Tuesday, February 26, 2008

महिमा अवतारों की

दुनियाभर के विभिन्न धर्मों में यह मान्यता है कि ईश्वर समय समय सृष्टि के पुनर्निर्माण के लिए किसी न किसी रूप में पृथ्वी पर उत्पन्न होते हैं। यह उनका मानवीकृत रूप होता है जिसे हिन्दुओं में अवतार कहा जाता है। धर्मशास्त्र में अक्सर मुख्यतौर पर दशावतार अर्थात दस अवतारों का उल्लेख आता है जो परमात्मा (विष्णु) के रूप हैं- मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, , वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, ,बुद्ध, एवं कल्कि। धर्मशास्त्र के विभिन्न ग्रंथों में इसके अलावा भी अवतार बताए गए हैं। कहीं दस, कही सोलह तो कहीं चौबीस। दरअसल अवतारवाद में विभिन्न कालों में मानवस्मृतियों में जो भी महान पुरुष हुए हैं उन्हें समेट लिया गया है। अवतार यानी विशिष्ट शक्ति का पृथ्वी पर अवतरण। गौर करें कि अवतारवाद पुनर्जन्म के सिद्धांत पर ही खड़ा है और इसकी पुष्टि करता है कि प्रायः ज्यादातर प्राचीन संस्कृतियों में पुनर्जन्म मानव समुदायों की प्रिय कल्पना रही है। हिन्दुओं में जहां कई पुनर्जन्मों का विश्वास है वहीं ईसाइयों में एक पुनर्जन्म की बात कही जाती है।
अवतरण बना है तृ धातु में अव उपसर्ग लगने से। तृ धातु का अर्थ है पार जाना , बहना , तैरना आदि। इसमें अव उपसर्ग लगने से बनते हैं अवतरित होना, उतरना आदि। तृ धातु से ही बने है तरल यानी द्रव , तरंग यानी लहर, तरला यानी नदी, तीर यानी किनारा, तीर्थ यानी घाट, मार्ग, सड़क रास्ता वगैरह। तीर्थ के मायने आदरणीय व्यक्ति या पुण्यात्मा भी होते हैं। गौर करें कि महान पुरुषों का अवतरण भी तीर्थों पर ही हुआ है अर्थात नदी किनारे। अवतरण जिनका होता है वे होते हैं अवतार । मानवता को मुक्ति दिलाने भवसागर पार कराने ईश्वर को पृथ्वी पर अवतीर्ण होना पड़ता है। जैन, बौद्ध आदि धर्मों की अलग अलग मान्यताओं के मुताबिक महावीर स्वामी एव बोधिसत्व के जन्म से पूर्व भी अनेक अवतारों के जन्म का उल्लेख है जो यही साबित करता है कि विशिष्ट निमित्त के चलते परमशक्ति मनुश्य लोक में प्रकट होती है। अवतार शब्द का उच्चारण कहीं कहीं औतार या औतारी भी किया जाता है।
चौबीस अवतार-
पुराणों में चौबीस अवतारों का भी उल्लेख है-नाराय़ण (विराट अवतार), ब्रह्मा, सनत्कुमार, वटनारायण, कपिल, दत्तात्रेय, सुयज्ञ,हयग्रीव, ऋषभ, पृथु, मत्स्य, कूर्म, हंस, धन्वंतरि, वामन परशुराम, महोहिनी, नृसिंह, वेदव्यास, राम, बलराम, कृष्ण बुद्ध और कल्कि(कल्कि भविष्य के अवतार हैं)।

8 कमेंट्स:

Unknown said...

पढ़ते पढ़ते याद आ गया " भये प्रगट कृपाला ..." Q - क्या तृण भी "तृ" से उत्पत्त है ? [इसी तुक में उत्पत्त और उत्पात का भाईचारा ?] - manish

Gyan Dutt Pandey said...

कल्कि की प्रतीक्षा है। कब होगा वह अवतार!

दिनेशराय द्विवेदी said...

दुनियां मे उपलब्ध सभी रुप उसी एक कंटेंट के अवतार है। जो कल्कि की तरह बनने के प्रयास में सफल हो जाएगा वही कल्कि का अवतार होगा।

Tarun said...

कल्कि अवतार भविष्य में कितने दूर जाकर होने की आशंका है कुछ पता चला सकता है क्या, क्योंकि अगर वक्त रहते हो गया तो उनसे पिछले अवतारों का कंफर्मेसन भी कर सकते हैं।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

हमेशा की भांति बढिया जानकारी --

आभा said...

आप का ब्लॉग भाषा विज्ञान के पंडितों के लिए एक चुनौती है....पूरी रोचक किताब है....मैं आपकी नियमित पाठिका हूँ....

Asha Joglekar said...

अवतार ,तीर्थ,तरंग,तरल, तरला, तीर सब की उत्पत्ती और व्युत्त्ती जानकर बडा मजा़ आया ।
आप कभी भी व्लॉग पर न लिखने की न सोचें जब भी आपके ब्लॉग पर आती हूँ पिछले भी सारे लेख पढ लेती हूँ । जैसे इस बार भी नूर,तंदूर, और मूस, माउस, मसल वाले लेख भी पढें जो बहुत अच्छे लगे ।

Anita kumar said...

मास्टर जी मैं क्लास में हाजिर हूँ और पूरी जानकारी गांठ बांध कर ले जा रही हूँ, हमेशा की तरह बेमिसाल जानकारी है, धन्यवाद

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