शब्द कौतुक / मुहावरे का खुलासा
'कच्चा चिट्ठा खोलना' एक ऐसा ही सशक्त मुहावरा है, जिसका अर्थ है किसी व्यक्ति या मामले से जुड़े सभी गुप्त भेदों, अप्रिय सत्यों और अनकही बातों को बिना किसी लाग-लपेट के उजागर कर देना। यह किसी वृत्तान्त को उसके मौलिक, खुरदुरे तथ्यों को जस का तस प्रस्तुत कर देना है। दरअसल यही नग्न सत्य होता है। यह महज़ किसी रहस्य को खोलना नहीं, बल्कि उस रहस्य से जुड़े हर एक तथ्य, हर एक आँकड़े को पूरी प्रामाणिकता के साथ सामने रख देना है। 'कच्चा', 'चिट्ठा' और ‘चिटणीस’ शब्दों से मिलेंगे। उनकी प्राकृत-संस्कृत-फ़ारसी जड़ों को तलाशेंगे और समझने का प्रयत्न करेंगे कि साधारण से लगने वाले चिट, चिट्ठी, चिट्ठा जैसे आमजन में प्रचलित शब्द सत्ता, सूचना और प्रभाव के प्रतीक किस तरह बन गए।
'कच्चे' की मज़बूत जड़ें
'कच्चा' जैसे तद्भव शब्द की जड़ें संस्कृत – प्राकृत/अपभ्रंश के रास्ते हिन्दी तक पहुँची हैं। हिन्दी शब्द 'कच्चा' अपने अर्थ में कई भाव समेटे हुए है- जो पका न हो, अस्थायी, असत्यापित, अपरिपक्व या प्रारम्भिक। इसकी कोई सर्वस्वीकृत व्युत्पत्ति अभी तक नहीं है क्योंकि तथ्य अपर्याप्त है।एक प्रचलित विचार 'कच्चा' शब्द को संस्कृत के 'कषण' से जोड़ता है, जिसका अर्थ है घिसना, कसौटी पर कसना या परखना। इस व्याख्या के अनुसार, जो चीज़ अभी कसी या परखी नहीं गई, वह 'कच्ची' है। ‘कच्चा’ शब्द की परम्परागत व्युत्पत्ति संस्कृत कषण (घिसना, परखना) से जोड़ दी जाती है, पर ध्वन्यात्मक दृष्टि से यह अविश्वसनीय है।
प्राकृत
और अपभ्रंश परम्परा
कष् से कच् का रूपान्तरण अप्राकृतिक है, और इससे कसौटी तो निकल सकती है, कच्चा नहीं। अर्थात्, 'कच्चा' का जो भाव है—'न परखा हुआ'- उसकी व्याख्या करने के लिए 'कषण' शब्द का सहारा लिया जाता है, न कि उसे इसका मूल स्रोत माना जाता है। वास्तव में कच्चा का मूल स्रोत प्राकृत और अपभ्रंश परम्परा में ढूँढा जाना चाहिए। प्राकृत में कच्चि/कच्चु के रूप मिलते हैं जिनका अर्थ है ‘कुछ, थोड़ा, अपूर्ण’, और अपभ्रंश में यही कच्छु बनकर हिन्दी के कुछ शब्द का जनक हुआ।
यह भी सम्भव है कि इन प्राकृत रूपों के अर्थ-विकास में संस्कृत के क्वचित्, किञ्चित् और कतिपय जैसे शब्दों की सोहबत का असर हो। इन सभी में ‘अल्पता, आंशिकता और अपूर्णता’ का भाव निहित है। क्वचित् = कभी-कभी, किञ्चित् = थोड़ा-सा, और कतिपय = गिने-चुने। इस प्रकार की अर्थ-सोहबत ने कच्चि/कच्छु और आगे चलकर कच्चा शब्द में भी ‘अपूर्णता’ का वही मूल भाव पुष्ट किया होगा। ध्वन्यात्मक निकटता और अर्थगत समानता, दोनों ने मिलकर ‘कच्चा’ को आज के अर्थ तक पहुँचाया हो। इस दृष्टि से ‘कच्चा’ प्राकृत-अपभ्रंश की मिट्टी में पला शब्द है, जिसका आशय है ‘अधूरा, अधपका, असंसाधित’। कषण से किया गया सम्बन्ध केवल व्याख्यात्मक समानता है, वास्तविक व्युत्पत्ति नहीं। अतः सुरक्षित मत यही है कि कच्चा की जड़ें संस्कृत की अपेक्षा लोक-प्रसूत प्राकृत-अपभ्रंश परम्परा में कहीं अधिक गहरी हैं।
चित्र से 'चिह्न', ठप्पा और 'लेखा-बही' तक
