Thursday, September 16, 2010

ब्लॉग बोला- सीखो सबक...

14 कमेंट्स:

Abhishek Ojha said...

तब शायद टिपियाया हो. आपने कहा तो फिर टीप जाते हैं :) जै जै. ये बताइए जै जै या जय जय ?

Udan Tashtari said...

चरैवेति चरैवेति...बस इसी में लगे हैं...

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

चल रहे है चल रहे है और सबक भी सीख ही रहे है

वाणी गीत said...

लिए जा रहे हैं सबक !

दिनेशराय द्विवेदी said...

वाह!!!

kailash wankhede said...

सबके सुख सबके हित के लिए

उम्मतें said...

सबक अज्ञान से ज्ञान का सफर है ! चाहें तो याद रखिये वर्ना भूल जाइये :)

प्रवीण पाण्डेय said...

एक शब्द गुंजित मन में,
त्वं चरैवेति, त्वं चरैवेति।

Mansoor ali Hashmi said...

ज्ञान वृद्धक आलेख, धन्यवाद.

'सबक्कत' I T में है हमारी,
'सबक' भी विश्व को हम दे रहे है,
हमारी एक भाषा भी है, 'हिंदी'!
जिसे हम 'ले' रहे न 'दे' रहे है.

रंजना said...

मृत्यु के अंतिम छोर तक जीवन सीखाती रहती है...

अजय कुमार झा said...

जी क्या खूब बात कही आपने ...जीवन का सच..यही है

Baljit Basi said...

पाठक को यह बात समझाने में कठनाई आ सकती है कि ईसा के बोले शब्द न्यू टेस्टामेंट में होने चाहिए, ओल्ड टेस्टामेंट में नहीं. बात यह है कि न्यू टेस्टामेंट की मैथ्यू की अन्जील में यह ईसा के मूंह से निकले अंतिम शब्द बताये गए हैं. वास्तव में यह शब्द ओल्ड टेस्टामेंट में दर्ज भजन१५ के आरंभ के शब्द ही हैं जिनको फांसी के वक्त ईसा ने दुहराया/याद किया. इस तरह यह शब्द दोनों टेस्टामेंटों में हैं.

निर्मला कपिला said...

बस चले जा रहे हैं सीख रहे हैं। धन्यवाद।

Asha Joglekar said...

सबख्तानि यानि पीछे छोडना । पर सबक तो हमें आगे ले जाने के लिये होता है । सबक सिखाना, मुहावरा अंग्रेजी से हिंदी में आया या उलटा हुआ ?
To teach a lesson.

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