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Friday, August 7, 2015

।।हिन्दी पत्रकारिता के ‘प्रश्न’ और ‘विस्मय’।।


हि
न्दी पण्डितों की विभिन्न भ्रान्तियों में एक विस्मय-चिह्न और प्रश्न-चिह्न के शीर्षकों में प्रयोग पर ऐतराज भी है। ख़ासतौपर पर पत्रकारिता की हिन्दी में। किसी भी शीर्षक में विस्मयादिबोधक या चिह्न लगाइये, मसलन- “ चौहान से छिनेगी कुर्सी!” ज्ञानी महोदय तत्काल आपत्ति करेंगे- इसमें विस्मय की क्या बात है ? अब अगर आपने इसी शीर्षक में प्रश्नवाचक चिह्न लगाया तो भी आपत्ति होती है कि जब आपको ही नहीं पता तो पाठक क्या बताएगा कि कुर्सी छिनेगा या नहीं। यही बात “चांद पर पानी!” या “मंगल पर पानी ?”जैसे शीर्षकों के साथ भी है। बीते तीस सालों में ऐसे अनेक लोगों से पाला पड़ा है जो शीर्षकों में चिह्नों का प्रयोग एक सिरे से गलत बताते रहे।

मानता हूँ कि विस्मयादिबोधकचिह्न का गैरज़रूरी और असावधान प्रयोग हिन्दी में होता रहा है। इसीलिए व्यक्तिगत स्तर पर इससे बचते हुए मैं ऐसे शीर्षकों में ‘कयास’ ,‘चर्चा’ ,‘अटकल’, ‘आसार’, ‘सम्भावना’ या ‘आशंका’ जैसे शब्दों का प्रयोग करने का हामी हूँ। मगर चिन्दी-बजाजों का ऐसा भी क्या डर कि बेचारा पत्रकार मनमाफ़िक़ चिह्नों का प्रयोग न कर सके। सबसे पहले तो इस ग्रन्थि से मुक्त हो जाइये कि शीर्षक में प्रश्नवाचक चिह्न लगाने से यह ग़लतफ़हमी भी हो सकती है कि आप पाठक से प्रश्न पूछ रहे हैं। व्याकरण चिह्नों से भाषा स्पष्ट और सरल बनती है। शीर्षकों में चिह्नों के प्रयोग से स्पेस तो बचता ही है, वह प्रभावी बनता है। जहाँ तक विस्मयादिबोधक चिह्न का प्रश्न है, उसके बारे में हिन्दी के तथाकथित पण्डित भी स्पष्ट नहीं है।

ऊपर लिखे दोनों उदाहरण मेरी नज़र में गलत प्रयोग की मिसाल नहीं है। व्याकरण के मुताबिक जो अविकारी शब्द हर्ष, शोक, आश्चर्य, घृणा, क्रोध, तिरस्कार आदि भावों का बोध कराते हैं, उनके साथ विस्मय चिह्न का प्रयोग होता है। विस्मयादिबोधक शब्द से ही स्पष्ट है कि विस्मय + आदि अर्थात विस्मय तथा इससे मिलते जुलते भावों का बोध कराने वाली अभिव्यक्तियों में प्रयुक्त चिह्न। चांद वाले उदाहरण में आश्चर्य का भाव है। इसमें विस्मय चिह्न का प्रयोग गलत नहीं। इसी तरह चौहान वाले उदाहरण में अटकल का भाव है। ध्यान रहे अटकल भी आश्चर्य की श्रेणी में लिया जाने वाला भाव है क्योंकि व्यापम घोटाले में चौहान नज़दीकियों के शामिल होने की बातें जितनी आम हैं उतना दम और पुख्ता आधार उनकी कुर्सी छिनने वाली चर्चाओं में नहीं। खबर अनुमान की बात भी कर रही है, चर्चा पर आधारित भी है। यहाँ भी विस्मय चिह्न को गलत नहीं ठहराया जा सकता। वैसे चौहान की कुर्सी छिनने के आसार अथवा मायावती चौहान की कुर्सी छिनने की चर्चा जैसे शीर्षक भी लगाए जा सकते थे।
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