ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें
|
Saturday, August 11, 2012
तिलस्मी दुनिया
च मत्कारी, जादुई, रहस्यम और अबूझ किस्म की बात, घटना या वस्तु के संदर्भ में तिलस्म हिन्दी का जाना-पहचाना शब्द है । यह भी दिलचस्प है कि हिन्दी साहित्य की शुरुआती रचनाओं का आधार भी यही शब्द यानी तिलस्म था । उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्ध में जो महानुभाव हिन्दी गद्य में आज़माईश कर रहे थे, उसके कथानकों का सफल फार्मूला तिलस्मी दुनिया का ही था । राजा-रानी की पारम्परिक प्रेम-कथा अब गौण थी और राजा-रानी के किस्से अब राजनीति के प्रपंच का हिस्सा बनते थे जिन्हें तिलस्मी दुनिया के तहखानों, ऐयारों के कारनामों और जासूसी दाव-पेचों से गुज़रते हुए दिलचस्प अंदाज़ में परोसा जाता था । इस विधा के सिद्धहस्त लेखक बाबू देवकीनंदन खत्री थे । जासूसी और तिलस्मी लेखन करने वाले वे पहले ही लेखक हैं जिनकी रचनाओं को साहित्य का दर्जा मिला । उनकी लिखी चन्द्रकान्ता संतति आज भी खूब बिकती है । बहरहाल, तिलस्म शब्द से प्रायः हर हिन्दी प्रेमी का परिचय खत्री जी के उपन्यासों के ज़रिये होता है ।
तिलस्म शब्द की आमद हिन्दी में फ़ारसी के ज़रिये हुई है । तिलस्म शब्द के दायरे में मायालोक, इंद्रजाल, जादू, चमत्कार, अद्भुत कार्य-व्यापार, क़रामाती बातें आती हैं । यह तावीज भी हो सकता है, गंडा भी हो सकता है या अभिमंत्रित पत्थर भी । इसका इस्तेमाल कई तरह से होता है जैसे समूचा स्थान यानी तिलस्मी तहखाना, कोई मार्ग जैसे तिलस्मी रास्ता, कोई वस्तु जैसे तिलस्मी हार आदि । ई. जे. ब्रिल्स के फर्स्ट इन्साइक्लोपीडिया ऑफ इस्लाम के मुताबिक इसके तिलसम, तिलस्म, तिलसिम, तालिस्म और तिलिस्म जैसे रूप भी अरबी में प्रचलित हैं । हिन्दी में तिलस्माती, तिलस्मानी, तिलस्मात, तिलस्मी जैसे रूप प्रचलित हैं । प्राचीनकाल से ही प्रायः हर संस्कृति में परस्पर विरोधी पक्ष एक-दूसरे पर विजय प्राप्त करने के लिए ओझाओं और नजूमियों के ज़रिये एक दूसरे के खिलाफ तंत्र-मंत्र, जादू-टोना आदि शक्तियों का प्रयोग करते रहे हैं जिनका मक़सद विरोधी का सर्वनाश ही था ।
गौरतलब है कि ताबीज के अर्थ वाला अंग्रेजी का टेलिस्मन अरबी के तिलस्म से प्रभावित है जबकि खुद अरबी में तिलस्म शब्द के पीछे बाइजेंटीनी-ग्रीक का तेलेस्मा ( telesma ) है । तुर्की की वर्तमान राजधानी इस्ताम्बुल का प्राचीन नाम कुस्तुन्तुनिया Kostantiniyye था जिसे ग्रीक भाषा में कांस्टेंटिनोपल कहते थे । किसी ज़माने में प्राचीन ग्रीक साम्राज्य का विस्तार वर्तमान इस्ताम्बुल तक था । भूमध्यसागर की धुर पूर्वी सीमा अरब क्षेत्रों को छूती है । ग्रीस और अरब के बीच व्यापारिक संबंध भी रहा है इसलिए अरब और ग्रीस में भाषायी अन्तर्सम्बन्ध भी गहरा है । इस क्षेत्र को तब बाइजेंटाइन कहते थे और यहाँ बोली जाने वाली भाषा बाइजेंटीनी-ग्रीक कहलाती थी जिसका खासा असर तुर्की और अरबी भाषाओं पर पड़ा है । ग्रीक भाषा के टेलिन telein शब्द से तेलेस्मा बना जिसमें धार्मिक अनुष्ठान, समापन, पूर्णाहुति जैसे भाव थे । भाषाविज्ञानियों का मानना है कि टैलेन के मूल में टेलोस शब्द है जिसमें जिसका अर्थ है खात्मा, सर्वनाश, परिणति, निजात, अन्त, अंजाम या मृत्यु आदि । यह जो टेलोस है, इसका रिश्ता ग्रीक भाषा की प्रसिद्ध धातु टेली tele- से है जिसमें दूर, सिरा, अन्तराल जैसे आशय हैं और इससे टेलीविज़न, टेलीफोन, टेलीपैथी, टेलीकास्ट जैसे बोलचाल के कई आमफ़हम शब्द बने हैं । कई भाषाओं में इसके रूपान्तर प्रचलित हैं जैसे ग्रीक में टेलेस्मा, हिन्दी में तिलस्म, स्वाहिली में तलासिमु, हिब्रू में तिलस्म आदि ।
