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Monday, May 31, 2010
आलूबड़ा और बड़ का पेड़…
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 7 कमेंट्स पर 2:14 AM लेबल: food drink, तकनीक, संस्कृति
Sunday, May 30, 2010
कुंदन जैसी आवाज वाले सहगल
... इस बार पुस्तक चर्चा कर रहे हैं सोलह वर्षीय अबीर जो भोपाल के केन्द्रीय विद्यालय में 12वीं कक्षा के छात्र हैं। इतिहास, भूगोल में बहुत दिलचस्पी रखते हैं। मानचित्र-पर्यटन के शौकीन हैं। पिछले साल भी उन्होंने शब्दों का सफर के लिए पुस्तक समीक्षा की थी। इस बार भी जब वे हमारे संग्रह से शरद दत्त की पुस्तक-कुंदनलाल सहगल पढ़ रहे थे, हमने सफर के लिए उनसे समीक्षा की मांग रख दी थी।
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 11 कमेंट्स पर 2:15 AM लेबल: पुस्तक चर्चा
Saturday, May 29, 2010
उपाय, तरीका, युक्ति
आज के दौर में निरुपाय लोग शत्रु के साथ सरेआम जूतमपैजार पर उतर आते हैं। अब कौटिल्य की कूटनीति तो राजा-रईसों के लिए थी, गरीब मजलूमों का उपायचतुष्टय तो हर रोज बदलता है। |
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Friday, May 28, 2010
ज़र्रा ए नाचीज़ का ‘कुछ तो भी’ बयान...
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Wednesday, May 26, 2010
इनकी रामायण, उनका पारायण!!!
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 21 कमेंट्स पर 3:18 AM लेबल: god and saints, उत्सव, संस्कृति
Tuesday, May 25, 2010
हिन्दी का संस्कृतीकरण-2
सुप्रसिद्ध प्रगतिशील आलोचक-विचारक डॉ रामविलास शर्मा भारत की भाषा समस्या पर आधी सदी तक लगातार लिखते रहे। उनके मुताबिक देश की जातीय समस्या का ही एक हिस्सा है भाषा समस्या। यहां पेश है दो भागों में उनका एक महत्वपूर्ण आलेख जो उन्होंने 1948 में लिखा था।
अभी और बाकी है। दिलचस्प विवरण पढ़ें आगे...प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 15 कमेंट्स पर 4:10 PM लेबल: भाषा
हिन्दी का संस्कृतीकरण-1
सुप्रसिद्ध प्रगतिशील आलोचक-विचारक डॉ रामविलास शर्मा भारत की भाषा समस्या पर आधी सदी तक लगातार लिखते रहे। उनके मुताबिक देश की जातीय समस्या का ही एक हिस्सा है भाषा समस्या। यहां पेश है तीन भागों में उनका एक महत्वपूर्ण आलेख जो उन्होंने 1948 में लिखा था।
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 17 कमेंट्स पर 1:08 AM लेबल: भाषा
Monday, May 24, 2010
गरारे, खर्राटे, गार्गल और गर्ग
पिछली कड़ी-अजगर करे न चाकरी…
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Sunday, May 23, 2010
अजगर करे न चाकरी…
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 10 कमेंट्स पर 2:23 AM लेबल: animals birds, पद उपाधि, सम्बोधन
Friday, May 21, 2010
अंतर्धान हुआ अंतर्यामी…
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Thursday, May 20, 2010
अंदरखाने की बात और भितरघात
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Friday, May 14, 2010
शुद्धतावादियों, आंखे खोलो…
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प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 28 कमेंट्स पर 1:37 AM लेबल: भाषा, संस्कृति
Thursday, May 13, 2010
“शहीद” का शहादतनामा
... इस्लामी मान्यता के मुताबिक शहीद कभी मरता नहीं है इसलिए शहादा में जो साक्षी या गवाही का भाव है वही शहादत में भी है। देश, धर्म या विचार के लिए संघर्ष करनेवाला व्यक्ति अपने उद्धेश्य की सच्चाई का गवाह होता है। ...
कानूनी भाषा में शहादत का वही अर्थ है जो मूल अरबी में है अर्थात बलिदान नहीं बल्कि साक्ष्य। शहादत देना यानी गवाही पेश करना। साक्ष्य प्रस्तुत करना आदि जबकि बोलचाल की हिन्दी में शहादत का प्रयोग बलिदान के अर्थ में होता है। साक्ष्य या प्रमाणीकरण के लिए अरबी-फारसी मूल का ही गवाही शब्द सर्वाधिक प्रचलित है। ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें |
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर 13 कमेंट्स पर 1:54 AM लेबल: इस्लाम islam, पद उपाधि, सम्बोधन
Wednesday, May 12, 2010
नकल-नवीस के नैन-नक्श
पिछली कड़ी-नकदी, नकबजन और नक्कारा
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Tuesday, May 11, 2010
नकदी, नकबजन और नक्कारा
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