चुभाने-जोड़ने की चीज़ें
▪हिंदी में गाँव से शहर तक और बच्चों से बूढ़ों तक समान भाव से बोला जाने वाला शब्द है 'आलपिन' जो यूरोप के सुदूर दक्षिणी पश्चिमी छोर पर जन्मा और अलग-अलग भाषाओं और संस्कृतियों से होता हुआ हिंदी में पहुँचा। बीती छह सदियों से ड्राइंग पिन के तौर पर बरता-समझा जाता है। सामान्यतः विशेषज्ञों का मानना है कि यह शब्द पुर्तगालियों के साथ पन्द्रहवी सदी के बाद के सालों में कभी कोंकणी ज़बान में आया होगा। हालाँकि इसकी जड़ें और भी गहरी है जो भूमध्य सागर में इबेरियन प्रायद्वीप (अंडलूसिया) होते हुए बरास्ता अरब, स्पेन होते हुए पुर्तगाल पहुँचती हैं। इस बार आलपिन के निशानात को देखते-परखते हुए उसके सफ़र को समझने की कोशिश की है।
अरब से अंडलूसिया तक▪आलपिन की इस लम्बी यात्रा को समझने के लिए सात समन्दर पार तक पसरी जड़ों को सुलझाना समेटना महत्वपूर्ण है। ऐसा प्रतीत होता है कि आलपिन की पैदाइश में अरबी की दो त्रिवर्णी क्रियाएँ ख़िलाल और जिलाल की संयुक्त भूमिका है। अरब से अंडलूसिया तक आते आते इनमें अर्थ सम्बन्ध बदलाव भी सम्भव हैं। मुख्यतः इनका आशय किसी चीज़ में छेद करने, डालने या बीच से गुजरने का विचार है। ख़िलाल का सीधा संबंध 'पिन' या 'खूँटी' से है। दूसरी ओर, जिलाल का अर्थ ("वह जो बीच में घुसता है") भी पिन के कार्य से स्पष्ट रूप से मेल खाता है।
अलख़िलाल-अलजिलाल नामक पुरखे
'▪आलपिन' शब्द की यात्रा अरबी भाषा से शुरू होती है। ऐसा माना जाता है कि इसके मूल में दो अरबी शब्द हैं: 'ख़िलाल' या 'जिलाल'। 'ख़िलाल' का मतलब होता है 'पिन' या 'खूँटी', जबकि 'जिलाल' का अर्थ है 'वह जो बीच में घुसता है'। ये दोनों अर्थ आलपिन के काम से मिलते जुलते हैं। अरबी में एक शब्द है 'अल' जिसका मतलब होता है 'द'। यह शब्द अरबी से दूसरी भाषाओं में गया और वहीं जम गया। इसलिए, 'अल' शब्द स्पेनिश के 'अल्फिलेर' और पुर्तगाली के 'अल्फिनेट' में भी है। प्रस्तावित व्युत्पत्ति शृङ्खला इस प्रकार है: अरबी (अलख़िलाल / अलजिलाल) > स्पेनिश (अलफिलेर) > पुर्तगाली (अलफिनेट) > हिंदी (आलपिन) ।
‘अल-’ बोले तो क्या?
▪ख़िलाल और जिलाल के आरंभ में लगा 'अल-' शब्द अरबी भाषा का निश्चित सर्ग यानी डेफिनिट आर्टिकल जैसे 'the' है। स्पेनिश और पुर्तगाली जैसी भाषाओं में अनेक आगत अरबी संज्ञा शब्दों के साथ ‘अल’ स्थायी रूप से जुड़ गया जैसे अल अंडलूस, स्पेनिश अल्गोडोन (कपास) जो अरबी अल-क़ुतुन से आया और अंग्रेजी में कॉटन बना), अज़ुकार (चीनी, अरबी अस-सुक्कर) आदि। यही कारण है कि स्पेनिश अलफिलेर और पुर्तगाली अलफिनेट दोनों में आरंभिक 'al-' मौजूद है।
स्पेन और पुर्तगाल में बदलाव
▪इबेरियन प्रायद्वीप दक्षिण-पश्चिमी यूरोप में स्थित एक प्रायद्वीप है जिसमें आधुनिक स्पेन और पुर्तगाल के अधिकांश भाग शामिल हैं। इसका नाम प्राचीन निवासियों, आइबेरियन के नाम पर रखा गया। इबेरियन प्रायद्वीप में इस्लाम का एक लंबा और महत्वपूर्ण इतिहास रहा है। 8वीं शताब्दी की शुरुआत में, मुस्लिम सेनाओं ने स्पेन पर आक्रमण कर दिया। प्रायद्वीप के इस हिस्से को "अल-अंडालस" नाम दिया। कॉर्डोबा (कुर्तुबा), इसकी राजधानी थी। यह यूरोप के सबसे बड़े और सबसे समृद्ध शहरों में से एक थी। यहाँ मस्जिदें, महल, पुस्तकालय और विश्वविद्यालय थे।
योरप की धरती, अरबी असर
