Wednesday, September 17, 2025

गाह-2 : जब डुबकी ही शुभारम्भ कहलाती थी

संकल्प और शुरुआत का एक नाम: आग़ाज

संकल्प और इच्छाशक्ति की दूरगामी सोच
आरम्भ’ और ‘प्रारम्भ’ जैसे शब्द किसी कार्य के अनुष्ठान की सूचना देते हैं, तो ‘शुरुआत’ जैसा आम शब्द रोज़मर्रा की बोलचाल में रच-बस गया है। लेकिन फ़ारसी से आया एक शब्द ऐसा है जिसमें एक ख़ास वज़न, गरिमा और संकल्प का भाव जो शुभारम्भ में या श्रीगणेश में है- और वह शब्द है ‘आग़ाज़’। एक ऐसी शुरुआत का प्रतीक जिसके पीछे एक गहरी इच्छाशक्ति, एक संकल्प और एक दूरगामी दृष्टि होती है। आग़ाज़ दरअसल वह पहला चरण है जो किसी संकल्प की ख़ातिर उठाया जाता है।

गाह और आग़ाज़ 
पिछली कड़ी में हमने संस्कृत-हिन्दी के ‘गाह’ शब्द और उसके परिवार को समझा था। अब यह जानना बेहद दिलचस्प है कि फ़ारसी से हमारी भाषा में आया शब्द आग़ाज़’ भी इसी ‘गाह’ का बिछड़ा हुआ भाई है। ये दोनों शब्द हिन्द-ईरानी भाषाओं की साझा विरासत के जीवंत प्रमाण हैं और एक ही पुरखे की दो संतानें हैं। इन दोनों की जड़ एक ही प्राचीन क्रिया में है जिसका मूल भाव था—‘पानी में उतरना, किसी द्रव में प्रवेश करना या निमग्न होना’। जब हज़ारों साल पहले हिन्द-ईरानी भाषा की शाखाएँ अलग हुईं, तो इस एक ही क्रिया के दो अलग-अलग पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया।

एक जड़, दो रास्ते: गहराई और शुरुआत
भारतीय शाखा में क्रिया के परिणाम, यानी ‘पूरी तरह डूब जाने’ और ‘गहराई’ के भाव से गाह’ शब्द विकसित हुआ। वहीं, ईरानी शाखा ने उसी क्रिया के पहले क्षण, यानी ‘पानी में पहला क़दम रखने’ के भाव को पकड़ा। यही पहला क़दम किसी भी काम के आरम्भ’ का प्रतीक बन गया और फ़ारसी में आग़ाज़’ शब्द का आधार बना। इस तरह, एक ही मूल क्रिया ने एक भाषा में 'गहराई' को और दूसरी में 'शुरुआत' को जन्म दिया।

अर्थ की गहराई
आग़ाज़’ शब्द का अर्थ केवल ‘beginning’ या ‘commencement’ तक सीमित नहीं है। विभिन्न सन्दर्भ बताते हैं कि इसके अर्थों में संकल्प व इच्छा भी शामिल हैं। यही कारण है कि यह शब्द अक्सर बड़े, ऐतिहासिक या काव्यात्मक सन्दर्भों में प्रयुक्त होता आया है, जैसे ‘एक नए युग का आग़ाज़’। इस शब्द की शक्ति और गरिमा का अंदाज़ा इससे बने एक और शब्द से लगता है- आग़ाज़ंदा। फ़ारसी में ‘आग़ाज़ंदा’ का अर्थ है ‘आरम्भ करने वाला’ या ‘उत्पन्न करने वाला’, और यह शब्द स्वयं ईश्वर या सृष्टिकर्ता के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

प्रथम चरण श्रीगणेश
आग़ाज़’ की कहानी हमें लगभग हज़ारों बरस पीछे ले जाती है, एक ऐसे समय में जब हमारे पूर्वज स्वयं के अस्तित्व के साथ प्रकृति, पञ्चतत्व, जीवन-मृत्यु आदि के बारे में चिन्तन-संवाद कर रहे थे। भाषाविदों ने खोजा कि ‘आग़ाज़’ जैसी अमूर्त अवधारणा की जड़ें एक आध्यात्मिक अवधारणा से जुड़ी हैं। प्राचीन ईरानी अग्निपूजक समाज में किसी पवित्र उद्धेश्य की खातिर किसी जलस्रोत में उतर कर से संकल्प-स्तुति करना ही वास्तविक श्रीगणेश होता था। तो तट और जल की सीमा-रेखा पार कर जब एक पैर पानी में रखा जा चुका है और दूसरा पग भी जल में प्रविष्ट हो चुका है या होने वाला है, यह अवस्था आग़ाज़ कहलाती थी।

शब्दों के पुरखे: ‘ग्वाघ्’ की कहानी
उस प्राचीन क्रिया को, जिसमें "पानी में उतरने" का भाव था, एक आदि-भारोपीय धातु के रूप में पहचानते हैं। इस पुनर्निर्मित धातु को *ग्वाघ् (gʷeh₂ǵʰ-) के रूप में लिखा जाता है । यह जटिल सा दिखने वाला सूत्र ही वह बीज है जिससे ‘आग़ाज़’ जैसे शब्द का विशाल वृक्ष पैदा हुआ। यह हमें बताता है कि हमारे पूर्वजों के लिए एक ‘शुरुआत’ का विचार किसी नदी में उतरने के साहस और संकल्प से कितना गहरा जुड़ा हुआ था। यह धातु उस पहले क़दम का प्रतीक है जो अनजाने भविष्य की ओर बढ़ाया जाता है।

