Thursday, February 21, 2008

जवाहर , गौहर परखे जौहरी

हिन्दी का एक बड़ा आम शब्द है जौहरी जिसका मतलब होता है रत्न व्यवसायी। प्रकारांतर से इसका एक अर्थ पारखी भी होता है। जिसे कीमती पत्थरों (हीरा, माणिक , पन्ना, मोती वगैरह) की परख हो। यह एक व्यवसाय सूचक ( जाति सूचक नहीं ) शब्द भी है इसीलिए वणिकों का एक वर्ग जौहरी कहलाया । जौहरी को मराठी में रत्नपारखी कहते हैं और ये जाति से ब्राह्मण होते हैं। प्रायः हर शहर में जौहरी बाज़ार होता है जहां सोने-चांदी और गहनों का कारोबार होता है। जौहरी बना है जौहर से जो मूल रूप से फ़ारसी के गौहर का अरबी रूपान्तर है जिसका मतलब भी रत्न ही है।  धुर पश्चिम में तुर्की से लेकर सुदूर पूर्व में मलेशिया तक समूचे एशिया में यह शब्द खूब इस्तेमाल होता है। गौरतलब है ये दोनों ही शब्द स्त्रीवाची हैं । जौहर शब्द में गुण, दक्षता, कला, हुनर , होशियारी जैसे भाव भी बाद में समा गए। जौहर में सिर्फ वर्ण की जगह वर्ण के प्रयोग से बने गौहर का मतलब भी रत्न ही है। जौहर का बहुवचन हुआ जवाहिर हुआ। जवाहिरात को भी कई लोग बहुवचन की तरह इस्तेमाल करते हैं , मगर उर्दू शब्दकोश में यह शब्द नहीं है। हिन्दी में जवाहर रूप ही प्रचलित है और पुरुषों के नाम के तौर पर भी लोकप्रिय है। कीमती पत्थर के ही संदर्भ में अरबी-फारसी का एक शब्द है जो हिन्दी मे खूब प्रचलित है नग जिसका मतलब भी रत्न या जवाहर है। इससे बने हैं नगीं , नगीन या नगीना। इनमें नगीना स्त्रियों का नाम होता है और नगीन पुरुषों का । मतलब दोनों का एक ही है –रत्न, जवाहर।

सुनिये गौहरजान को


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हिन्दुस्तान में यूं तो गौहर, जवाहर, नगीना नाम खूब रखे जाते हैं मगर एक
गौहर बेहद प्रसिद्ध हुई है। एक सदी से भी ज्यादा वक्त हो गया जब इनकी आवाज़ का चर्चा हिन्दुस्तान की सरज़मीं पर आम था। कलकत्ता को अपना कार्यक्षेत्र बनानेवाली गौहरजान एंग्लो इंडियन थीं और उनका असली नाम एंजेलीना योवर्ड था। उनके बारे में विस्तार से फिर कभी , फिलहाल तो करीब एक सदी पहले 1912 में रिकार्ड की गई ये आवाज़ सुनिये। हां, हिन्दुस्तान में जो आवाज़ पहली बार काले तवे पर तपाई गई वह गौहर जान की ही थी। फिरंगियों ने इंग्लैंड से आकर 1902 में यह कारनामा किया था।

4 कमेंट्स:

Gyan Dutt Pandey said...

क्या ऐसी जाति-प्रजातियां हैं जो 'ज' को 'ग' उच्चरित करती हैं?

Unknown said...

जौहरी बाज़ार को ही सर्राफ़ा बाज़ार भी बोलते हैं। सर्राफ़ एक उपनाम भी है। यह शब्‍द भी हिन्‍दी का तो नहीं लगता। इस पर कुछ रोशनी डालें।

Asha Joglekar said...

जा़हिर, जौहर और गौहर, शब्दों के सफर में मजा़ आ गया । उस से भी ज्यादा मजा़ गौहर जान को सुन कर आया ।

मीनाक्षी said...

ज्ञान जी, हमारे मिसरी और सीरियन दोस्त विजय को विगय बुलाते हैं और अरबी दोस्त फिगय ... इसी तरह से सीरियन मित्र पेन माँगते हुए बेन कहते हैं.

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