ये सफर आपको कैसा लगा ? पसंद आया हो तो यहां क्लिक करें |
Friday, June 11, 2010
हाल कैसा है जनाब का!!
भा षा लगातार परिवर्तित होती है। यह बदलाव एक भाषा पर दूसरी भाषा के शब्दों की आमद के जरिए भी होता है और प्रभावशाली भाषा के भाषिक संस्कार अपना लेने से भी होता है। इसके अंतर्गत किसी एक भाषा बोली पर लम्बे समय तक सम्पर्क होने की वजह से एक भाषा के व्याकरण नियम दूसरी भाषा पर लागू होने लगते हैं। हिन्दी में आमतौर पर हम अंग्रेजी समेत अन्य भाषाओं के शब्दों पर हिन्दी व्याकरण के तहत ही बहुवचन लगाते हैं जैसे कारों, ट्रकों, डाक्टरों आदि। अरबी में चाहे हालात शब्द अपने आप में बहुवचन है। परिस्थिति या दशा के लिए हिन्दी में अरबी मूल का हालत शब्द खूब प्रचलित है और इसका बहुवचन हालात भी। हिन्दी में अक्सर इस हालत में या इन हालात में जैसे प्रयोग होते हैं जो सही हैं किन्तु अक्सर हिन्दी में हालात का भी बहुवचन हालातों बना दिया जाता है जैसे इन हालातों में जो कि गलत है। ज्यादातर यही प्रवृत्ति है, किन्तु संवंदनशील लोग हालात को हालातों लिखने पर एतराज जताते हैं। उनकी बात भी सही है किन्तु अभिव्यक्ति के लिए ही भाषा है और अभिव्यक्ति अपना रास्ता तलाश लेती है। अब अगर हालात को हालातों पढ़ने पर अधिकांश लोगों को कोई दिक्कत नहीं है तब यही उचित है कि जिन्हें हालात लिखना है उन्हें हालात लिखने दिया जाए मगर हालात को हालातों लिखनेवालों को भी हीन न समझा जाए। अलबत्ता मीडिया से जुडे़ लोगों को चाहिए कि लिखत-पढ़त की भाषा के मानकीकरण पर वे जरूर ध्यान दें।
हालत शब्द बना है अरबी के हाल से जिसका मतलब है दशा, परिस्थिति, मामला आदि। हिन्दी की ज्यादातर बोलियों में इसका प्रयोग होता है। व्यापक रूप में इसकी अर्थवत्ता में चरित्र का भाव भी आ जाता है जैसे इनका तो हाल ये है!!! सेमिटिक धातु h-a-l से बना है हाल शब्द जिसमें बदलाव या सजावट जैसे भाव हैं। जाहिर है इसमें एक अवस्था का बोध तो है ही। दरअसल हल् धातु में जिस बदलाव की बात उभर रही है उससे बना हाल में कुछ अर्थसंकोच है। गौर करें कि बदलाव या परिवर्तन एक स्थिति से दूसरी स्थिति का द्योतक है जबकि h-a-l धातु से बने हाल का अर्थ सिर्फ दशा या परिस्थिति तक सीमित हो रहा है। हाल का एक अन्य अर्थ है समाचार या खबर। हिन्दी में हाल शब्द की अर्थवत्ता में वृत्तांत भी हाता है जैसे क्या हाल हैं। यहां भाव समाचार जानना ही है। इसके साथ चाल शब्द भी जुड़ने से अर्थ और व्यापक हो जाता है। दिलचस्प यह कि हाल में चाल जोड़ कर बनाए गए हालचाल शब्द के बावजूद हम “पूरा” हालचाल जानना चाहते हैं।
हालत में आर्थिक स्थिति, मानसिक स्थिति भी शामिल है। आमतौर पर हाल में वर्तमान काल का भाव है यानी वर्तमान दशा या परिस्थिति। हाल से ही बना है हालत जिसका अर्थ भी यही है। हालत अर्थात परिस्थिति का बहुवचन होता है हालात। अरबी के हाल शब्द में फारसी के कुछ उपसर्ग जुड़कर नए शब्द बने हैं जो फारसी और उर्दू के साथ हिन्दी में खूब प्रचलित हैं। बुरी परिस्थिति में जी रहे व्यक्ति के लिए हाल में फारसी का बद् उपसर्ग लगने से बनता है बदहाल। इसका विलोम है खुशहाल अर्थात सुखी, समृद्धिशाली आदि। बेहाल का अर्थ होता है बुरी अवस्था या आत्मविस्मृति। ऐसा ही एक शब्द है बहरहाल जो हिन्दी में खूब इस्तेमाल होता है। इसका अन्वय होता है ब-हर-हाल यानी