मोटे अनुमान के मुताबिक ज़ाफ़रान के करीब दो लाख फूलों से सिर्फ आधा किलो केसर प्राप्त होता है। ज़ाफ़रान दरअसल फूलो के सुनहरे – पीले तंतु होते हैं जिनके निराले रंग, अनोखी महक और अनमोल औषधीय गुणों की वजह से इस वनस्पति को बेशकीमती सोने का रुतबा मिला हुआ है।
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वो ज़ाफरानी पुलोवर , उसी का हिस्सा है
कोई जो दूसरा पहन ले तो दूसरा ही लगे
बशीर बद्र के इस शेर में जितनी भी रूमानियत है वो पूरी की पूरी ज़ाफरानी रंग की वजह से पुलोवर के खाते में जा रही है। ज़ाफरानी यानी केसरिया रंग , जिसमें लाल आभायुक्त पीला रंग शामिल है। इसमें पीत, गैरिक या स्वर्णिम वाले भाव भी हैं। इसे ही भगवा रंग भी कहते हैं। यह लफ्ज़ बना है ज़ाफरान से।
ज़ाफरान यानी केसर। आयुर्वेद और युनानी दवाओं में ज़ाफ़रान का बड़ा महत्व है। प्राचीनकाल से ही पश्चिमी देशों में मशहूर भारतीय मसालों में एक मसाला केसर भी है। यह स्थापित तथ्य है कि दुनिया भर के मसालों में यह सबसे महंगा है और एक से डेढ़ लाख रूपए किलो बिकता है। विश्व में मुख्य रूप से कश्मीर घाटी और ईरान में इसकी खेती होती है। इसके अलावा स्पेन में भी इसे उगाया जाता है। मगर गुणवत्ता में अव्वल नंबर पर हिन्दुस्तानी ज़ाफ़रान ही माना जाता है।
केसर को अंग्रजी में सैफ्रॉन कहते हैं जो ज़ाफरान से ही बना है। हिन्दी में भी ज़ाफरान शब्द खूब इस्तेमाल होता है। आमतौर पर ज़ाफरान को उर्दू – फारसी का शब्द समझा जाता है मगर यह है अरबी ज़बान का। अरबी में इसका शुद्ध रूप है अज़-ज़ाफरान। यह बना है सेमेटिक भाषा परिवार की धातु ज़पर से जिसका मतलब होता है पीतवर्ण या पीले रंग का। गौरतलब है फारसी में पीले रंग के लिए ज़ुफ्रा शब्द है। अरबी ज़ाफरान ही लैटिन में सैफ्रेनम बनकर पहुंचा और फिर अलग अलग यूरोपीय भाषाओं में छा गया मसलन ग्रीक में ज़फोरा, इतालवी में जैफेरनो,ज्यार्जियाई में जैप्रेनो, रूसी में शैफ्रॉन, फिनिश में सहरामी के रूप में मौजूद है। वैसे इसका वानस्पतिक नाम क्रोकस सटाइवा है।
एक प्रसिद्ध तिलहनी फ़सल है
करडी या
करडई। इसका अरबी नाम उस्फुर है जो ज़ाफरान से ही निकला है क्योंकि इस पौधे में गहरे पीले रंग के फूल होते हैं जो मूल रूप से सुनहरी आभा वाले तंतुओं का समुच्चय होते हैं। अंग्रेजी में इस फूल को
सैफ्लावर कहते हैं । कुछ लोग इसे
उस्फुर और ज़ाफ़रान से बना नाम ही मानते हैं । कुछ लोग
सेफ्रान+फ्लावर का रूप कहते हैं। जो भी हो, सेफ्रॉन भी ज़ाफ़रान से ही बना है। भारत में
करडी को
कुसुम या
कुसुम्भ (कुसुंभा) कहते हैं। इसका तेल हृदय और
मधुमेह के रोगियों के लिए बेहतर समझा जाता है। हमारे यहां जो रिफाइंड ऑइल बिक रहे हैं उनमें बड़ी मात्रा करडी के तेल से बने रिफाइंड की भी होती है।
14 कमेंट्स:
जाफरान पर ऐसी गहन जानकारी-हम धन्य हुए. बहुत आभार.
ज़ाफरानी पानमसाला भी होता है शायद ! ज्ञानवर्धक !
केसर तो हम तब से जानते थे जब वर्णमाला न सीखे थे। जाफरानी जर्दे से पहली बार जाफरान जाना। बड़ा खुशबूदार हुआ करता था। कोई छह माह बाद जाना कि जाफरान केसर को कहते हैं। अब जो जाफरानी जर्दा या तम्बाकू आ रहा है। उन में अधिकतर सिंथेटिक खुशबुएँ इस्तेमाल की जा रही हैं।
जिस प्रकार जाफरान के
लाखों फूलों से थोड़ा-सा केसर
हजारों किलो मिट्टी हटाने से
तोला भर सोना मिलता है
उसी प्रकार जाल पर
सैकड़ों जगह भ्रमण करने के बाद
शब्दों का सफ़र जैसा
कोई चिटठा हाथ लगता है,
पर वह हीरे से कम नहीं है !
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आभार
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
Dada bahut hi badhiya,jafran naam to suna tha par pta nahi tha kise kahte hain .Thanks
केसर --जाफरान पसंद बहुत है :)मुझे पर इतना अधिक इस के बारे में आपकी इस पोस्ट से जाना ..शुर्क्रिया अजित जी
और जर्मन में ज़ाफ़रान को ज़ाफ़रान ही कहा जाता है और वनस्पति-विज्ञान में इसका नाम क्रोकुस ज़ाटिवुस होता है।
जानकारी बेहद रोचक थी। धन्यवाद!
वाह - सफोला का तेल वापरा मानो केसर का प्रयोग किया!
जाफरान पर ऐसी गहन जानकारी
ऐसी उपयोगी व रोचक जानकारियाँ
आप ही देते हो अजित भाई और इसिलिये
"शब्दोँ के सफर " मेँ
हम सभी आपके हमसफर हैँ -
आगे "चँदन" पर भी लिखियेगा -
- लावण्या
स्पेनिश ज़ाफरान की वो छोटी छोटी डिब्बियॉं अभी भी याद हैं, खासकर उसमें से एक दो कतरे दूध में मिलाते ही जो रंगत और खुशबू आती थी वो अभी भी ताज़ा है।
पहली बार इस शब्द को तम्बाकू के डिब्बे पर लिखे जाफ़रानी पत्ती के रूप में पढ़ा और इसका फर्स्ट इम्प्रेशन ही खराब हो गया। केसर को अलग से जानने का मौका मिला इसलिए इसे बहुत इज्जत देता रहा। मुझे क्या मालूम कि ये दोनो अलग नहीं हैं। इसी लिए अच्छी संगत और अच्छे लोगों के साथ नाम जोड़ने की सलाह दी जाती है।
सुन्दर/ज्ञानवर्धक।तन-मन में बस जाती है,मादक सुगन्ध। ये केशर-ज़ाफरान कश्मीर में क्या साथ नहीं रह सकते?
ज्ञानवर्धक !
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