Friday, April 9, 2010

एक गरीब की दास्तान…

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नि र्धनता, विपन्नता के संदर्भ में सर्वाधिक प्रचलित शब्द हैं गरीबी और गरीबगरीबी रेखा जैसा शब्द युग्म आज की भौतिकवादी संस्कृति की सबसे जरूरी राजनीतिक आर्थिक टर्म बन चुका है और इसमें मुहावरे की अर्थवत्ता समा गई है। गरीबी एक बीमारी है, गरीबी अभिशाप है, गरीबी घुन है, गरीबी संक्रामक है। गरीबी समाज का वह दोष है जिसके चलते मनुष्य में जैविक, रासायनिक और मानसिक परिवर्तन तक हो सकते हैं मगर गरीब की जोरू सबकी भाभी है। सामाजिक विद्रूपों से उभरनेवाली वाग्मिता ने इस आमफहम कहावत को bedouinजन्म दिया है जिसमें सारा प्रभाव गरीब शब्द से पैदा हो रहा है। दुनियाभर की आदर्श व्यवस्थाएं गरीबी को लेकर  फिक्रमंद रहती है। भारत में कांग्रेस राज में चला नारा गरीबी हटाओ garibi hatao इसकी मिसाल है जो बीते कुछ दशकों में गरीब हटाओ जैसे उपहासात्मक नारे में तब्दील हो गया। दीन-हीन और वंचित समाज के लिए हिन्दी में गरीब-गुरबा विशेषण भी प्रचलित है। व्युत्पत्ति के नजरिये से देखें तो गरीब शब्द की अर्थवत्ता बहुत व्यापक है। यह विरोधाभास है कि गरीब शब्द में अभाव की पराकाष्ठा है, जो निर्धनता का पर्याय भी है। उधर इसका सहजात, सहोदर शब्द है अरब arab, जिसमें समृद्धि की चमक नुमांया हो रही है। अरबों की धनदौलत के चर्चे सारी दुनिया में हैं। गरीब शब्द से जुड़े कई मुहावरे बोलचाल में प्रचलित हैं जैसे गरीबमार यानी किसी को बेवजह तकलीफ देना। गरीबपरवर या गरीबनवाज़ यानी गरीबों का रखवाला, खैरख्वाह।
रीबी शब्द अरबी के गरीब gareeb से आ रहा है, अलबत्ता अरबी का नहीं है। गरीबी का मतलब है रोजमर्रा के जीवन में तंगी से गुजरना। अरबी में इसे गुरबत कहते हैं। गुरबत का प्रयोग हिन्दी में कम होता है, इसकी बजाय गरीब में प्रत्यय जुड़ने से हिन्दी ने निहायत अपना शब्द गरीबी बना लिया। हिन्दी में गरीब शब्द का प्रयोग भी बोलचाल में खूब होता है। गरीब मूलतः सेमिटिक भाषा परिवार का शब्द है और इसके विविध रूपांतर अरबी, हिब्रू आरमेइक आदि भाषाओं में हैं। यह जानना दिलचस्प है कि निर्धन और विपन्न जैसे अर्थों में प्रयोग होने वाले इस शब्द का मूल अर्थ कुछ और था। गरीब शब्द बना है अरबी भाषा की धातु ग़-र-ब gh-r-b से जिसमें सूर्यास्त, रेगिस्तान, मिलाना, अजनबी, विदेशी, घुमक्कड़, खानाबदोश या बंजारा जैसे भाव हैं। अरबी में इससे एक और शब्द बना ग़रब gharb जिसका अर्थ है सूर्यास्त अथवा पश्चिम का। गौरतलब है कि अरबी, फारसी और उर्दू में पश्चिम दिशा को मग़रिब maghrib कहते हैं जो इसी मूल से आ रहा है और इसका मतलब है पश्चिम दिशा। मग़रिबी मुल्क का मतलब हुआ पश्चिमी देश। मग़रिब में पश्चिम का भाव इसलिए स्थिर हुआ क्योंकि उस दिशा में सूर्य अस्त होता है। अरबी में पूर्व दिशा को मशरिक कहते हैं जो बना है sh-ra-qa से जिसका अर्थ है उदय, उगना, उज्जवलता, चमक आदि। सूर्य के नियमतः उदित होने के आधार पर उस दिशा को पूर्व कहा गया। बंजारा या खानाबदोश जैसे शब्दों पर गौर करें। सूरज एक खानाबदोश है जो रोज पूर्व दिशा से रोशनी का खजाना लेकर निकलता है और शाम तक इसे दुनिया पर लुटा कर अस्त हो जाता है। चतुर्दिक फैले आसमान में सूर्य के खरामा खरामा उगने, दिन भर आसमान में टिकने और फिर शाम को अस्त हो जाने में  प्राचीन मानव को घुमक्कड़ी और बंजारापन नज़र आया।