'चिट्ठा' की कहानी और भी दिलचस्प है। इस का मूल संस्कृत के 'चित्र' शब्द से माना जाता है । 'चित्र' यानी कोई आकृति, रेखांकन, रूपांकन या दृश्याङ्कन आदि। जब यह शब्द प्राकृत और अपभ्रंश से गुज़रा, तो इसका रूप 'चित्ती,चित्ता' हो गया, जिसने दो दिशाओं में विकसित होना आरम्भ किया। एक ओर, यह 'लिपि-चिह्न' बना, यानी लिखने का प्रतीक। इस विचार से 'चिट' शब्द का जन्म हुआ, जिसका अर्थ है किसी भाव को व्यक्त करने वाला काग़ज़ का कोई पुरजा जैसे एक नोट । इसी 'चिट' से 'चिट्ठी' (पत्र) और 'चिट्ठा' (चिटों का लेखा-जोखा) जैसे शब्द विकसित हुए।लेकिन प्रशासनिक यह 'राजचिह्न' बन गया। यह कोई शब्द, चिह्न या ठप्पा भर नहीं बल्कि सर्वोच्च अधिकार का प्रतीक है। इसे आगे विस्तार से देखेंगे।
'चिट्ठे' को मिली सत्ता : आना 'चिटणीस का
सत्रहवीं शताब्दी में छत्रपति शिवाजी महाराज ने नए साम्राज्य की नींव रखते हुए दक्कनी सल्तनतों की खूबियों को अपने प्रशासन में ढाला। इसी क्रम में मंत्रिपरिषद का गठन किया, जिसमे एक अत्यन्त महत्वपूर्ण मन्त्रिपद था 'शुरूनवीस' । इनका ही मुख्य कार्यकारी जो राजकीय पत्राचार (शाही फ़रमान, पत्र, संधियाँ) को देखना, उनकी भाषा-शैली की जाँच करना और परगनों के हिसाब-किताब का निरीक्षण करना था, 'चिटणीस' कहलाया । चिटणीस का एक प्रमुख कार्य शासकीय प्रलेखों, आदेश-निर्देश आदि पर मुहर लगाना, उनकी प्रति सुरक्षित रखना भी था। 'चिटणीस' मराठी-फ़ारसी मेल से बना संकर शब्द है। चिट का अर्थ नोट, पर्ची या लिखित दस्तावेज़ है। नीस फ़ारसी के'-नवीस' का मराठीकृत रूप है। तो 'चिट-नवीस' या 'चिटणीस' का शाब्दिक अर्थ हुआ 'चिट्ठों का लेखक' या 'राजकीय दस्तावेज़ों का लिपिक'।
मुहावरे में सेंध
अब हम सभी सूत्रों को जोड़कर 'कच्चा चिट्ठा' मुहावरे
को आसानी से समझ सकते हैं। जैसा कि हमने देखा, कच्चा का अर्थ प्रारंभिक, असंशोधित, अपरिष्कृत है। मुहावरे का दूसरा पद चिट्ठा अक्सर गोपनीय
दस्तावेज़ था, जिसमें राज्य के सभी लेन-देन, समझौते और रहस्य दर्ज
होते थे। इन दोनों को मिलाकर 'कच्चा चिट्ठा' का अर्थ बनता है - किसी
आधिकारिक रिकॉर्ड का प्रारंभिक मसौदा, उसका असंशोधित संस्करण। इसलिए, 'कच्चा
चिट्ठा खोलना' का अर्थ हुआ उस आधिकारिक द्वारपाल अर्थात चिटणीस की जानकारी के बिना
किसी मौलिक, अनफ़िल्टर्ड डेटा को दुनिया के सामने प्रकट कर देना। यह एक ऐसी
कार्रवाई है जो व्यवस्था के भीतर की सच्चाई को उजागर करती है।
और चलते चलते....
पुराने दौर से आज तक मीडिया क्या करता आ रहा है? प्रशासन के बाबुओं
की मार्फ़त दफ़्तरों, अफ़सरों, फाइलों, योजनाओं, सचिवों, मन्त्रियों के कच्चे-चिट्ठे
हासिल करते हैं और फिर अपनी अपनी आवश्यकता, लाग-डाट, यारी-दोस्ती के हिसाब से
सत्ता को साधने या बिगाड़ने के खेल चल रहे होते हैं। न्यूज़रूम में हर दिन अख़बार
को आकार देने के लिए जो प्रमुख बैठक होती है उसमें यही एक शब्द आम है- आज क्या खेल
करना है। चिटणीस और चिट्ठे की चर्चा से यह पता चलता है कि किसी शक्ति को चुनौती
देने का सबसे कारगर तरीक़ा उसकी सूचनाओं को उसके मूल और 'कच्चे' रूप में
उजागर कर देना है।