Monday, February 6, 2012

‘काम’ में ‘कमी’ की तलाश [कम-1]

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हि न्दी के बहुप्रचलित शब्दों की अग्रिम पंक्ति में खड़ा नज़र आता है ‘अल्प’, ‘न्यून’, ‘थोड़ा’, ‘छोटा’, ‘कुछ’ के सन्दर्भ में इस्तेमाल होने वाला ‘कम’ शब्द । इसकी तुलना में ‘न्यून’ या ‘अल्प’ का प्रयोग विरल है । ‘कम’ के अर्थ में ‘कमती’ शब्द भी चलता है। ‘कम’ शब्द बरास्ता अवेस्ता होते हुए फ़ारसी में आया और फिर हिन्दी में इसने आसन जमा लिया। ‘कम’ शब्द की व्युत्पत्ति के बारे में बहुत ‘कम’ जानकारी उपलब्ध है, बल्कि कहना चाहिए कि हिन्दी-उर्दू में प्रचलित ‘कम’, कमती शब्दों के फ़ारसी मूल के मद्देनज़र इनकी व्युत्पत्ति जानने के प्रयास सम्भवतः नहीं हुए हैं । भाषा सम्बन्धी पुस्तकों, कोशों आदि में इसका सन्दर्भ नहीं मिलता । विभिन्न सन्दर्भ सिर्फ़ इतना ही बताते हैं कि यह फ़ारसी मूल का शब्द है । दिलचस्प यह भी है कि ‘कम’ में निहित ‘कमी’ वाला जो भाव है वह हिन्दी में ‘कम’ के समानार्थी ‘न्यून’ शब्द से इसे जोड़ता है । व्युत्पत्तिक नज़रिये से । कहाँ ‘न्यून’ और कहाँ ‘कम’ । न एक स्वर समान और न ही किसी व्यंजन का मिलान फिर भी व्युत्पत्तिक साम्य की बात अजीब लगती है । यही तो है शब्दों का सफ़र ।

