Tuesday, February 1, 2011

गुहा, गुफा और कोहिनूर [आश्रय-30]

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र्वतों-पहाड़ों में बने प्राकृतिक आश्रयस्थलों को गुफा या कंदरा कहा जाता है। किसी भी प्राणी को निवास के लिए हमेशा घिरे हुए स्थान की ही तलाश रहती है जहां वह सुरक्षा और सुविधा अनुभव करता है। हिन्दी का गुफा शब्द बना है संस्कृत के गुहा से जिसका अर्थ है कंदरा, कोटर, छिपने का स्थान, गड्ढा या बिल आदि। आप्टेकोश के मुताबिक बंद या सुरक्षित स्थान के अर्थ में गुहा का एक अर्थ हृदय भी होता है क्योंकि यह छाती के भीतर है। गुहा बना है गुह् धातु से जिसमें ढकने, छिपाने, परदा डालने, गुप्त रखने का भाव है। आदिकाल से प्राणियों को आश्रय की खोज रही है। आश्रय का सामान्य अर्थ यही निकलता है जहाँ आराम किया जा सके, मगर आदिम युग में आश्रय का अर्थ सुरक्षित स्थान से था। जहाँ शरण ली जा सके। उस काल में अपने शत्रुओं से खुद को बचाने की जद्दोजहद अहम थी, ऐसे में ऐसे स्थान की खोज, जहाँ खुद को शत्रु की नज़रों से छुपाया जा सके, ज़रूरी थी। सो आश्रय का अर्थ था गुप्त जगह, जहाँ खुद को छुपाकर बचाव किया जा सके। सो गुह् धातु से बने गुहा में गुप्त स्थान का भाव प्रमुख है। बाद में गुहा का अर्थ संरक्षित-सुरक्षित स्थान हुआ। हिन्दी शब्दसागर के मुताबिक गुहा यानी वह गहरा अँधेरा गड्ढा जो जमीन या पहाड़ के नीचे वहुत दूर तक चला गया हो।
गुह् का पूर्ववैदिक रूप कुह् रहा होगा। याद रहे वर्णक्रम में ही भी आता है। निश्चित ही कुह् में वही भाव थे जो गुह् में हैं। संस्कृत में कुहरम् शब्द है जिसका मतलब है गुफा, गढ़ा आदि। आप्टेकोश में इसका एक अर्थ गला या कान भी बताया गया है। जाहिर है, इन दोनों ही शरीरांगों की आकृति गुफा जैसी है। नाभि के साथ नाभिकुहर जैसी उपमा भी मिलती है। संस्कृत के पूर्वरूप यानी वैदिकी या छांदस की ही शाखा के रूप में अवेस्ता का भी विकास हुआ जिससे फ़ारसी का जन्म माना जाता है। फ़ारसी में पहाड़ के लिए कोह शब्द है जो इसी मूल से आ रहा है। बरास्ता अवेस्ता कुह् में निहित गुप्त स्थान या गुफा का अर्थ विस्तार फ़ारसी में कोह के रूप में सामने आया अर्थात वह स्थान जहाँ बहुत सी गुफाएँ हों। स्पष्ट है कि गुफाएँ पहाड़ों में ही होती हैं, सो कुह् से बने कोह का अर्थ हुआ पहाड़। कोहिनूर जैसे मशहूर हीरे के नामकरण के पीछे भी यही कुह् धातु है। कोहिनूर बना है कोह-ए-नूर से। अक्सर इसका मतलब लगाया जाता है रोशनी का पहाड़। इसका मतलब होता है पर्वत से उत्पन्न या पहाड़ से निकला वह पत्थर जो जिसमें सबसे ज्यादा चमक हो। याद रहे, कोहिनूर सदियों पहले गोलकुंडा की हीरा खदान से निकाला गया था, जो सदियों पहले दुनिया की इकलौती हीरा खदान थी।
हाड़ों की कंदरा, गुफा या वृक्ष के कोटर ऐसे ही घिरे हुए स्थान थे जहां प्रारम्भिक मानव ने अपने ठिकाने बनाए। यह बना है कुट् धातु से जिसका मतलब हुआ वक्र या टेढ़ा । इसका एक अन्य अर्थ होता है वृक्ष। प्राचीन काल में झोपड़ी या आश्रम निर्माण के लिए वृक्षों की छाल और टहनियों को ही काम मे लिया जाता था जो वक्र होती थीं। एक कुटि (कुटी) के निर्माण में टहनियों को ढलुआ आकार में मोड़ कर, झुका कर छप्पर बनाया जाता है। इस तरह कुट् से बने कुटः शब्द में छप्पर, पहाड़ (कंदरा), जैसे अर्थ समाहित हो गए। भाव रहा आश्रय का। इसके अन्य कई रूप भी हिन्दी में प्रचलित हैं जैसे कुटीर, कुटिया, कुटिरम्। छोटी कंदरा या गुफा आदि। विशाल वृक्षों के तने में बने खोखले कक्ष के लिए कोटरम् शब्द भी इससे ही बना है जो हिन्दी में कोटर के रूप में प्रचलित है और यह पहाड़ी गुफा भी हो सकती है। अंग्रेजी में गुफा को केव कहते हैं जो भारोपीय भाषा परिवार का शब्द है और इसकी रिश्तेदारी भी कुह् से है। डगलस हार्पर की एटिमआनलाइन के मुताबिक केव CAVE बना है प्रोटो इंडोयूरोपीय धातु क्यू *keue- से जिसका अर्थ है मेहराब या पहाड़ के भीतर जाता ऐसा छिद्र जो भीतर से चौड़ा हो। काकेशस पर्वत को फ़ारसी ग्रन्थों में कोहकाफ़ कहा गया है।
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4 कमेंट्स:

केवल राम said...

आज पता चला की कोहिनूर के प्रति इतनी उत्सुकता क्योँ ....आपका शुक्रिया इस सारगर्भित और शोधपूर्ण जानकारी के लिए ...शुक्रिया

प्रवीण पाण्डेय said...

गुफा व केव में समानता है, निश्चय ही।

satyendra said...

बेहतरीन विश्लेषण

रंजना said...

ज्ञानवर्धन हुआ ...
आभार इस सुन्दर विश्लेषण के लिए ....

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