रब शब्द के मूल में भी यही धातु है। प्रोटो सेमिटिक धातु ग़-र-ब gh-r-b या r-b से ही हिब्रू में रेगिस्तान के लिए अराव arav, अजनबी को इरेव arav, शाम के लिए मारिव maariv जैसे शब्द बने। यही नहीं, पश्चिम के लिए ma,arav शब्द है। प्राचीन अरब समाज भी घुमक्कड़ खानाबदोश जनजातियों से बना था। इसी घुमक्कड़ी के चलते ही अरब लोग कुशल सौदागर भी हुए। ग-र-ब में निहित बंजारापन में सौदागरी का भाव भी निहित है। मूलतः इसका अर्थ पश्चिम में बसनेवाली जनजातियों से ही था। यहां ध्यान रहे कि प्रोटो सेमिटिक भाषाओं में इस धातु में घुमक्कड़ का भाव था जिसके चलते प्राचीन हिब्रू में aravah शब्द बना जिसका अर्थ था रेगिस्तान या घास के मैदान जहां अरब की बेदुइन जनजातियां विचरती थीं। बाद में घुमक्कड़ी का अर्थ व्यापक हुआ और इसमें सूर्यास्त का भाव भी समाहित हुआ जो बाद में पश्चिम दिशा का पर्याय भी बना। यहां से इसमें श्यामल रंग, सन्ध्या, कालापन, अफ्रीकी जन जैसे भाव भी समाए। प्राचीन सुमेरी भाषिक संदर्भों में अरब के लिए अराबी, अरुबू, अरिबी और उरबी जैसे शब्द भी मिलते हैं जिसका अभिप्राय indian_poor अरबों की भूमि से है। उत्तर पश्चिमी अफ्रीका के छोर पर स्थित एक देश का नाम है मोरक्को जो मग़रिब से ही बना है। गौरतलब है कि मोरक्को के उत्तर में यूरोप के स्पेन और पुर्तगाल जैसे देश हैं। मोरक्को Morocco पर स्पेन की संस्कृति का काफी प्रभाव है। मोरक्को का प्राचीन नाम था अल मम्लाकाह मग़रिबिया अर्थात पश्चिमी गणराज्य। भूमध्यसागर के जरिये अरबों का साम्राज्य अटलांटिक महासागर से लगते अफ्रीका के सुदूर पश्चिमोत्तर छोर मोरक्को तक था। मगरिब का स्पेनी रूपांतर ही मोरक्को हुआ।
भाषाविज्ञानियों के मुताबिक अपने सेमिटिक मूल में ग़-र-ब gh-r-b धातु में अस्त होने, वंचित होने का भाव था। इसकी पुष्टि होती है इसके प्राचीन हिब्रू रूप गर्ब Gh-Rb से जिसमें मूलतः अंधकार, कालापन, पश्चिम का व्यक्ति या शाम का भाव है। गौर करें ग़-र-ब में निहित मिलाना वाले भाव पर। सन्ध्या शब्द बना है संधि से जिसका अर्थ है मिलना। दिन और रात का संधिकाल ही सन्ध्या है जब सूर्य के अस्त होते जाने से अंधकार गहरा होना शुरू होता है। हिब्रू के Gh-Rb में यही भाव है।
रब के पश्चिम में स्थित अफ्रीका की मूल जनजाति नीग्रो कहलाती है जो श्यामवर्णी होते हैं। इन्हें हब्शी भी कहा जाता है। गौरतलब है हब्शी और नीग्रो दोनों ही शब्दों के मूल में भी कालेरंग का भाव ही है। इस तरह एक और व्युत्पत्तिमूलक साक्ष्य सामने आता है। प्राचीनकाल से ही अफ्रीका के हब्शी अरब में गुलामों की हैसियत से खरीदा-बेचा जाता था। गर्ब शब्द में इन्ही नीग्रो का अभिप्राय है। ये गुलाम मालिकों से सिर्फ भोजन और वस्त्र ही पाते थे, जाहिर है इन्हें गरीब अर्थात पश्चिम से आया हुआ विपन्न कहा गया। gh-r-b में निहित अजनबी, दूरागत अथवा परदेसी के भाव पर गौर करें। प्राचीनकाल में यात्राएं पैदल चलकर तय होती थी और बेहद कष्टप्रद होती थीं। राहगीर चोर-उचक्कों और बटमारों की ज्यादती का शिकार भी होते थे। परदेश से आया यात्री आमतौर पर थका हारा, फटेहाल और पस्त होता था। गरीब शब्द की अर्थवत्ता विपन्न और वंचित के अर्थ में यहां समझी जा सकती है। गुरबा शब्द भी इसी मूल से आ रहा है जिसका अर्थ है वह व्यक्ति जिसे देशनिकाला दिया गया हो, जिसे खदेड़ा जा चुका हो। प्राचीनकाल में विजित राज्यों से पराजित व्यवस्था के विश्वासपात्र लोगों के समूहों को देशनिकाला दिया जाता था। यह आप्रवासन स्वैच्छिक भी होता था और राज्यादेश से भी होता था। जाहिर है जड़ों से उखड़े लोग दीन हीन अवस्था में जब कहीं शरणागत होते थे तो वे गरीब-गुरबा कहलाते थे। गरीब में विपन्न और वंचित की अर्थवत्ता इसी तरह स्थापित हुई होगी।