‘कम’ नहीं, ‘कुछ’ का भाव
‘कम’ की व्युत्पत्ति के बारे में जो भी थोड़ी-बहुत जानकारी मिलती है वह अवेस्ता में लिखित पारसियों के प्रसिद्ध धार्मिक काव्य “गाथा” के उन्हीं अंशों के जरिये मिलती है, जिनकी विवेचना फ़ारसी के विद्वानों और ईरान-विशेषज्ञों ने की है । स्टूअर्ट ई मैन की “एन इंडो-यूरोपियन कम्पैरटिव डिक्शनरी” में दर्ज़ फारसी ‘कम’ की मूल धातु ‘kamma, quomn’ का उल्लेख डॉ अली नूराई द्वारा बनाए गए इंडो-यूरोपीय भाषाओं के रूटचार्ट में हुआ है जिसके मुताबिक अवेस्ता के ‘कम्ना’, ‘कम्नो’ जैसे शब्द इसी मूल से आए हैं जिनका अर्थ ‘कुछ’, few, ‘न्यून’, ‘थोड़ा’, ‘छोटा’ है । इन्हीं से फ़ारसी के ‘कम’, ‘कमी’, ‘कमीन’ जैसे शब्द बने हैं । वैसे पुरानी फ़ारसी के वक्त से ही ‘कम’ शब्द का प्रयोग उपसर्ग, प्रत्यय की तरह होता रहा है । फ़ारसी में भी ‘कम’ का यही रूप विद्यमान है । मूलतः यह विशेषण है । फ़ारसी शब्द ‘कम’ का विकास अवेस्ता के ‘कम्ना’ से हुआ है, इस बारे में ज़्यादातर विद्वान एकमत हैं । अवेस्तन-गाथा में इस शब्द का उल्लेख है जिसमें इसका उल्लेख बतौर ‘कम्नानर’ हुआ है जिसका अर्थ है- कुछ लोग । यहाँ ‘कम्नानर’ का विग्रह किया जाए तो ‘कम्ना’ और ‘नर’ निकल कर आते हैं । ‘नर’ यानी आदमी और ‘कम्ना’ में ‘कुछ’ अर्थात few का आशय स्पष्ट है । ‘कम्ना’ से यह साफ़ नहीं होता कि यह आया कहाँ से । जॉन प्लैट्स के अनुसार भी फ़ारसी का ‘कम’, ज़ेंद ( अवेस्ता ) के ‘कम्ना’ से आया है । भाषाविद् ब्रूस लिंकन, “डेथ वार एन्ड सेक्रिफाइसः स्टडीज़ इ आइडिऑलॉजी एन्ड प्रैक्टिस” पुस्तक में लिखते हैं कि पुरानी फ़ारसी में ‘कम्नानर’- शब्द का अक्सर प्रयोग हुआ है जिसका अर्थ है “योद्धाओं की कमी” । इसकी व्याख्या किन्हीं सन्दर्भों में “कुछ लोग” भी मिलती है । गौरतलब है कि ‘कम्नानर’ शब्द भी इसी अर्थ में प्रयुक्त हुआ है । मोनियर विलियम्स के कोश में ‘काम’ की प्रविष्टि के अन्तर्गत भारतीय पौराणिक सन्दर्भों के मुताबिक विभिन्न अर्थछटाएँ दर्ज़ है। इनमें अवेस्तन पद ‘काम्नानर’ के अर्थ से मेल खाते वैदिक शब्द ‘काम’ का एक अर्थ महत्वपूर्ण है – “कुछ पुरुष या कुछ लोग” ( या उनकी संख्या, तादाद )।
वैदिकी से रिश्तेदारी
भाषाविद् स्टूअर्ट ई मैन लिखते हैं कि ‘कम्ना’ का प्रयोग कहीं उपसर्ग तो कहीं प्रत्यय की तरह हुआ है । उपसर्ग की तरह ‘कम्ना’ शब्द का एक अन्य उदाहरण है ‘कम्नाफ्स्व’ शब्द जिसका अर्थ है “पशुधन की कमी” । गाथा में एक पुरोहित अपना दारिद्र्य प्रदर्शित करते हुए मवेशियों की कमी का दुखड़ा रोते हुए ‘कम्नाफ्स्व’ शब्द का प्रयोग करता है। गौरतलब है कि वैदिक समाज की तरह प्राचीन ईरान में भी पुरोहितों को जीवनयापन के लिए पशु दक्षिणा ही दी जाती थी। यह जो ‘–फ्स्व’ है यह दरअसल वैदिक भाषा के ‘पशु’ का का रूपान्तर है जिसका आदिस्त्रोत वैदिक शब्दावली का ‘पाश’ है । पाश, यानी बन्धन या रस्सी । पशुओं को पाश से फाँसा जाता था इसीलिए वे ‘पशु’ कहलाए । ‘कम्नाफ्स्व’ का अर्थ हुआ सीमित पशुधन । इसी तरह अल्पाहार के लिए भी प्राचीन फ़ारसी में ‘कम्नाख्वार्या’ शब्द का प्रयोग हुआ है । अवेस्ता और पुरानी फ़ारसी में ‘कम्ना’ शब्द का प्रयोग कुछ के सन्दर्भ में होता था मगर बाद में फ़ारसी में ‘कम्ना’ का रूपान्तर ‘कम’ हुआ और उसका प्रयोग ‘न्यून’, ‘थोड़ा’ के लिए होने लगा। “द अवेस्तन हिम टू मिथ्रा” में इल्या गिलक्रिस्ट और कार्ल फ्रेड्रिक गेल्डनर अवेस्ता के ‘कम्ना’ का रिश्ता संस्कृत के ‘कम्ब’ से जोड़ते हैं । लगता है यह ‘कम्ना’ का ही कोई व्याकरणिक रूप होगा क्योंकि इस शब्द की कोई विवेचना संस्कृत कोश में नहीं मिलती जिससे इसे अवेस्ता के ‘कम’ से जोड़ा जा सके । मगर नूराई के चार्ट में भी sqombh-no- धातु का हवाला मिलता है, इसका अर्थ ‘छोटा’, ‘लघु’ या ‘न्यून’ बताया गया है । इसका उल्लेख फारसी ‘कम’ की मूल धातु kamma, quomn के क्रम में ही हुआ है ।
बात कुछ और है
