Thursday, September 16, 2010
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16.चंद्रभूषण-
[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8 .9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 17. 18. 19. 20. 21. 22. 23. 24. 25. 26.]
15.दिनेशराय द्विवेदी-[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22.]
13.रंजना भाटिया-
12.अभिषेक ओझा-
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11.प्रभाकर पाण्डेय-
10.हर्षवर्धन-
9.अरुण अरोरा-
8.बेजी-
7. अफ़लातून-
6.शिवकुमार मिश्र -
5.मीनाक्षी-
4.काकेश-
3.लावण्या शाह-
1.अनिताकुमार-
मुहावरा अरबी के हौर शब्द से जन्मा है जिसके मायने हैं परस्पर वार्तालाप, संवाद।
लंबी ज़ुबान -इस बार जानते हैं ज़ुबान को जो देखते हैं कितनी लंबी है और कहां-कहा समायी है। ज़बान यूं तो मुँह में ही समायी रहती है मगर जब चलने लगती है तो मुहावरा बन जाती है । ज़बान चलाना के मायने हुए उद्दंडता के साथ बोलना। ज्यादा चलने से ज़बान पर लगाम हट जाती है और बदतमीज़ी समझी जाती है। इसी तरह जब ज़बान लंबी हो जाती है तो भी मुश्किल । ज़बान लंबी होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है ज़बान दराज़ करदन यानी लंबी जीभ होना अर्थात उद्दंडतापूर्वक बोलना।
दांत खट्टे करना- किसी को मात देने, पराजित करने के अर्थ में अक्सर इस मुहावरे का प्रयोग होता है। दांत किरकिरे होना में भी यही भाव शामिल है। दांत टूटना या दांत तोड़ना भी निरस्त्र हो जाने के अर्थ में प्रयोग होता है। दांत खट्टे होना या दांत खट्टे होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है -दंदां तुर्श करदन
अक्ल गुम होना- हिन्दी में बुद्धि भ्रष्ट होना, या दिमाग काम न करना आदि अर्थों में अक्ल गुम होना मुहावरा खूब चलता है। अक्ल का घास चरने जाना भी दिमाग सही ठिकाने न होने की वजह से होता है। इसे ही अक्ल का ठिकाने न होना भी कहा जाता है। और जब कोई चीज़ ठिकाने न हो तो ठिकाने लगा दी जाती है। जाहिर है ठिकाने लगाने की प्रक्रिया यादगार रहती है। बहरहाल अक्ल गुम होना फारसी मूल का मुहावरा है और अक्ल गुमशुदन के तौर पर इस्तेमाल होता है।
दांतों तले उंगली दबाना - इस मुहावरे का मतलब होता है आश्चर्यचकित होना। डॉ भोलानाथ तिवारी के मुताबिक इस मुहावरे की आमद हिन्दी में फारसी से हुई है फारसी में इसका रूप है- अंगुश्त ब दन्दां ।
14 कमेंट्स:
तब शायद टिपियाया हो. आपने कहा तो फिर टीप जाते हैं :) जै जै. ये बताइए जै जै या जय जय ?
चरैवेति चरैवेति...बस इसी में लगे हैं...
चल रहे है चल रहे है और सबक भी सीख ही रहे है
लिए जा रहे हैं सबक !
वाह!!!
सबके सुख सबके हित के लिए
सबक अज्ञान से ज्ञान का सफर है ! चाहें तो याद रखिये वर्ना भूल जाइये :)
एक शब्द गुंजित मन में,
त्वं चरैवेति, त्वं चरैवेति।
ज्ञान वृद्धक आलेख, धन्यवाद.
'सबक्कत' I T में है हमारी,
'सबक' भी विश्व को हम दे रहे है,
हमारी एक भाषा भी है, 'हिंदी'!
जिसे हम 'ले' रहे न 'दे' रहे है.
मृत्यु के अंतिम छोर तक जीवन सीखाती रहती है...
जी क्या खूब बात कही आपने ...जीवन का सच..यही है
पाठक को यह बात समझाने में कठनाई आ सकती है कि ईसा के बोले शब्द न्यू टेस्टामेंट में होने चाहिए, ओल्ड टेस्टामेंट में नहीं. बात यह है कि न्यू टेस्टामेंट की मैथ्यू की अन्जील में यह ईसा के मूंह से निकले अंतिम शब्द बताये गए हैं. वास्तव में यह शब्द ओल्ड टेस्टामेंट में दर्ज भजन१५ के आरंभ के शब्द ही हैं जिनको फांसी के वक्त ईसा ने दुहराया/याद किया. इस तरह यह शब्द दोनों टेस्टामेंटों में हैं.
बस चले जा रहे हैं सीख रहे हैं। धन्यवाद।
सबख्तानि यानि पीछे छोडना । पर सबक तो हमें आगे ले जाने के लिये होता है । सबक सिखाना, मुहावरा अंग्रेजी से हिंदी में आया या उलटा हुआ ?
To teach a lesson.
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