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13 कमेंट्स:

डा० अमर कुमार said...


अजित भाई, मेरी जानकारी में ग़रीब का एक सँदर्भ अरबी के एक शब्द गुरबत के अधिक नज़दीक है, जो कि आपने भी इँगित किया है ।इसका मुल्तानी / सिन्धी सँस्करण गुरबा ( गरीब-गुरबा ) गुजरात होते हुये मध्य भारत में आया होगा ।
गरीब व गरीबी के शाब्दिक आयाम हिन्दी के निर्धन से बिल्कुल अलग हैं .. .. मसलन ज़माने की ग़ुरबत इत्यादि !
[ सँदर्भ : मोहम्मद रज़ाउल हक़ बादशाहख़ानी व सक़लैन भट्टी ]

अजित वडनेरकर said...

@डॉ. अमरकुमार
डाक्टसा, आप सही हैं। शब्दों का सफर में हरमुमकिन कोशिश रहती है सभी नाते-रिश्तेदारों को मिलाने की। गुरबत और गरीब रिश्तेदार हैं। इसकी आमद कहां से है, यही बताने की कोशिश करते करते मोरक्को से भी इनकी रिश्तेदारी निकल आई और फिर पूरा अरब इसमे समा गया।

Udan Tashtari said...

अच्छा ज्ञान वर्धन हुआ. गुरबत, गरीबी, तंगी...आभार!

उम्मतें said...

अजित भाई
जीवन अवसरों से वंचितता का निर्धारण ज्यादातर भौतिकता और पूंजीगत आधारों पर किया जाता है किन्तु अपवाद स्वरुप कुछ बन्दे दौलते इश्क ...दौलते उन्स के तईं भी गरीब गुरबा हो सकते हैं !

दिनेशराय द्विवेदी said...

सही है गरीबी शब्द निर्धनता का पर्याय न हो कर अधिक विस्तृत है। निर्धनता केवल आर्थिक हो सकती है लेकिन गरीबी अनेक प्रकार की हो सकती है। मसलन विचारों की भी हो सकती है।

डा० अमर कुमार said...


अजित भाई, आपने बड़ी सदाशयता से इस अकिंचन की टिप्पणी को
उदार मन से स्वीकार किया और यहाँ कोई मॉडरेशन भी नहीं है ।
मेरी मँशा अपना ज्ञन प्रदर्शित करने की कभी से भी न रही ।
सामने सेल्फ़ में लगी बादशाहख़ानी की किताब जैसे बुला रही हो,
सो त्वरित रूप से बस यह टिप्पणी निकल ही गयी ।
आख़िर अजित वडनेरकर सा होना, सबके बस की बात जो नहीं है ।


प्रातः एक बात पर ध्यान दिलाते दिलाते रह गया,
क्या साइडबार में लगे मनोहारी चित्र का कैप्शन ’ सपर के पड़ाव ’ कोई बदलाव तो नहीं चाहता है ?
सादर धन्यवाद !

Rangnath Singh said...

गरीबी की व्युत्पत्ति...पढ़ ली।

rashmi ravija said...

बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी...

RAJ SINH said...

ये तो नहीं जानता की खुद कितना गरीब हूँ पर आपका हमसफ़र होने के फायदे में , मेरी शब्दों की गरीबी काफी दूर हुयी है .
धन्यवाद भाऊ !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सदैव की भाँति उपयोगी आलेख!

किरण राजपुरोहित नितिला said...

हमेशा की ही तरह रोचक वर्णन .

Mansoor ali Hashmi said...

किसी शायर ने 'गरीबी' की उम्दा मिसाल पेश की है:-

बैठ जाता हूँ जहां छाव घनी होती है,
हाय क्या चीज़ गरीबुल वतनी होती है.

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

गरीब शब्द गरीब नहीं लगता

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