Thursday, March 22, 2012

खाली हाथ खलासी

पिछली कड़ी-खुलासे का खुलासा

coupleहिन्दी के सर्वाधिक प्रयुक्त शब्दों में ‘खाली’ का शुमार भी है जिसमें रिक्तता, शून्यता, रीतापन जैसे भाव हैं । जिसमें कुछ न हो, शून्य हो उस स्थान को खाली कहते हैं । ‘खाली’ शब्द की मुहावरेदार अर्थवत्ता की वजह से इसमें अकेला, केवल, सिर्फ जैसे अर्थ भी विकसित हुए जैसे “वहाँ खाली एक आदमी था…” । यहाँ सिर्फ़ और अकेले का भाव साफ़ है । “खाली बैठना” हिन्दी का प्रसिद्ध मुहावरा है जिसका अर्थ है हाथ में कोई काम न होना । अलग अलग सन्दर्भों में बेकारी या निकम्मेपन का अभिप्राय इससे सिद्ध होता है । “खाली हाथ” जैसा सर्वमान्य मुहावरा भी इसी कड़ी में आता है । किसी प्रयोजन के लिए पास में मुद्रा, वस्तु या उपहार न होने की स्थिति में खाली हाथ मुहावरे का प्रयोग किया जाता है, जैसे-“बुलावा तो आया है पर ‘खाली हाथ’ जाना उचित नहीं समझता ।” मुम्बइया हिन्दी के प्रभाव में “खाली-पीली” जैसा मुहावरा भी युवा पीढ़ी ने अपना लिया है जिसमें व्यर्थ या फिज़ूल की बात करने का भाव है ।
खाली का रिश्ता सेमिटिक धातु kh-l-w से है जिसमें शून्यता, रिक्तता, अकेलापन, एकान्त, निर्जन, उजाड़, अलग-थलग जैसे भाव हैं । उर्दू-फ़ारसी शायरी में एकान्त के अर्थ में प्रयुक्त ‘खल्वत’ शब्द भी इसी मूल का है । ग़ालिब साहब लिखते हैं – “देखा असद को जल्वतो-खल्वत में बारहा । दीवाना गर नहीं तो हुशियार भी नहीं ।।” खल्वत यानी अकेले में, जल्वत यानी सबके बीच । इस्लामी दौर में खल्वतखाना, ख़ल्वतक़दा या खल्वतगाह भी होते थे जहाँ वो एकान्त चर्चा करते थे । ‘मजलिसे-खल्वत’ जैसी एक व्यवस्था भी थी । सम्भवतः यह कैबिनेट जैसी विशिष्ट सलाहकारों की समिति होती थी । मराठी में ‘खल्वत’ का रूप ‘खलबत’ हो जाता है जिसका अर्थ है एकान्त वार्ता । फ़ारसी का ‘खलेवतखाना’ मराठी में ‘खलबतखाना’ है । ‘खल्वत’ का ‘खिल्वत’ रूप भी मिलता है । ‘खाली’ में सिर्फ़ या अकेले का भाव भी है जैसे- “खाली एक आदमी आया” । एकाकी, एकान्तप्रिय व्यक्ति को इसीलिए ‘ख़लवतपसंद’ या ‘खलवतदोस्त’ कहा जाता है । चलताऊ तौर पर एकाकी व्यक्ति को ‘खल्वती’ भी कहा जाता है ।
रबी ज़बान में एक शब्द है ‘ख़ला’ जिसके मायने होते हैं अंतरिक्ष, आसमान, रिक्त स्थान, शून्य आदि। इसके अलावा एकाकीपन, एकान्त आदि भाव भी इसमें समाहित है। ‘खला’ रिश्तेदारी ‘खालीपन’ से है । ‘ख़ला’ में व्याप्त आसमान और अंतरिक्ष के भाव का विस्तार भी शामिल है अर्थात यह संसार या सभी कुछ जड़-जंगम दृष्टिगोचर इसमें आ जाते हैं। गौर करें ‘ख़ला’ मे निहित अंतरिक्ष वाले अर्थ पर । मूलतः यही अर्थ व्यापक है। अंतरिक्ष क्या है ? अंग्रेजी में इसे स्पेस कहते हैं यानी खाली जगह । ‘ख़ला’ से ही जुड़ा है अरबी, फारसी और उर्दू का ख़ाली शब्द जिसका अर्थ होता है रिक्त स्थान । अंतरिक्ष भी रिक्त स्थान ही है। दार्शनिक अर्थों में इसे शून्य भी कहा जाता है। अरबी शबद खला का एक रूप ‘खुलू’ भी है जिसका मतलब भी खाली होना, रिक्त होना है।