किसी भी रूप में या किसी भी दशा में, हर हाल में, किसी भी सूरत मे यानी जैसे बने वैसे। किन्तु इस शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर लोग फिलहाल की तर्ज पर करते हैं। समृद्धि या दुरवस्था के लिए क्रमशः खुशहाली या बदहाली जैसे शब्द भी बने हैं। बहाल शब्द भी इसी कड़ी में आता है। आमतौर पर पूर्ववत वाले अर्थ में बहाल शब्द का प्रयोग हिन्दी में होता है जैसे नौकरी पर बहाल। हाल के अवस्था वाले अर्थ का दार्शनिक महत्व भी है। आमतौर पर सूफियों-संन्यासियों की ध्यानस्थ अवस्था को भी हाल कहा जाता है। ध्यानस्थ होने के बाद जब कोई आध्यात्मिक व्यक्ति दैवीय अनुभूतियों को प्रदर्शित करता है उसे ही हाल आना कहा जाता है अर्थात वह सिद्धावस्था को प्राप्त कर चुका है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
13 कमेंट्स:
पंजाबी के कई विद्वानों ने जोर लगा लिया कि 'बावजूद भी' लिखना गलत है. वह कहते हैं बावजूद अकेले का वही भाव है जो 'बावजूद भी' का है. लेकिन कोई नहीं मानता. शायद 'बावजूद भी' लिखने अधिक बल महसूस होता है.हालात पंजाबी में भी यही हालातों से गुज़र रहा है. जब कोई शब्द दूसरी भाषा से आता है तो स्वतंत्र हो कर अर्थ -विस्तार, -संकोच, करता है. और रूप भी बदलता है. श्रोत भाषा को जानने वालों को यह हालात अटपटी सी लगती है.लेकिन जो प्रचलत हो जाता है उसे स्वीकार ही करना पड़ता है. अखारकार गलत सही कुछ नहीं है.
हाल चाल को तोड़ कर भी बोला जाता है,'उसने मेरा हाल पूछा, न चाल' लेकिन फिर भी हाल और चाल का नजदीक रहना जरूरी है.
तंगहाली और मंदहाली शब्द भी बने हुए हैं. बहरहाल, हाल दुहाई, हाल पारिया,हाल हवाल, हाल हाल( हाय हाय करना),हाल ओई (मदद के लिए पुकार), हाल पतला होना, हालां कि (भले ही) आदि का भी पंजाबी में प्रचलन है.
बहुत अच्छी जानकारी..आभार.
अच्छी जानकारी..
बहरहाल तो बदहाल हूँ थकान से अभी यात्रा की थकान नही उतरी मगर अब ब्लाग जगत मे आ कर उतर जायेगी बहुत अच्छी लगी पोस्ट धन्यवाद्
हाल क्या है, दिलों का, न पूछो सनम,
......
सुन्दर विवेचना ...'बदहाल' के विकल्प स्वरुप 'फटेहाल' भी प्रयुक्त होता है !
आपने सही कहा की 'हाल' ध्यानस्थ / दैवीय अनुभूति की अवस्था भी है इसी तर्ज़ पर 'हालिया' मतलब वर्तमान अवस्था !
भोपाल त्रासदी फैसले के मद्दे नज़र आपके 'HALL' में यूं प्रवेश किया है:-
'हाँ- लात' बड़ी सख्त पढ़ी फ़ैसला सुनकर,
बेदर्दी-ए- 'हालात' का क्या तज़करा कीजे,
अब 'हाल', 'बहरहाल' तो 'बदहाल' है अपने,
इन्साफ की इस 'चाल' पे क्या तबसरा कीजे.
-- mansoorali हाश्मी
http://aatm-manthan.कॉम
@निर्मला कपिला...
अमेरिका से वापसी पर स्वागत है.
'सख्त पढ़ी' को "सख्त पड़ी" पढ़े.....
-एम्.एच.
सदैव ही यह ध्यान में रखने की चेष्टा करुँगी...सचमुच हालात अपने आप में ही बहुत वचन है....ज्ञानवर्धक इस आलेख के लिए बहुत बहुत आभार...
सही कहा आपने...दृश्य मिडिया द्वारा आज जो भाषा इस्तेमाल की जा रही है,यह शुभ नहीं...
हाल खूब निस्त.. :( बदहाल ..बदहवास.....बाहर भी और ब्लॉगजगत में भी...शब्दों का सफ़र जैसे सही दिशा को ओर ले जाना वाला सफर है..इधर उधर भटक कर फिर यहीं सुकून पाते हैं...
हालचाल और हलचल में कुछ नाता है? शायद हालचाल का मिनी संस्करण हलचल हो? :)
bahut badiya...
हालचाल के बारे में जानकर खुशहाल हो गये।
Post a Comment