Wednesday, March 12, 2008

बहादुर कौन है ? [ पुनर्प्रस्तुति ]

वीरता और शौर्य दिखाने वाले के लिए हिंन्दी उर्दू में बहादुर शब्द बड़ा आम है। इस शब्द की अर्थवत्ता और उससे जुड़ा रुतबा इतना जबर्दस्त है कि उत्तर भारत की मार्शल कौमों (लड़ाका जातियां) में पुरुषों के नाम के साथ यह शब्द लगाना शान की बात मानी जाती है मसलन- विजय बहादुर, जंग बहादुर। यही नहीं, नेपाल के क्षत्रियों में तो यह परंपरा इतनी प्रचलित है कि भारत में तो अब नेपालियों के लिए बहादुर शब्द ही पहचान बन गया है। बहादुर शब्द वैसे तो हिंन्दी में उर्दू-फारसी के जरिये आया मगर है तुर्की जबान का। बल्कि यूं कहें कि इसकी परवरिश तुर्की जबान में हुई है और पैदाइश मंगोल जबान में। तुर्की में इसका उच्चारण होता है बगातुर यानी वीर, योद्धा, बलवान या नायक। इसी तरह मंगोल जबान में इसका उच्चारण होता है बघातुर । मंगोल भाषा में इस शब्द का व्यापक प्रयोग होता रहा। इसका कारण रहा मंगोल अमीरों और राजाओं द्वारा अपने नाम के साथ इसका प्रयोग करने का चलन। प्रसिद्ध मंगोल योद्धा चंगेज खान के पिता का नाम था येसुगी बघातुर (1100-1180) और उसके दादा का नाम था बैरतान बघातुर। जाहिर है नाम के साथ इस लफ्ज के इस्तेमाल की रिवायत भी मंगोलिया से चल कर तुर्कमेनिस्तान , ईरान होते हुए हिन्दुस्तान और नेपाल तक आम हो गई। बहादुर का बोलबाल कुछ इस कदर बढ़ा कि इसके हिन्दी अर्थ वीर ने इसका साथ देना पसंद किया। नतीजतन बहादुरों की शान बढ़ाने वाला एक नाम और बन गया-वीर बहादुर।

ये मेरी एकदम शुरुआती पोस्ट है । आज नेट काफी देर तक परेशान करता रहा और जेब की पांचवीं श्रंखला लिखने की कोशिश बेकार हो गई। अब बहुत देर हो चुकी है इसलिए मेरी पसंदीदा ये पोस्ट ठेल रहा हूं। इस पर सिर्फ प्यारे भाई अभय तिवारी की टिप्पणी मिली थी।

अभय तिवारी said...

क्य‌ा ब‌ात है.. राज़ से प‌रद‌ा ह‌ट ग‌य‌ा..

7 कमेंट्स:

अनूप शुक्ल said...

बढि़या! आपको शब्दवीर की पदवी प्रदान की जाती है।

दिनेशराय द्विवेदी said...

पंजाब में सिक्ख, राजस्थान में राजपूत सिंह शब्द का प्रयोग नाम के साथ करते हैं. उस का भी कोई विशेष अर्थ है?

Sanjay Karere said...

पुरानी कड़ी लाने का शुक्रिया.... अच्‍छी लगी

Rajesh Roshan said...

very informative. Thanks

Rajesh Roshan

मीनाक्षी said...

अनूप जी से सहमत... आज से आप हुए शब्दों के सफर के शब्दवीर...!

Anita kumar said...

शब्दवीर अजीत जी को मेरा प्रणाम, इस पोस्ट को फ़िर से प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद, ये क्लास पहले मिस हो गयी थी…:)

Dr. Chandra Kumar Jain said...

SAMAY JO DOOR...BAHAA...
VAH AAPKI...BAHADURI
SE LAUT AAYA !
DHANYAVAD.

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