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प्रस्तुतकर्ता
अजित वडनेरकर
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2:14 AM
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food drink,
तकनीक,
संस्कृति
... इस बार पुस्तक चर्चा कर रहे हैं सोलह वर्षीय अबीर जो भोपाल के केन्द्रीय विद्यालय में 12वीं कक्षा के छात्र हैं। इतिहास, भूगोल में बहुत दिलचस्पी रखते हैं। मानचित्र-पर्यटन के शौकीन हैं। पिछले साल भी उन्होंने शब्दों का सफर के लिए पुस्तक समीक्षा की थी। इस बार भी जब वे हमारे संग्रह से
शरद दत्त की पुस्तक-कुंदनलाल सहगल पढ़ रहे थे, हमने सफर के लिए उनसे समीक्षा की मांग रख दी थी।
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अजित वडनेरकर
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2:15 AM
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पुस्तक चर्चा
आज के दौर में निरुपाय लोग शत्रु के साथ सरेआम जूतमपैजार पर उतर आते हैं। अब कौटिल्य की कूटनीति तो राजा-रईसों के लिए थी, गरीब मजलूमों का उपायचतुष्टय तो हर रोज बदलता है। |
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अजित वडनेरकर
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3:18 AM
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god and saints,
उत्सव,
संस्कृति
सुप्रसिद्ध प्रगतिशील आलोचक-विचारक डॉ रामविलास शर्मा भारत की भाषा समस्या पर आधी सदी तक लगातार लिखते रहे। उनके मुताबिक देश की जातीय समस्या का ही एक हिस्सा है भाषा समस्या। यहां पेश है दो भागों में उनका एक महत्वपूर्ण आलेख जो उन्होंने 1948 में लिखा था।
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अजित वडनेरकर
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4:10 PM
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भाषा
सुप्रसिद्ध प्रगतिशील आलोचक-विचारक डॉ रामविलास शर्मा भारत की भाषा समस्या पर आधी सदी तक लगातार लिखते रहे। उनके मुताबिक देश की जातीय समस्या का ही एक हिस्सा है भाषा समस्या। यहां पेश है तीन भागों में उनका एक महत्वपूर्ण आलेख जो उन्होंने 1948 में लिखा था।
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अजित वडनेरकर
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1:08 AM
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भाषा
पिछली कड़ी-अजगर करे न चाकरी…
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अजित वडनेरकर
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2:23 AM
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animals birds,
पद उपाधि,
सम्बोधन
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अजित वडनेरकर
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1:37 AM
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भाषा,
संस्कृति
... इस्लामी मान्यता के मुताबिक शहीद कभी मरता नहीं है इसलिए शहादा में जो साक्षी या गवाही का भाव है वही शहादत में भी है। देश, धर्म या विचार के लिए संघर्ष करनेवाला व्यक्ति अपने उद्धेश्य की सच्चाई का गवाह होता है। ...
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प्रस्तुतकर्ता
अजित वडनेरकर
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1:54 AM
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इस्लाम islam,
पद उपाधि,
सम्बोधन
पिछली कड़ी-नकदी, नकबजन और नक्कारा
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... ताजा कड़ियां- कुरमीटोला और चमारटोली [आश्रय-28] थमते रहे ग्राम, बसते रहे नगर [आश्रय-27]कसूर किसका, कसूरवार कौन? [आश्रय-26].सब ठाठ धरा रह जाएगा…[आश्रय-25] पिट्सबर्ग से रामू का पुरवा तक…[आश्रय-24] शहर का सपना और शहर में खेत रहना [आश्रय-23] क़स्बे का कसाई और क़स्साब [आश्रय-22] मोहल्ले में हल्ला [आश्रय-21] कारवां में वैन और सराय की तलाश[आश्रय-20] सराए-फ़ानी का मुकाम [आश्रय-19] जड़ता है मन्दिर में [आश्रय-18] मंडी, महिमामंडन और महामंडलेश्वर [आश्रय-17] गंज-नामा और गंजहे [आश्रय-16]...
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16.चंद्रभूषण-
[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8 .9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 17. 18. 19. 20. 21. 22. 23. 24. 25. 26.]
15.दिनेशराय द्विवेदी-[1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 12. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19. 20. 21. 22.]
13.रंजना भाटिया-
12.अभिषेक ओझा-
[1. 2. 3.4.5 .6 .7 .8 .9 . 10]
11.प्रभाकर पाण्डेय-
10.हर्षवर्धन-
9.अरुण अरोरा-
8.बेजी-
7. अफ़लातून-
6.शिवकुमार मिश्र -
5.मीनाक्षी-
4.काकेश-
3.लावण्या शाह-
1.अनिताकुमार-
मुहावरा अरबी के हौर शब्द से जन्मा है जिसके मायने हैं परस्पर वार्तालाप, संवाद।
लंबी ज़ुबान -इस बार जानते हैं ज़ुबान को जो देखते हैं कितनी लंबी है और कहां-कहा समायी है। ज़बान यूं तो मुँह में ही समायी रहती है मगर जब चलने लगती है तो मुहावरा बन जाती है । ज़बान चलाना के मायने हुए उद्दंडता के साथ बोलना। ज्यादा चलने से ज़बान पर लगाम हट जाती है और बदतमीज़ी समझी जाती है। इसी तरह जब ज़बान लंबी हो जाती है तो भी मुश्किल । ज़बान लंबी होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है ज़बान दराज़ करदन यानी लंबी जीभ होना अर्थात उद्दंडतापूर्वक बोलना।
दांत खट्टे करना- किसी को मात देने, पराजित करने के अर्थ में अक्सर इस मुहावरे का प्रयोग होता है। दांत किरकिरे होना में भी यही भाव शामिल है। दांत टूटना या दांत तोड़ना भी निरस्त्र हो जाने के अर्थ में प्रयोग होता है। दांत खट्टे होना या दांत खट्टे होना मुहावरे की मूल फारसी कहन है -दंदां तुर्श करदन
अक्ल गुम होना- हिन्दी में बुद्धि भ्रष्ट होना, या दिमाग काम न करना आदि अर्थों में अक्ल गुम होना मुहावरा खूब चलता है। अक्ल का घास चरने जाना भी दिमाग सही ठिकाने न होने की वजह से होता है। इसे ही अक्ल का ठिकाने न होना भी कहा जाता है। और जब कोई चीज़ ठिकाने न हो तो ठिकाने लगा दी जाती है। जाहिर है ठिकाने लगाने की प्रक्रिया यादगार रहती है। बहरहाल अक्ल गुम होना फारसी मूल का मुहावरा है और अक्ल गुमशुदन के तौर पर इस्तेमाल होता है।
दांतों तले उंगली दबाना - इस मुहावरे का मतलब होता है आश्चर्यचकित होना। डॉ भोलानाथ तिवारी के मुताबिक इस मुहावरे की आमद हिन्दी में फारसी से हुई है फारसी में इसका रूप है- अंगुश्त ब दन्दां ।