का alb में रूपांतर शुद्धतः वर्णविपर्यय का मामला है। चमक, द्युति, प्रकाश में ऊंचाई के साथ शुभ्र, सफेद या धवल का भाव भी है। पूर्व से पश्चिम तक फैली यूरोप की प्रसिद्ध पर्वत शृंखला का नाम एल्प्स है। यह नाम इसी मूल से आ रहा है। ध्यान रहे आल्प्स के न सिर्फ उच्च शिखरों पर हमेशा बर्फ जमी रहती है बल्कि साल के कुछ महीनों में इसके पठारी हिस्से भी सफेद चादर से ढके रहते हैं। alps में alb धातु साफ दिखाई पड़ रही है। एल्ब का अर्थ ऊंचाई और शुभ्रता या सफेदी का भाव आल्प्स alps पर्वत में स्पष्ट हो रहा है। पर्वतीय  या पहाड़ी के अर्थ में एल्पाईन शब्द भी इसी मूल से आ रहा है। दक्षिण यूरोपीय देशों को बाल्कन देश कहा जाता है जिसमें मुख्यरूप से अल्बानिया, बोस्निया-हर्जेगोविना, बुल्गारिया, ग्रीस, कोसोवो, मेसीडोनिया और मोन्टेनीग्रो शामिल हैं। यह बाल्कन balkan शब्द भी इसी शब्द शृंखला का हिस्सा है। दक्षिण यूरोप के जिस क्षेत्र में ये देश हैं वह बाल्कन पर्वत शृंखला कहलाती है। बाल्कन एक तुर्की शब्द है जिसका अर्थ है वृक्षाच्छादित पर्वतीय क्षेत्र। बाल्कन का तुर्की रूप बालगन भी होता है। जाहिर है यह बाल शब्द यहां भी पर्वत, ऊंचाई और आश्रय के अर्थ में ही आ रहा है और तुर्की में इसकी व्याप्ति इंडो-ईरानी भाषा समूह से हुई होगी। इन देशों के लिए बाल्कन शब्द का प्रयोग तब से शुरू हुआ जब इस क्षेत्र पर तुर्की का प्रभुत्व हुआ। युगोस्लाविया के विभाजन के बाद बाल्कन शब्द अब यहां नकारात्मक विशेषण माना जाता है और यूरोप का आम आदमी इसे सदर्न यूरोप कहना ज्यादा पसंद करता है। यूरोप का सर्वाधिक मुस्लिम बहुल क्षेत्र भी यही है। अल्बानिया के मूल में यही एल्ब alb है। बालकन शृंखला दरअसल एल्प्स का ही एक हिस्सा है। अल्बानिया एक पहाड़ी देश है और एल्ब में निहित उच्चता का भाव इसे पहाड़ी राज्य के रूप में सार्थक कर रहा है। अल्बानिया का प्राचीन नाम शिपरिया है जिसका अर्थ है बाज का देश। यहां भी बाज की ऊंची उड़ान देखिए!!!
114561-050-C3AC3C4Eही बात एलबम में भी है जो बना है लैटिन के एल्बस elbus से जो इसी मूल से निकला है और जिसमें शुभ्रता का भाव है। एल्ब का एक अर्थ चर्च में पहना जाने वाला सफेद चोगा भी होता है। एल्बस से बने लैटिन के एलबम का अर्थ था सफेद या शुभ्र। यहां शुभ्रता में खालीपन या कोरापन भी समाया है। ठीक उसी तरह जैसे कोरा के अर्थ में हम साफ शब्द का प्रयोग करते हैं। स्वच्छता के लिए साफ-सफाई का इस्तेमाल करते हैं। भाव कोरेपन का ही रहता है। दाग-धब्बे रहित जो है, वह धवल है, शुभ्र है। बाद में एलबम का अर्थ हुआ सफेद, कोरे कागज पर बनाई जानेवाली सूचियां अथवा सार्वजनिक स्थलों पर लगाए जानेवाले राजकीय इश्तहार या अन्य सूचनाएं। मध्यकाल में एलबम शब्द का प्रयोग चित्रों की पोथी के रूप में शुरू हुआ। एल्ब धातु से एक अन्य महत्वपूर्ण शब्द बना है एल्बीनो जो एक तरह का चर्म रोग होता है। भारत में इस रोग से ग्रस्त लोगों को सूरजमुखी या भूरा कहते हैं। ब्रिटेन और स्कॉटलैंड के क्षेत्र को किसी जमाने में एल्बिओन कहा जाता था क्योंकि यह समूचा इलाका सफेद चट्टानोंवाला है। अंडे की सफेदी के लिए एल्बुमिन नाम भी इसी मूल से जुड़ा है। [समाप्त]

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12 कमेंट्स:

दिनेशराय द्विवेदी said...

चुनिंदा!