ह तो साफ़ है कि अवेस्ता और प्राचीन फ़ारसी के ‘कम्ना’ में कुछ, थोड़ा का भाव था जो बाद में ‘कम’, ‘न्यून’ के अर्थ में प्रचलित हुआ । अवेस्ता प्राचीन वैदिक भाषा की सहोदरा थी, यह रिश्तेदारी निर्विवाद है । इस नाते संस्कृत के ‘काम’ में निहित “कुछ पुरुष” या “कुछ लोग” ( या उनकी संख्या, तादाद ) जैसा आशय इस बात का प्रमाण है कि गाथाअवेस्ता के ‘कम्ना’ से उद्भूत ‘कम’ शब्द का रिश्ता वैदिक शब्दावली वाले ‘कम’, ‘काम’ जैसे शब्दों से भी हो सकता है । सवाल उठता है कि ‘कम’ में मूलतः इच्छा, आकांक्षा, अभीष्ठ का भाव है, तब उसमें न्यूनता या कमी जैसी अर्थवत्ता कैसे विकसित हुई होगी ? इसका उत्तर मिलता है अवेस्ता (गाथाअवेस्ता) के प्राचीन कोश “फ़रहंग ई ओइम एवक” से । इस कोश में गाथाअवेस्ता के एक प्रत्यय ‘ऊनम्’ की प्रविष्टि है जिसे ‘कम्ना’ के ज़रिए समझाया गया है । इसका एक और रूप अवेस्ता में ‘उन्’ मिलता है जिसका अर्थ है अपूर्ण, अधूरा, रिक्त आदि । ‘कम्ना’ में ‘उन्’ प्रत्यय का प्रयोग हुआ है और यह ‘कम् + उन्’ से बना है । ‘कम्ना’ में निहित ‘न्यून’, ‘कुछ’, ‘थोड़ा’ या ‘कमी’ का भाव दरअसल ‘कम्’ से नहीं बल्कि ‘उन्’ प्रत्यय से आ रहा है । कोश में इसकी तुलना अपूर्ण, त्रुटिपूर्ण, अतिरिक्त, कुछ, अपर्याप्त या न्यून की अर्थवत्ता वाले संस्कृत विशेषण ‘ऊन’ से की गई है । गौरतलब है कि वैदिकी और अवेस्ता लगभग जुड़वाँ प्रकृति की भाषाएँ हैं। फिर भी विद्वान वैदिक भाषा को अवेस्ता से कुछ प्राचीन ठहराते हैं । ज़ाहिर है गाथाअवेस्ता का ‘उन’ और वैदिक भाषा का ‘ऊन’ एक ही है । मोनियर विलियम्स भी अपने कोश में ‘ऊन’ के निम्न अर्थ बताते हैं- wanting , deficient , defective , short of the right quantity , less than the right number , not sufficient. यही नहीं, इस प्रविष्टि के आगे वे “कम्पेयर टू ज़ेन्द ऊन” भी लिखते हैं ।
कम के पेट में ऊन
‘कम्ना’ में निहित ‘न्यून’, ‘कुछ’, ‘थोड़ा’ जैसे भावों का रहस्य खुलने के बाद ‘कम्’ शब्द का तिलिस्म भी टूटता है और इसका रिश्ता वैदिक भाषा की ‘कम्’ धातु से जुड़ता है जिसमें इच्छा, अभिलाषा, कामना, वांछा, लालसा और वासना जैसे भाव निहित हैं । मोनियर विलियम्स के कोश में दर्ज़ काम की प्रविष्टि के अन्तर्गत अवेस्तन पद ‘कम्नानर’ ( कुछ लोग या योद्धाओं की कमी ) के अर्थ से मेल खाते– “कुछ पुरुष” या “कुछ लोग” ( या उनकी संख्या, तादाद ) पर अगर ध्यान दें तो ‘कम्ना’ शब्द की वैदिकी या संस्कृत के ‘कम्’ से रिश्तेदारी स्पष्ट हो जाती है और उसका तिलिस्म खुल जाता है । ‘कम् + उन्’ से बने ‘कम्ना’ का मूलार्थ है निकलता है “इच्छा से अल्प” । “ज़रूरत से कम ( कुछ )” आदि । ऊपर दिए सन्दर्भों ‘कम्नानर’, ‘कम्नाफ्स्व’, ‘कम्नाख्वार्या’ में यही भाव हैं । अगर हम वैदिक भाषा के ‘कम्’, ‘काम’, ‘कामना’ जैसे शब्दों में ‘कम्ना’ का अर्थ खोजेंगे तो निराशा ही हाथ लगती है मगर ‘कम्ना’ से जुड़े ‘ऊनम्’ प्रत्यय का अस्तित्व जैसे ही स्पष्ट होता है, ‘कम्’ की व्युत्पत्ति का सूत्र भी नज़र आने लगता है ।
कम-न्यून, भाई-भाई
स सन्दर्भ में यह जान लेना ज़रूरी है कि वैदिक प्रत्यय ‘ऊन’ का अस्तित्व निश्चित ही भारतीय बोलियों में कहीं न कहीं होगा, मगर ‘कम’ के अर्थ में यह मराठी में स्पष्ट रूप से मौजूद है । जिस तरह ‘कमोबेश’ शब्द का इस्तेमाल हिन्दी में ‘कम-ज्यादा’, ‘थोड़ा-बहुत’ का आशय प्रकट करने के लिए आम है वैसे ही मराठी में, आज भी और फ़ारसी प्रभाव बढ़ने से पहले भी उन पर आधारित ‘उणे’ शब्द प्रचलित था। कमोबेश के अर्थ में ‘उणे-अधिक’ या ‘अधिक-उणे’ जैसे मुहावरे हैं। कमी के लिए मराठी में ‘उणीव’ शब्द है जो गाथाअवेस्ता के ‘ऊनम्’ और संस्कृत के ‘ऊन’ का ही रूपान्तर है और प्रकारान्तर से ‘कम’ में निहित कमी वाले भाव का जन्मदाता भी यही ‘ऊन’ है । कम के अर्थ में संस्कृत-हिन्दी का जो ‘न्यून’ शब्द है उसकी अर्थवत्ता और व्युत्पत्ति भी इसी ‘ऊन’ से सिद्ध होती है। ‘न्यून’ बना है नि + ऊन ‘अच्’ प्रत्यय लगने से । इस तरह फ़ारसी के ‘कम’ और संस्कृत के ‘न्यून’ के बीच समीकरण भी बनता है और व्युत्पत्तिक रिश्ता भी ।
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11 कमेंट्स:

