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अजित वडनेरकर
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2:25 AM
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...प्रख्यात मार्क्सवादी आलोचक, विचारक, भाषाविद् और मेरे प्रिय लेखक रामविलास शर्मा की प्रसिद्ध पुस्तक भाषा और समाज के दूसरे संस्करण की भूमिका का यह अंश पेश है। मार्क्सी होने की आड़ में बारहा उनकी आलोचना करनेवालों की आंखें इसे पढ़ कर खुल जानी चाहिए कि भाषाविज्ञान को लेकर डॉक्ट्साब का दृष्टिकोण क्या था और कितनी व्यापक दृष्टि उनकी थी। ...
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भाषा
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अजित वडनेरकर
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अजित वडनेरकर
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बोधिभाई को कुछ दुर्लभ दिखाने की फिक्र अभी से खाई जा रही है। करता हूं कुछ जुगाड़। न हो सका तो उनकी संभावित भोपाल यात्रा में अड़ंगा लगाने कोशिश की जाएगी। |
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अजित वडनेरकर
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अजित वडनेरकर
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अजित वडनेरकर
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किसी योजना की शुरुआत प्रस्ताव रखने से होती है अर्थात कार्ययोजना का परिचय, उसकी तारीफ ही प्रस्ताव है। यूं आप्टे कोश के मुताबिक प्रस्ताव का अर्थ है प्रवचन का प्रयोजन। |
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पिछली कड़ियां- 1.काना राजा और काक दृष्टि 2.जरूर कोई ‘कांड’ हुआ है…
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कांड का अर्थ लकड़ी, लाठी या बेंत भी होता है। कांड में निहित अनुच्छेद या अनुभाग का भाव बांस के तने की बनावट पर ध्यान देने से स्पष्ट होता है।
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अजित वडनेरकर
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अजित वडनेरकर
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3:09 AM
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शरीर,
सम्बोधन
16.चंद्रभूषण-
[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8 .9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 17. 18. 19. 20. 21. 22. 23. 24. 25. 26.]
15.दिनेशराय द्विवेदी-[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22.]
13.रंजना भाटिया-
12.अभिषेक ओझा-
[1. 2. 3.4.5 .6 .7 .8 .9 . 10]
11.प्रभाकर पाण्डेय-
10.हर्षवर्धन-
9.अरुण अरोरा-
8.बेजी-
7. अफ़लातून-
6.शिवकुमार मिश्र -
5.मीनाक्षी-
4.काकेश-
3.लावण्या शाह-
1.अनिताकुमार-
मुहावरा अरबी के हौर शब्द से जन्मा है जिसके मायने हैं परस्पर वार्तालाप, संवाद।
लंबी ज़ुबान -इस बार जानते हैं ज़ुबान को जो देखते हैं कितनी लंबी है और कहां-कहा समायी है। ज़बान यूं तो मुँह में ही समायी रहती है मगर जब चलने लगती है तो मुहावरा बन जाती है । ज़बान चलाना के मायने हुए उद्दंडता के साथ बोलना। ज्यादा चलने से ज़बान पर लगाम हट जाती है और बदतमीज़ी समझी जाती है। इसी तरह जब ज़बान लंबी हो जाती है तो भी मुश्किल । ज़बान लंबी होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है ज़बान दराज़ करदन यानी लंबी जीभ होना अर्थात उद्दंडतापूर्वक बोलना।
दांत खट्टे करना- किसी को मात देने, पराजित करने के अर्थ में अक्सर इस मुहावरे का प्रयोग होता है। दांत किरकिरे होना में भी यही भाव शामिल है। दांत टूटना या दांत तोड़ना भी निरस्त्र हो जाने के अर्थ में प्रयोग होता है। दांत खट्टे होना या दांत खट्टे होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है -दंदां तुर्श करदन
अक्ल गुम होना- हिन्दी में बुद्धि भ्रष्ट होना, या दिमाग काम न करना आदि अर्थों में अक्ल गुम होना मुहावरा खूब चलता है। अक्ल का घास चरने जाना भी दिमाग सही ठिकाने न होने की वजह से होता है। इसे ही अक्ल का ठिकाने न होना भी कहा जाता है। और जब कोई चीज़ ठिकाने न हो तो ठिकाने लगा दी जाती है। जाहिर है ठिकाने लगाने की प्रक्रिया यादगार रहती है। बहरहाल अक्ल गुम होना फारसी मूल का मुहावरा है और अक्ल गुमशुदन के तौर पर इस्तेमाल होता है।
दांतों तले उंगली दबाना - इस मुहावरे का मतलब होता है आश्चर्यचकित होना। डॉ भोलानाथ तिवारी के मुताबिक इस मुहावरे की आमद हिन्दी में फारसी से हुई है फारसी में इसका रूप है- अंगुश्त ब दन्दां ।