Asha Joglekar said...

bal & alb कैसे शब्द पलटा हुआ रूप ले लेते हैं । Alb से ही आल्पस हुआ है वैसे ही कश्मीर में शिखरों (बर्फाच्छादित ) को बल कहते होंगे जैसे हजरतबल । अल्बिनों का खयाल भी मुझे आया था पढते पढते । अल्बा का अर्थ लेटिन में सफेद होता है । पर अलबम....... ये न सोचा था ।

mukti said...

alb & bal---मेरे ख्याल से यह शब्द-विपर्यय का उदाहरण है. पर ये शब्दों में सुना था, धातुओं में पहली बार सुन रही हूँ. कितनी सूक्ष्मता से वर्णन किया है आपने इन शब्दों का...
धातुओं की यही खासियत होती है कि इनसे बने शब्द विभिन्न उपसर्गों और प्रत्ययों की सहायता से भिन्न-भिन्न संस्कृतियों, सभ्यताओं और भौगोलिक क्षेत्रों में एकदम भिन्न अर्थ ले लेते हैं...ये भारोपीय भाषा परिवार की एक मुख्य विशेषता है.

दीपक 'मशाल' said...

कभी ध्यान ही नहीं गया था इस बात पर कि एल्बम शब्द हिंदी से अलग है... आभार अजित सर..

Anonymous said...


रोचक !

प्रवीण पाण्डेय said...

आप को पढ़कर लगता है कि एक क्रैस कोर्स कर लें शब्दों पर ।
समय व स्थान बताईये ।

अजित वडनेरकर said...

@मुक्ति
एक सुधार कर लें मुक्ति। शब्दों में वर्ण विपर्यय ही होता है। शब्द विपर्यय जैसी कोई टर्म नहीं होती। वाक्यांश में शब्द भी इकाई होते हैं किन्तु लोग व्याकरण सम्मत व्यवहार कम करते हैं और धाराप्रवाह अपनी शैली में वाक्यांश कहते हैं।
अजित है मेरा नाम
नाम है मेरा अजित
मेरा नाम अजित है
अंतिम वाक्य को सही मानें तो शेष वाक्यों में शब्द विपर्यय कहा जा सकता है अर्थात वे अपनी सही जगह से हटे हैं। पर यह सिर्फ समझने समझाने के लिए है। व्याकरण से ज्यादा जरूरी है भावार्थ का समझ में आना। इसीलिए गद्य में वाक्यरचना पर जोर रहता है। कविता इसीलिए अनूठी जान पड़ती है।

अजित वडनेरकर said...

@प्रवीण पाण्डेय
हुजूर, यही है वह जगह जहां हम सब मिलकर उस काम को अंजाम दे रहे हैं जिसका जिक्र आप कर रहे हैं:)

उम्मतें said...

देखिये जब तक इसे एलबम पढेंगे ठीक रहेगा यानी शुभता का भाव पर जैसे ही इसे अलबम { श्रीमती आशा जोगलेकर } कहेंगे अर्थ केवल अशुभता का होगा...मसलन अलकायदा ...अलजवाहिरी वगैरह वगैरह :)

mukta mandla said...

शब्द की तलाश वैसे खुद की तलाश नहीं है
फ़िर भी अगर इसका सरल हल निकालें तो
समस्त शब्द संस्कृत भाषा की देन है आज
हमें जो हिन्दी शब्द मालूम होते हैं वे संस्कृत
के है इनका रहस्य खोजना बहुत आसान है
प्रयत्न समर्थ समर्पण आदि ऐसे शब्द जिनमें
अक्षरों की कनेक्टिविटी होती है ये हिन्दी में
इस तरह पङें परयतन समरथ समरपण
विस्तार के भय से अधिक नही लिख रहा
प्रत्येक व्यंजन अ पर आश्रित है जैसे क ख
ह ... .....(फ़ूंक) +अ+क=क..(वापस गूंज ध्वनि)
इस फ़ूंक को जानना कोई बङी बात नहीं ये
योग में बहुत छोटी चीज है..खुद की तलाश
के लिये अमन क्रिया सीखनी होती है सामान्य
जीव के लिये तो ये जन्मों का खेल है पर योग
मार्ग में सरल ही है
satguru-satykikhoj.blogspot.com

अजित वडनेरकर said...

@राजीव कुलश्रेष्ठ
सफर पर आने का शुक्रिया। आप बहुत भ्रमित जान पड़ते हैं राजीव भाई। आप अभी योग भी नहीं सीख पाए हैं। योग का अर्थ शायद 2+2=4 लगा रहे हैं। मैने लिखा है-
"शब्द की तलाश दरअसल अपनी जड़ों की तलाश जैसी ही है।"
योग से स्थिरता आती है। आपने इतनी जल्दबाजी में कैसे पढ़ा और उसका वह अभिप्राय कैसे निकाला जो दरअसल है नहीं? योग भी मूल तक पहुंचने की क्रिया है। आप तो तने में ही अटक गए महाराज?

Mala Telang said...

आज का सफर बहुत ही रोचक जानकारियों से लबालब भरा हुआ था.... इसी बहाने इतनी गरमी मे आल्पस् पर्वतश्रेणियों की सैर भी हो गई ,वाह , मजा आ गया :)

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