यहाँ के मुस्लिम विद्वानों ने यूरोपीयों की ज्ञान परम्परा से बहुत कुछ सीखा और गणित, खगोल विज्ञान, चिकित्सा, दर्शन और कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। पन्द्रहवीं सदी के अन्त में ईसाइयों ने लम्बे संघर्ष के बाद स्पेन को इस्लामी प्रभाव से मुक्त करा लिया। इसके बावजूद, इस्लामी संस्कृति और प्रभाव ने स्पेन और पुर्तगाल पर एक स्थायी छाप छोड़ी है, जो वास्तुकला, भाषा, कला और कृषि में आज भी स्पष्ट है। ऐसे ही प्रभाव की निशानियाँ वे अनेक अरबी शब्द हैं जो स्थानीय स्पैनिश, पुर्तगाली में आज भी विद्यमान हैं। स्पैन, पुर्तगाल के समुद्री अभियानों के ज़रिए ये शब्द सात समन्दर पार तक भी पहुँचे। ऐसा ही शब्द है आलपिन जो अरबी "अल-ख़िलाल" (अरबी में पिन या छोटी सुई) के ज़रिए स्पेनिश और पुर्तगाली में अलग-अलग ढंग से ढल गया।
बदलाव के मंच- स्पैनिश, पुर्तगाली और हिन्दी
पहला परिवर्तन स्पैनिश में हुआ। अरबी भाषा में मूल (ख़) ध्वनि थी (अल ख़िलेल), लेकिन स्पेनिश में इसका उच्चारण अलफिलेर हो गया। आज इसका मतलब है सिलाई पिन, लेकिन यह ब्रोच या टाई पिन के लिए भी इस्तेमाल होता है। दूसरा बदलाव पुर्तगाली में हुआ जहाँ यह स्पेन के रास्ते पहुँचा। ठीक वैसे जैसे अधिकांश अरबी भारत में फ़ारसी के रास्ते पहुँचे। पुर्तगाली में स्पेनिश का अलफिलेर, अलफिनेट हो गया। ग़ौरतलब है, स्पैनिश के अलफिलेर का ‘ल’, पुर्तगाली में ‘न’ में बदल कर अलफिनेट हो गया और अन्त में एट प्रत्यय लग गया। ‘ल’ के ‘न’ में परिवर्तित होने की मिसाल वैसी ही है जैसे संस्कृत ‘लवण’ का ‘लूण’ होते हुए ‘नून’ में बदल जाता है।
हिंदी में 'आलपिन'
▪पुर्तगालियों ने भारत में व्यापार करना शुरू किया, तो यह शब्द वहाँ भी पहुँचा। पुर्तगाली शब्द 'अल्फिनेट' से हिंदी में 'आलपिन' बना। हिंदी में आते-आते इस शब्द में कुछ बदलाव हुए। पुर्तगाली शब्द का आखिरी स्वर गायब हो गया और 'फ' की ध्वनि 'प' में बदल गई। इस तरह आलपिन जैसा शब्द हिन्दी की लोकप्रिय शब्दावली का हिस्सा बन गया। 'आलपिन' शब्द सिर्फ हिंदी में ही नहीं, बल्कि उर्दू, कोंकणी, गुजराती, लादीनो, जावानीस और मलय/इंडोनेशियाई जैसी कई और भाषाओं में भी इस्तेमाल होता है। इससे पता चलता है कि यह शब्द पूरी दुनिया में फैला है।
‘पिन’ के जन्म चिह्न अलग अलग
▪सवाल उठना स्वाभाविक है कि आलपिन का पिन क्या अंग्रेजी वाला पिन है या उससे हटकर भाषायी प्रक्रिया से प्राप्त अलग शब्द है ? जवाब है दोनो ‘पिन’ अलग अलग हैं। अंग्रेजी शब्द "pin" का मूल जर्मेनिक भाषाओं में है। यह पुरानी अंग्रेजी के शब्द "pinn" या "pen" से आया है, जिसका अर्थ होता था "कील", "बोल्ट" या कोई नुकीली चीज़। इसका संबंध प्रोटो-जर्मेनिक भाषा के शब्द pennaz से बताया जाता है। आलपिन और अंग्रेजी "pin" के बीच जो समानता दिखती है वह संयोग है, न कि एक ही मूल से सीधा विकास।
और चलते चलते…
▪यह भी जान लेते हैं कि स्पैनिश और पुर्तगाली में आलपिन के पूर्वज अलफिलेर और अलफिनेट शब्द दरअसल मूल अरब भूमि से नहीं आए। वे तो सातसौ बरसों से स्पेन व पुर्तगाल पर कब्ज़े के दौरान इन भाषाओं में बसे हुए थे। दूसरी दिलचस्प बात यह कि आज अरबों की मुख्य भूमि यानी सऊदी अरब, यूएई, यमन, इराक आदि में पिन के लिए अल-ख़िलाल लापता है। इसके स्थान पर पिन, कील आदि के अर्थ में दब्बूस, मिसमार, मिलक़त या वत्द जैसे शब्द बरते जाते हैं।
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शब्द_कौतुक शब्दसन्धान शब्दोंकास़फ़र पिन आलपिन इबेरिया अलअण्डलूस अण्डलूसिया अभी और बाकी है। दिलचस्प विवरण पढ़ें आगे...