सफर के पिछले एक पड़ाव में कारूं के खजाने की खोज हो चुकी है। इस बार टकसाल के बारे में बात करने से पहले देखिये आज के तुर्की स्थित सार्डिस में कारूं की उस जगप्रसिद्ध टकसाल का नज़ारा जहां आज से क़रीब ढाई हजार साल पहले सोने चांदी के सिक्के ढाल कर वह दुनिया का सबसे अमीर आदमी बन गया था।
टका सा जवाब, टांग खींचना या टांग अड़ाना जैसे मुहावरे आमतौर पर बोलचाल की हिन्दी में प्रचलित हैं। इन मुहावरों में टका और टांग जैसे शब्द संस्कृत के मूल शब्द टङ्कः (टंक:) से बने हैं। संस्कृत में टङ्कः का अर्थ है बांधना, छीलना , जोड़ना, कुरेदना या तराशना। हिन्दी के टंकण या टांकना जैसे शब्द भी इससे ही निकले है। दरअसल टका या टंका शब्द का मतलब है चार माशे का एक तौल या इसी वजन का चांदी का सिक्का। अंग्रेजों के जमाने में भारत में दो पैसे के सिक्के को टका कहते थे। आधा छंटाक की तौल भी टका ही कहलाती थी। पुराने जमाने में मुद्रा को ढालने की तरकीब ईजाद नहीं हुई थी तब धातु के टुकड़ों पर सरकारी चिह्न की खुदाई यानी टंकण किया जाता था।
गौरतलब है कि दुनियाभर में ढलाई के जरिये सिक्के बनाने की ईजाद लीडिया के मशहूर शासक ( ईपू करीब छह सदी) क्रोशस उर्फ कारूँ ( खजानेवाला ) ने की थी। टका या टंका किसी जमाने में भारत में प्रचलित था मगर अब मुद्रा के रूप में इसका प्रयोग नहीं होता। कहावतों-मुहावरों में यह जरूर इस्तेमाल किया जाता है। किसी बात के जवाब में दो टूक यानी सिर्फ दो लफ्जों मे साफ इन्कार करने के लिए यह कहावत चल पडी - टका सा जवाब। टके की दो पैसों की कीमत को लेकर और भी कई कहावतों ने जन्म लिया। मसलन -(१)टका सा मुंह लेकर रह जाना (२)टके को न पूछना (३)टके-टके को मोहताज होना(४) टके-टके के लिए तरसना (५)टका पास न होना, वगैरह-वगैरह। भारत में चाहे टके को अब कोई टके सेर भी नहीं पूछता मगर बांग्लादेश की सरकारी मुद्रा के रूप में टका आज भी डटा हुआ है। बांग्लादेश के अलावा भी कई देशों में यह लफ्ज तमगा,तंका, तेंगे या तंगा के नाम से चल रहा है जैसे ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और मंगोलिया।इन सभी देशों में यह मुद्रा के रूप में ही है। हालांकि वहां इस शब्द की उत्पत्ति चीनी शब्द तेंगसे से मानी जाती है जिसका अर्थ होता है मुद्रित सिक्का और एक तरह की माप या संतुलन। अर्थ की समानता से जाहिर है कि तेंगसे शब्द भी टङ्कः का ही रूप है। टंका से ही चला टकसाल शब्द अर्थात टंकणशाला यानी जहां सिक्कों की ढला होती है।
अब आते हैं टङ्कः के दूसरे अर्थों पर । इसका एक मतलब होता है लात या पैर। संस्कृत में इसके लिए टङ्गा शब्द भी हैं। हिन्दी का टांग शब्द इसी से बना है। गौर करें टङ्कः के जोड़ वाले अर्थ पर । चूंकि टांग में घुटना और ऐडी जैसे जोड़ होते हैं इसलिए इसे कहा गया टांग।
इसी अर्थ से जुड़ता है इससे बना शब्द टखना । जाहिर जोड़ या संधि की वजह से ही इसे ये अर्थ मिला होगा। इसी तरह देखें तो पता चलता है कि वस्त्र फट जाने पर , गहना टूट जाने पर , बर्तन में छेद हो जाने पर उसे टांका लगाकर फिर कामचलाऊ बनाने का प्रचलन रहा है। यह जो टांका है वह भी इस टङ्कः से आ रहा है अर्थात इसमें जोड़ का भाव निहित है।
टङ्कः का एक और अर्थ है बांधना। गौर करें कि धनुष की कमान से जो डोरी बंधी होती है उसे खींचने पर एक खास ध्वनि होती है जिसे टंकार कहते हैं। यह टंकार बना है संस्कृत के टङ्कारिन् से जिसका मूल भी टङ्कः है यानी बांधने के अर्थ में। तुर्की भाषा का एक शब्द है तमग़ा जो हिन्दी-उर्दू-फारसी में खूब प्रचलित है यानी ईनाम में दिया जाने वाला पदक या शील्ड। प्राचीन समय में चूंकि यह राजा या सुल्तान की तरफ से दिया जाता था इस लिए इस पर शाही मुहर अंकित की जाती थी। इस तरह तमगा का अर्थ हुआ शाही मुहर या राजचिह्न।
अब इस शब्द के असली अर्थ पर विचार करें तो साफ होता है कि यह शब्द भी टंकण से जुड़ा हुआ है।
Friday, February 29, 2008
पहले टंगड़ी अड़ी, फिर टाँका लगा...[ पुनर्प्रस्तुति-संशोधित ]
प्रस्तुतकर्ता अजित वडनेरकर पर 2:40 AM लेबल: business money
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7 कमेंट्स:
मूल पोस्ट पर जो टिप्पणियां थीं वो यहां दे रहा हूं।
विष्णु बैरागी said...
अरे ! वाह, आपने तो 'टके' में कुबेर का खजाना उपलब्ध करा दिया ।
August 1, 2007 3:18 AM
उन्मुक्त said...
अरे यह तो मालुम नहीं था।
August 1, 2007 7:07 AM
ALOK PURANIK said...
गहरे पानी पैठ कर लाते हैं आप। इस तरह के शोधपरक कार्य के लिए आपको साधुवाद। शुभकामनाएं।
August 1, 2007 8:17 AM
इस बदट स्रत्र मे ढाका का टका और ऊपर का खजाना ज्यादे महत्व रखता है, बाकी जानकारी के
लिए शुक्रिया सर....
TAKAA AAJ BHEE DATAA HUA HAI...
KITNA ROCHAK PRAYOG HAI!
AAP DATKAR LIKHTE RAHIYE AUR
GYAN-BODH KE VISTRIT NABH PAR NAVEEN JANKARIYON KE
NAYE SITAARE taankte RAHITE,
YAHEE SHIBHKAMNA HAI.
MERE SANDESH MEIN...KRIPAYAA SUDHAR KAR LEIN... SHIBHKAMNA KE ISTHAAN PAR
SHUBHKAMNA...ANTARMAN SE
आपकी शैली बहुत ही लाजवाब है। बहुत-बहुत बधाई।
पर हम तो कहेंगे लाख टके का है आपका ब्लॉग।
सही में आपकी रोचक शैली है जो रूखे सूखे शब्दों का भी सफर रोचक जानकारी के साथ चल रहा है...
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