अमरनाथ 'मधुर'امرناتھ'مدھر' said...

कमीन और कमेरे को भी स्पष्ट करें |

प्रवीण पाण्डेय said...

शब्दों के स्रोत में जाना, समुद्र के अन्दर की सुन्दरता देखने जैसा है।

Mansoor ali Hashmi said...

'वो' स्वेटर बनाने लाये थे,
'ऊन' थी "न्यून" चोली बुन डाली !
मितव्ययता के फायदे है बहुत,
चीज़ 'ढकने' की उसने 'ढक' डाली.
http://aatm-manthan.com

Mansoor ali Hashmi said...

'वो' स्वेटर बनाने लाये थे,
'ऊन' थी "न्यून" चोली बुन डाली !
मितव्ययता के फायदे है बहुत,
चीज़ 'ढकने' की उसने 'ढक' डाली.
http://aatm-manthan.com

शि. शं. जायसवाल said...

व्युत्पत्ति/विश्लेषण बहुत जोरदार है.
आपका काम बेजोड़ है. (In fact, it goes without saying).

अभय तिवारी said...

पढ़ लिया है अजित भाई.. बढ़िया है! कोई झोल नहीं ..

रोहित said...

अभी तक जितनी भी कड़ियाँ पढ़ी हैं, उनमें सबसे ज़्यादा मज़ेदार लगी ये कड़ी।
क्या उन्नीस, उनतीस, उनसाठ में भी यही ऊन है?

कविता रावत said...

बड़े रोचक ढंग से शब्दों के तह तक जाना बहुत अच्छा लगा...
सादर

विष्णु बैरागी said...

सचमुच में रोचक। ज्ञान के साथ आनन्‍द भी। 'कम' के बारे में जानकारी 'कमती' नहीं दी आपने।

shyam gupta said...

हां ..सही सोच रहे हैं....उन या ऊना का अर्थ कम होता है जो कम धातु से बने ,कामना से अल्प, का अर्थ देता है...उन्नीस...२० से कम...,उन्तीस...तीस से कम ..,उनसठ..साठ से कम ....यह मूलतः प्रयोग में ’एक कम’ के लिये प्रयोग होता है...

Subhash said...

छोटे से छोटे शब्द के पीछे भी कितनी बड़ी गाथा छिपी है.
उन शब्दों का प्रयोग करते समय हम समझ ही नहीं पाते.

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