‘ख़ाली’, ‘खला’ की कड़ी में ही आता ‘खलास’ अर्थात रिक्त करना, मुक्त करना, छुटकारा, रिहाई वगैरह । हिन्दी में रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और मंडियों में एक शब्द अक्सर सुनाई पड़ता है वहा है ‘खलासी’ या ‘खल्लासी’ । आमतौर पर ये कामगारों के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द है जिसका मतलब होता है सामान उतारने वाला श्रमिक । खलासी पूरे भारत में प्रचलित शब्द है। ‘खलासी’ शब्द से जुड़े की शब्द आज हिन्दी–उर्दू में प्रचलित हैं जिनके दार्शनिक अर्थ और व्याख्याएं भी हैं। सफ़र के साथी लंदन निवासी राजेश प्रियदर्शी बताते हैं कि अरबी में सामान्य बातचीत के दौरान ‘खलास’ का प्रयोग अच्छा, ठीक, ओके की तरह होता है । हर वाक्य के अंत में लोग आईसी, ओके, राइट, फाइन की तरह ‘खलास’ का प्रयोग कहते हैं, कुछ इस तरह की ये बात तो साफ़ हो गई अब अगली बात ।
ब्दों का सफ़र में कुछ अर्सा पहले “अच्छा” शब्द पर लिखी पोस्ट का ध्यान कर लें । यहाँ ‘खलास’ के प्रयोग में भाव ग्रहण की वही प्रक्रिया है जो हिन्दी के ‘अच्छा’ में है । अच्छा का मूल ‘अच्छ’ है । ‘अच्छ’ में जो ‘छ’ है वह ‘छत’ अर्थात ‘छाया’ का प्रतीक है। मोनियर विलियम्स के कोश के मुताबिक यह अच्छ है। इसमें अ+‘च्छ’ है वह ‘छद्’ से आ रहा है। इस तरह ‘अच्छ’ का अर्थ हुआ जो ढका हुआ न हो, जो उजागर है, पूरी तरह स्पष्ट है, पारदर्शी है, साफ है । इस तरह संवाद होने के बाद अन्त में जब ‘अच्छा’ कहा जाता है तब अभिप्राय यही होता है कि अब सब कुछ स्पष्ट है, कुछ भी छुपा हुआ नहीं है। इसी तरह सफर की एक अन्य साथी दुबई निवासी मीनाक्षी धन्वन्तरि ने हमें बताया कि खजूर की एक किस्म को भी खलास कहते हैं । ईरान में किसी प्रियजन के न होने पर भी खाली शब्द का इस्तेमाल होता है- “जा ए शोमा खाली "... “आपकी जगह खाली है” यानि उस व्यक्ति की कमी महसूस की जा रही है ।
प्राचीनकाल से ही अरब लोग सौदागरी में माहिर थे और सामुद्रिक व्यापार में खूब बढ़े-चढ़े थे । देश-विदेश के माल से लदे उनके जहाज़ बंदरगाहों पर आ टिकते और मज़दूरों का ख़ास तबका इन्हें ‘ख़ाली’ करने के काम में जुटता । जहाज़ को खाली करानेवाले ही ‘खलासी’ कहलाए। भारत में खलासी सामान्य मज़दूर भी कहलाता है और ट्रक को अनलोड कराने वाला श्रमिक भी । गोदी ( बंदरगाह ) पर काम करनेवाला श्रमिक भी खलासी कहलाता है और रेलवे के एक निम्न वर्ग में इसी पदनाम से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती भी होती है । अब रिक्त कराने या खाली कराने के अर्थ मे तो खलास का अर्थ स्पष्ट हुआ मगर मुंबइया ज़बान में किसी को मारने , कत्ल करने जैसे अर्थ में भी खल्लास जैसा शब्द चलता है। गौर करें खलास में शामिल मुक्ति या छुटकारा दिलाने जैसे भाव पर । खल्लास यहां आकर कत्ल का अर्थ लेता है। ‘खलासी’ या ‘खलासी करना’ का अर्थ भी खाली करना है ।

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5 कमेंट्स:

प्रवीण पाण्डेय said...

संभव खलना भी इसी परिवार का शब्द है।

जीवन और जगत said...

बहुत बढिया जानकारी। मैं भी रेलवे में कार्यरत हूँ और अक्‍सर यही सोचा करता था कि आखिर खलासी शब्‍द आया कहां से। आज आपने मेरी जिज्ञासा का समाधान कर दिया।

विष्णु बैरागी said...

यह 'खाली' इतना 'भरा-पूरा' होगा, इसकी तो कल्‍पना ही नहीं की थी।

mridula pradhan said...

बहुत अच्छी जानकारी मिली.....धन्यवाद.

Preeti agrawal said...

बहुत ही उम्दा जानकारी दी आप ने ।धन्यवाद

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