ईरान के रास्ते: एक शब्द का सफ़र  
जब आदि-भारोपीय भाषा बोलने वाले लोग अलग-अलग दिशाओं में फैले, तो यह ग्वाघ्  धातु भी उनके साथ यात्रा पर निकल पड़ी। इसकी एक शाखा ईरान और मध्य एशिया की ओर बढ़ी, जहाँ इसने ईरानी भाषाओं में अपना विकास जारी रखा इस शाखा ने "पानी में उतरने" की क्रिया के प्रारम्भिक क्षण पर अपना ध्यान केंद्रित किया—वह पहला निर्णायक क़दम जो किसी यात्रा का सूत्रपात करता है प्राचीन ईरानी भाषाओं, जैसे सोग्डियन में, इसका रूप आगाज़ यहीं से यह शास्त्रीय फ़ारसी में आया और इसने ‘आग़ाज़’ का वह रूप लिया जिसे हम आज जानते हैं।

फ़ारसी में ‘आग़ाज़’ का कुनबा
फ़ारसी भाषा में पहुँचकर ‘आग़ाज़’ केवल एक संज्ञा नहीं रहा, बल्कि इसने शब्दों का एक पूरा परिवार बनाया। इससे क्रियाएँ बनीं, जैसे आग़ाज़ कर्दन (शुरुआत करना) इसने दूसरे शब्दों के साथ मिलकर नए यौगिक शब्द बनाए, जैसे आग़ाज़-ए-कार (काम की शुरुआत) और सर-आग़ाज़ (किसी लेख या भाषण की भूमिका, prelude) । इन प्रयोगों ने इसे फ़ारसी भाषा, साहित्य और संस्कृति का एक अभिन्न अंग बना दिया, जहाँ यह हर महत्वपूर्ण शुरुआत का सूचक बन गया।

एक पहेली: ‘आग़ाज़गाह’ में दो अलग जड़ें
आग़ाज़’ से जुड़ा एक और दिलचस्प शब्द है आग़ाज़गाह, जिसका अर्थ है "शुरुआत का स्थान" । कुछ लोग यह सोच सकते हैं कि इसमें ‘गाह’ शब्द की पुनरावृत्ति हो रही है, लेकिन ऐसा नहीं है। यह भाषा विज्ञान की एक आकर्षक पहेली है। वास्तव में, फ़ारसी में स्थान या समय बताने वाला प्रत्यय ‘-गाह’ (जैसे दरगाह, आरामगाह) एक पूरी तरह से अलग जड़ से आया है। इसकी जड़ एक भिन्न आदि-भारोपीय धातु *ग्वेम (gwem-) में है, जिसका अर्थ था "जाना" या "क़दम रखना" । इस प्रकार, ‘आग़ाज़गाह’ दो अलग-अलग जड़ों का एक सुंदर संगम है, जिसका अर्थ है "शुरुआत करने के लिए जाने का स्थान"।

विरासत का सफ़र
फ़ारसी संस्कृति और भाषा के गहरे प्रभाव के कारण, ‘आग़ाज़’ ने ईरान से निकलकर भारतीय उपमहाद्वीप की ओर अपना सफ़र किया। यहाँ यह उर्दू, हिन्दी और पंजाबी जैसी भाषाओं के शब्द भंडार में सम्मान के साथ शामिल हो गया । आज भी, जब हमें किसी सामान्य ‘शुरुआत’ से बढ़कर कुछ कहना होता है—जब हमें एक संकल्प, एक नई सुबह या एक ऐतिहासिक मोड़ का ज़िक्र करना होता है- तो हम ‘आग़ाज़’ शब्द का ही प्रयोग करते हैं। यह शब्द अपनी हज़ारों साल की यात्रा की कहानी अपने भीतर समेटे हुए है- एक कहानी जो पानी में रखे गए एक क़दम से शुरू होकर सृजन के संकल्प तक पहुँचती है।

आग़ाज़, अवगाहन और संकल्प
इस विमर्श से 'आग़ाज़' की एक नई और गहरी व्याख्या उभरती है। यह महज़ एक शुरुआत नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति के 'अवगाहन' के समानांतर खड़ा एक शक्तिशाली विचार है। 'अवगाहन' का अर्थ है जल में सम्पूर्ण काया का निमज्जन (डुबकी लेना), जो पूर्ण समर्पण का प्रतीक है। इसके विपरीत, 'आग़ाज़' उस यात्रा का पहला निर्णायक क़दम है- जल में उतारा गया पहला पग।

एक दार्शनिक दृष्टि
इस मुक़ाम पर 'इरादे' और 'संकल्प' का भेद स्पष्ट होता है। इरादा किनारे पर बैठकर किया जाता है लेकिन 'आग़ाज़' वह क्षण है जब आप धार में उतर जाते हैं, और उस क्षण आपका इरादा स्वतः ही एक दृढ़ 'संकल्प' में बदल जाता है। आग़ाज़ वह बिंदु है जहाँ से वापसी संभव नहीं। ‘आग़ाज़’ से जुड़ी भारतीय शब्दावलीजिस- में ‘गाह’, ‘गाहना’, ‘गहराई’ और स्वयं ‘अवगाहन’ जैसे शब्द शामिल हैं- पर हम 'शब्दों का सफ़र' की आगामी कड़ियों में विस्तार से चर्चा करेंगे।

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