तिलस्म यानी कोई जादुई चिह्न या रहस्यमय व्यवस्था मूलतः किसी अलौकिक शक्ति के असर को बताती है । तिलस्म का सृजन जो भी करता है, यह उसके हित में असरदार होता है । इसमें सौभाग्य चिह्न का भाव है । मंत्र शक्ति, जादुई करामात, गंडा, ताबीज़ आदि का प्रयोग किसी मुश्किल हालात से निजात पाने अथवा मनोवांछित फल पाने के लिए किया जाता है । मूल भाव है मनचाहा हो जाना, जो सामान्य प्रयासों से होना सम्भव नहीं है । तिलिस्म शब्द का हिब्रू रूप तालिस्म होता है । “द डिक्शनरी दैट रिवील द हिब्रू सोर्स ऑफ इंग्लिश’ में इसाक ई. मोज़ेस तालिस्म की दिलचस्प व्युत्पत्ति बताते हैं जो ग्रीक टेलोस पर आधारित ही हैं । मोजेज के अनुसार हिब्रू तालिस्म, अरबी तिलस्म से ही आया है । वे बाइजेंटीनी-ग्रीक के तैलिस्मा telesma को टेलिन और स्लैम मिलन का नतीजा मानते हैं । अंग्रेजी के slam में मूलतः पटाक्षेप या चरम परिणति का ही भाव है । खेल स्पर्धाओं में ग्रैंडस्लैम के रूप में इसे देखा जा सकता है । हालाँकि भाषाविद् स्लैम की व्युत्पत्ति पर स्थिर नहीं हैं और इसे उत्तरी यूरोप के प्राचीन नॉर्स परिवार का शब्द मानते हैं ।
अंग्रेजी के स्लैम से सेमिटिक धातु सलम का रिश्ता तार्किक भी लगता है और भाषायी अन्तर्सम्बन्ध यहाँ भी नज़र आता है । सेमिटिक भाषा परिवार की धातु स – ल - म ( अरबी लिपि में सीन –लाम- मीम ) जिसमें समर्पण, स्वीकार जैसे भावों के साथ अन्ततः शान्ति का आशय प्रकट होता है । नमस्कार या सेल्यूट के अर्थ वाले प्रसिद्ध अभिवादन “अस्सलाम अलैकुम” और “वालैकुम अस्सलाम” में यही सलम है जिसका एक रूप सलाम हुआ । कुशल, मंगल का प्रतीक यह अभिवादन मूलतः शान्ति कामना ही है । हिब्रू में इसका रूप शॉलोम shalom होता है । मोज़ेस के अनुसार बाइबल में शॉलाम शब्द का आशय भी पूर्णत, परमत्व और शान्ति ही है । अपने अभीष्ट की कामना में प्राचीनकाल से ही मनुष्य किन्ही अनुष्ठानों का आयोजन करता रहा है जिनमें से कुछ ऐसे होते हैं जो वह सामान्य पुरोहितो से हट कर ओझा, बैगा, तान्त्रिक, मान्त्रिक आदि से सम्पन्न कराता है । कुल मिला कर किसी मायावी शक्तियों से इष्टफल प्राप्ति का प्रयास ही तिलस्म है । इसका हासिल भी चित्त की शान्ति ही होता है । मगर इसमें अहंभाव की तुष्टि भी होती है ।
इन्हें भी देखें- 1.सलामत रहे अदब-ऐ-सलाम…2.जासूस की जासूसी
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 6:16 PM लेबल: god and saints, nature, space astronomy, इस्लाम islam, क्रिया, व्यवहार, संस्कृति
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
8 कमेंट्स:
जब टेलीफोन आया तो एक तिलिस्मी औजार ही था।
बहुत् खूब ! इस लिहाज़ से, टेलीविजन, टेलीफोन, (मोबाइल भी), टेलिस्कोप सभी उसी तिलिस्मात के हिस्से हुए ! और इसमे शक़ भी कैसा क्योंकि ये हैं भी !
बाबू देवकीनंदन खत्री की रचनाओं को मैनें खूब पढ़ा है...अच्छी जानकारी...
बहुत सुन्दर है आपके शब्दों का तिलिस्म।
............
कितनी बदल रही है हिन्दी !
THE DICTIONARY THAT REVEALS THE HEBREW SOURCE OF ENGLISH By Isaac E. Mozeson is not at all a reliable source. I dont know why you refered this book in the context of the word talisman.More later on.
दिलचस्पी पर दिलचस्प...
रोचक और तिलिस्मी ।
बहुत ही अच्छी पोस्ट है अपने इसमे काले जादू के बात के है काला जादू बहुत जगह प्रयोग में लाया जाता है जैसे के किसी को नुकसान पहुचना हो या कोई और पेरशानी के काम आता है
hindi vashikaran mantra
Post a Comment